कुछ सालों से दूध को लेकर लोगों में बहुत सी गलत धारणाएँ फैली हुई हैं। हम सभी को याद होगा कि जब हम बच्चे थे, तो रोज़ एक से दो गिलास दूध पीना ज़रूरी हुआ करता था और इसमें कोई आनाकानी नहीं चलती थी। कभी बढ़ते बच्चों के लिए बेहद ज़रूरी होने वाले दूध के लिए आज कई लोग मानते हैं कि इसे बिलकुल भी नहीं पीना चाहिए।

हालाँकि, सच्चाई यही है कि दूध एक पोषण से भरपूर आहार है, खासकर बढ़ते बच्चों के लिए। इस आर्टिकल में हम, बढ़ते बच्चों के लिए दूध के फ़ायदे, बच्चों को कितना दूध पीना चाहिए और बच्चों को दूध से होने वाली एलर्जी (लैक्टोज़ इन्टोलेरेंस) के बारे में बात करेंगे।

बच्चों को दूध से होने वाले फ़ायदे

रोज़ाना दूध पीना बहुत फ़ायदेमंद होता है, खासकर पूरे दिन एक्टिव रहने और जल्दी-जल्दी बढ़ने वाले बच्चों के लिए। नीचे दूध से होने वाले कुछ बड़े फ़ायदों के बारे में बताया गया है:

  1. एक सम्पूर्ण पोषक आहार

    दूध को बिना वजह ही सबसे ज़्यादा पोषक चीज़ नहीं कहा जाता है। इंडियन फ़ूड कम्पोज़िशन टेबल, 2017 के अनुसार भारत में 100 ग्रा. गाय के दूध में नीचे दिए पोषक तत्त्व होते हैं :

    • प्रोटीन: 3.26 ग्राम

    • वसा : 4.48 ग्राम

    • कैल्शियम: 118 मिलीग्राम

    • रिबोफ़्लेविन (बी2 ): 0.11 मिलीग्राम

    • विटामिन बी9: 7.03 माइक्रोग्राम

    • पोटैशियम: 115 मिलीग्राम

    • विटामिन ए :58.25 माइक्रोग्राम

    रेकमेंडेड डाइट्री अलाउंस में दिए गए ज़रूरी पोषक तत्वों जैसे विटामिन और मिनरल का एक बड़ा हिस्सा (खासकर अच्छी सेहत के लिए रोज़ाना ज़रूरी पोषक तत्वों की अनुमानित मात्रा) रोज़ाना दूध पीने से ही मिल जाता है और इसीलिए बढ़ते बच्चों को दूध ज़रूर पीना चाहिए।

  2. प्रोटीन का मुख्य स्रोत

    दूध में अच्छे स्तर का प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एक कप दूध में 8 ग्राम प्रोटीन होता है जो वृद्धि और विकास में मदद करने के साथ ही बीमारियों से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है। दूध में दो तरह का प्रोटीन पाया जाता है - कैसिइन और व्हे प्रोटीन। ये दोनों ही अच्छे प्रोटीन माने जाते हैं। दूध से मिलने वाले प्रोटीन की खासियत यह है कि इसमें सभी 9 तरह के अमीनो एसिड होते हैं जो शरीर के सभी अंगों को ठीक से काम करने के लिए ज़रूरी हैं।

  3. मज़बूत हड्डियाँ

    दूध में कैल्शियम, फ़ॉस्फ़ोरस, पोटैशियम और प्रोटीन होता है जिससे यह हड्डियों को मज़बूत और सेहतमंद बनाता है। अगर बच्चे रोज़ दूध पीते हैं, तो उन्हें बड़ी उम्र में होने वाली हड्डियों की बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस आदि से कम खतरा होता है। इसके साथ ही, दूध में भरपूर प्रोटीन होता है और बोन वॉल्यूम का 50% और बोन मास का 33% भी प्रोटीन से ही बनता है।

  4. दूध और माँसपेशियों का विकास

    दूध में प्रोटीन के साथ -साथ सैचुरेटेड फ़ैट भी भरपूर होता है। एक तरफ जहाँ प्रोटीन माँसपेशियों को बनाने और उनको बढ़ाने का काम करता है, वहीं सैचुरेटेड फ़ैट माँसपेशियों को एनर्जी के लिए इस्तेमाल होने से बचाता है। इस तरह दूध माँसपेशियों को सेहतमंद बनाता है, जिससे बच्चे को न सिर्फ़ ताकत मिलती है,पर साथ ही उसका मेटाबॉलिज़्म भी अच्छा रहता है।

कितना दूध ज़रूरी है?

कई तरह के पोषक तत्व पाए जाने के बावजूद दूध में आयरन नहीं होता। ऐसे बच्चे जो ज़्यादातर गाय का दूध पीते हैं, उनका पेट अक्सर भरा रहता है और इसलिए वे आयरन से भरपूर हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ नहीं खाते। इसके अलावा ज़्यादा दूध पीने से हमारा शरीर आयरन को ठीक से नहीं सोख पाता और इससे आँत पर भी असर पड़ता है,जिसकी वजह से बच्चों में आयरन की कमी हो सकती है।

इसलिए बच्चों में आयरन की कमी या एनीमिया को रोकने के लिए बच्चों को रोज़ दो से तीन कप तक ही दूध देना चाहिए। साथ ही बच्चों को आयरन वाली चीज़ें जैसे मछली, माँस, बींस, टोफ़ू आदि और आयरन सोखने के लिए ज़रूरी विटामिन सी वाली चीज़ें जैसे संतरे, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकली आदि ज़रूर खिलाना चाहिए।

1 से 2 साल के बच्चों को होल मिल्क ही पिलाना चाहिए क्योंकि इस उम्र में उन्हें दिमागी विकास के लिए डाइट्री फ़ैट की ज़रूरत होती है। 2 साल की उम्र के बाद आप बच्चों को लो फ़ैट (1%) या बिना फ़ैट वाला दूध भी दे सकते हैं, लेकिन बच्चे का दूध बदलने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना ना भूलें।

इन सब के साथ यह जानना भी ज़रूरी है कि भारतीय दूध जो नॉन-फ़ोर्टिफ़ाइड होते हैं,उनमें विटामिन डी नहीं होता इसलिए बच्चों को ऐसी चीज़ें भी दें, जिनसे विटामिन डी की पूर्ति होती रहे।

जानें लैक्टोज़ इन्टोलेरेंस के बारे में

बहुत से लोग लैक्टोज़ नहीं पचा पाते हैं। लैक्टोज़ दूध और दूध से बनी चीज़ों में पाई जाने वाली एक तरह की शुगर होती है। दुनिया भर में 65% लोग लैक्टोज़ ठीक से नहीं पचा पाते हैं।

अगर आपका बच्चा गाय का दूध नहीं पी पाता है, तो हो सकता है, इसकी वजह इन्टोलेरेंस न हो। वह उसे उसके स्वाद की वजह से न पीता हो क्योंकि गाय के दूध का स्वाद मां के दूध और फॉर्मूला दूध, जिसकी उसे आदत होती है, से अलग होता है। आप गाय के दूध के साथ फॉर्मूला मिल्क या मां का दूध मिलाकर पिला सकती हैं। आप धीरे-धीरे इसमें दूसरा दूध मिलाना कम करती रहें, जब तक बच्चा पूरी तरह से गाय का दूध न पीने लग जाये।

अगर आपके बच्चे को लैक्टोज़ इन्टोलेरेंस है, तो उसे दूध पीने के लिए कभी भी ज़बरदस्ती न करें क्योंकि इससे उसे फ़ायदा कम और नुकसान ज़्यादा होगा। उसकी कैल्शियम की ज़रूरत को पूरा करने के लिए उसे दूसरी चीज़ें खिलाएँ जैसे हरी सब्ज़ियाँ, फ़ोर्टिफ़ाइड अनाज, पकी हुई सूखी फलियाँ और कैल्शियम-फ़ोर्टिफ़ाइड सोया मिल्क दें।

दूध के बारे में कुछ लोगों की नकारात्मक सोच होने के बावजूद, दूध पोषक तत्वों से भरपूर है। बहुत कम ऐसी चीज़ें हैं, जो पोषण में दूध की बराबरी कर सकती हैं। अगर आपके बच्चे को लैक्टोज़ इन्टोलेरेंस नहीं है तो बिना डरे अपने बच्चे को रोज़ दो कप दूध पिलाएँ और उसे सेहतमंद बनाएँ।