क्या आप जानते हैं कि पेस्ट्री, आइसक्रीम, बर्गर, पिज़्ज़ा और फ्राइज़ जैसे जंक फूड इतने स्वादिष्ट क्यों होते हैं और बच्चों को इतनी आसानी से आकर्षित क्यों करते हैं? इनमें कुछ फ्लेवर डाले जाते हैं जो घर के बने खाने में नहीं होते हैं और इसीलिए बच्चे आसानी से इसकी तरफ खिंचे चले जाते हैं क्योंकि उनके लिए स्वाद ज़्यादा मायने रखता है! हालाँकि, अच्छी बात यह है कि भारत में जाने-माने उत्पादक सिर्फ़ एफएसएसएआई से मंज़ूरी प्राप्त फूड फ्लेवर का ही इस्तेमाल करते हैं। इसलिए इसकी थोड़ी सी मात्रा बच्चों के लिए नुकसानदायक नहीं होती है। साथ ही, अलग-अलग तरह के फ्लेवर के बारे में जानकारी और लेबल पढ़ना आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।

फ़ूड फ्लेवर का तीन प्रकार में वर्गीकरण:

  1. प्राकृतिक फ्लेवर और फ्लेवर देने वाले पदार्थ
  2. प्रोसेस किए गए फ्लेवर
  3. कृत्रिम फ्लेवर देने वाले पदार्थ

प्राकृतिक फ़ूड फ्लेवर –

आमतौर पर ये एक से ज़्यादा पदार्थों को मिलाकर बनाए जाने वाले जटिल मिश्रण होते हैं, मगर कुछ सबसे बेहतरीन फ़ूड फ्लेवर एक अकेले पदार्थ से भी बनाए जाते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण लौंग का तेल है, जिसे ये फ्लेवर यूजीनॉल नाम के केमिकल से मिलता है। ये कार्बनिक सुगंधदायक योगिक हैं जो ज़रूरी वोलेटाइल (वाष्पशील) तेल (ऑइल) या नॉन-वोलेटाइल (अवाष्पशील) तत्वों के रूप में पाए जाते हैं, उदाहरण के लिए - रेज़िन और ओलिओरेज़िन। ये पदार्थ पौधे प्राकृतिक रूप से बनाते हैं। प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले एसेंशियल ऑयल जैसे कि इस्टर, एल्डिहाइड, एसिड, अल्कोहल, कीटोन, और ईथर, फलों और सब्ज़ियों में स्वाद और ख़ुश्बू देने का काम करते हैं। जिनके कुछ उदाहरण हैं:

  1. तुलसी, पुदीना जैसी औषधियाँ
  2. इलायची, लौंग, हल्दी जैसे मसाले
  3. सौंफ़, जीरा जैसे ख़ुशबूदार बीज
  4. संतरा और नींबू जैसे फल
  5. मटर, प्याज़, लहसुन जैसी सब्ज़ियाँ

    प्रोसेस किए गए फ्लेवर –

    ये अपघटन (सड़न), दो अलग-अलग पदार्थों को मिलाकर या नये पदार्थ को बना कर विकसित किए जाते हैं। ऐसे फ्लेवर किसी एंजाइम की क्रियाविधि से बनाए जाते हैं और इसका एक उदाहरण शक्कर पर माइक्रोब की क्रियाविधि से किण्वन (फर्मेन्टेशन) के द्वारा बनाया गया फ्लेवर है। कुछ प्रोसेस्ड फ्लेवर नीचे दी गई प्रक्रियाओं से भी विकसित किए जाते हैं:

    मिलाए जाने वाले फ्लेवर दो किस्म के हो सकते हैं –

    इन अतिरिक्त फ्लेवर का बेकरी और मिठाई की सामग्री, रेडी टू ईट फ़ूड, पेय पदार्थ और फ़ास्ट फ़ूड में ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है। खाना बनाते वक़्त या दूसरी प्रक्रियाओं के दौरान जो फ्लेवर चला जाता है उसे इन एडेड फ्लेवर की मदद से इन दिए गए तरीकों में से किसी एक का इस्तेमाल करके वापस लाया जाता है:

    दूसरे एडेड फ्लेवर स्वीटनर (मीठा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ) और फ्लेवर इन्हेंसर (स्वाद को बढ़ाने वाले पदार्थ)

    स्वीटनर –

    ये प्राकृतिक स्वीटनर जोकि कार्बोहइड्रेट और पोषण से भरपूर स्वीटनर हो सकते हैं या फिर कृत्रिम स्वीटनर हो सकते हैं जो कि सिंथेटिक होते हैं और जिनमें किसी भी तरह का कोई पोषण नहीं पाया जाता है।

    फ्लेवर इन्हेंसर (स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थ) –

    ये ऐसे केमिकल होते हैं जिनकी आमतौर पर खुद की कोई ख़ुश्बू या कोई स्वाद नहीं होता है। इन्हें खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में मिलाया जाता है। ये खाद्य पदार्थ के असली स्वाद को बदल सकते हैं और उसे बढ़ा भी सकते हैं।

    कुछ ऐसे केमिकल जो फ्लेवर इन्हेंसर रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, इस प्रकार हैं:

    मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी):

    इसे अजीनोमोटो या चाइनीज़ सॉल्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्लूटेमिक एसिड का सोडियम सॉल्ट है। खाद्य पदार्थों की कटाई और प्रोसेसिंग के वक़्त उनका स्वाद चला जाता है, जिसे एमएसजी डालकर वापस लाया और बढ़ाया जाता है।

    मालटोल:

    मालटोल का इस्तेमाल कुकीज़, पेय पदार्थ और इंस्टेंट पुडिंग मिक्स को मीठा बनाने के लिए किया जाता है। यह पौधों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, और कोको या कॉफ़ी को भूनते वक़्त या फिर ब्रेड बनाते समय पैदा होता है। इसे सोयाबीन प्रोटीन के किण्वन से कृत्रिम रूप से बनाया जाता है।

    एफएसएसएआई के नियम:

    एफएसएसएआई ने नीचे बताए गए फ़ूड फ्लेवर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है:

    और यहाँ एफएसएसएआई से मंज़ूरी प्राप्त स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों की लिस्ट दी जा रही है :

    इन सभी स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों में इमल्सीफाइंग एजेंट, स्टेबिलाइज़िंग एजेंट, एंटीऑक्सीडेंट, और एंटी-केकिंग एजेंट मौजूद हो सकते हैं। सिंथेटिक एमॉर्फस सिलिकॉन डाइऑक्साइड (आई एन एस 551) को भी स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थ में फ्लेवर डालने में किया जा सकता है लेकिन इसकी मात्रा सिर्फ़ 2% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए और यह पाउडर के रूप में होना चाहिए। इसलिए सभी फ़ूड प्रॉडक्ट के लिए इन सभी नियमों का पालन करना ज़रूरी है ताकि गुणवत्ता और सुरक्षा बनाकर रखी जा सके।

    क्या खाद्य पदार्थों को फ्लेवर करना नुकसानदायक है?

    खाद्य पदार्थों में फ्लेवर डालना आमतौर पर सुरक्षित है और किसी भी खाद्य पदार्थ में डालने से पहले इन्हें सुरक्षा जाँच और स्वीकृति की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। भारत में फ़ूड में फ्लेवर डालने की प्रक्रिया को ग्राहकों के लिए और भी सुरक्षित बनाने के लिए एफएसएसएआई ने कई कड़े नियम बनाए हैं। ख़ास तौर पर, जब आप एक जाने-माने ब्रांड से फ़ूड आइटम खरीदते हैं, तो आप बिना किसी परेशानी के इसे इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इसमें इस्तेमाल किए गए फ्लेवर मिलावटी, दूषित नहीं होते हैं, और सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करते हैं।

    साथ ही, इस बात का भी ख्याल रखें कि पैकेट पर फ्लेवरिंग एजेंट के बारे में जानकारी दी गई हो, क्योंकि इससे ये भी पता चलता है कि ब्रांड पारदर्शिता रखता है और इस पर भरोसा किया जा सकता है। कृत्रिम फ्लेवर को भी लेबल पर दर्शाया जाना चाहिए। एक ग्राहक होने के नाते एफएसएसएआई का लोगो और उसका लाइसेंस नंबर भी ज़रूर देखना चाहिए।

      1. केरमलाइज़ेशन
      2. रोस्टिंग
      3. फर्मेंटिंग
      4. टोस्टिंग
      5. बेकिंग
      • प्राकृतिक रूप से निकाले गए फ्लेवर
      • कृत्रिम फ्लेवर
      1. प्राकृतिक फ्लेवर मिलाकर, जैसे फलों से निकाला गया प्राकृतिक सत्व और मसालों से निकले ज़रूरी तेल मिलाकर। उदाहरण के लिए, वैनिला एसेंस को वैनिला पोड से एसेंशियल तेल निकालकर बनाया जाता है।
      2. कृत्रिम (आर्टिफिशियल) फ्लेवर मिलाकर, जोकि कुछ केमिकल के मिश्रण से बनाए जाते हैं और असली फ्लेवर की नक़ल होते हैं। उदाहरण के लिए, वेनिलीन एक सिंथेटिक (कृत्रिम रूप से बनाया गया) फ्लेवर है जो वैनिला की जगह पर इस्तेमाल किया जाता है।
      1. कोमेरिन और डिहाइड्रोकोमेरिन
      2. टोंकाबीन (डिप्टेरिलेडोरेट)
      3. बीटा- एसेरोन और सिनामाइलेंथ्रासिलेट
      4. इस्ट्रागोल
      5. इथाइल मिथाइल कीटोन
      6. इथाइल -3-फिनाइलग्लाइसिडेट
      7. यूजिनाइल मिथाइल ईथर
      8. मिथाइल बीटा नेपथाईल कीटोन
      9. पी-प्रोपाइलेनीसोल
      10. सेफ्रोल और आइसोसेफ्रोल
      11. थुजोन और आइसोथुजोन (गामा और बीटा थुजोन)
      12. विलयन के तौर पर डाईइथाइलेनग्लाइकोल और मोनोइथाइल ईथर
      1. दूध के प्रॉडक्ट में लेक्टूलोज़ सिरप का इस्तेमाल बच्चों के खाद्य पदार्थों में फ्लेवर डालने के लिए किया जाता है। इसे बेकरी प्रॉडक्ट में भी इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन दोनों में ही वज़न के आधार पर इसकी ज़्यादा से ज़्यादा सीमा 0.5% है ।
      2. बच्चों के स्नैक्स जैसे कैंडी, आइसिंग, स्वीट्स (चॉकलेट/मिठाई), पास्ता और नूडल, बिस्किट, केक, ब्रेड और नाश्ते के अनाज, दूध से बनी मिठाई, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, जैम, जेली, आदि का स्वाद बढ़ाने के लिए ट्रेहलोस का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इन्हें तय मात्रा में ही डाला जा सकता है जोकि आमतौर पर लेबल पर दी जाती है।
      3. ओलिगोफ्रक्टोज़ , फाइटो या प्लांट स्टेनोल को सिरप और हेल्थ बार में मिलाया जाता है।