मॉनसून का मौसम बच्चों के लिए बड़ा ही मज़ेदार होता है क्योंकि इस मौसम में वे अपने दोस्तों के साथ बारिश में भीग सकते हैं, पानी में छप-छप करते हैं, कागज़ की नावों से खेलते हैं और फिर शाम को गरमा-गरम और स्वादिष्ट स्नैक्स का मज़ा लेते हैं। और ऐसे में अगर स्कूल की छुट्टियाँ हो जाए तो ये मज़ा और भी बढ़ जाता है! हालांकि, बारिश का मौसम अपने साथ सेहत से जुड़ी कुछ परेशानियों को भी लाता है।
कीचड़ का गंदा पानी, गलियों में मिलने वाली दूषित खाने की चीज़ें और हर तरफ मच्छरों व कीटों से फैलने वाला बुखार, पेट में इन्फ़ेक्शन, मलेरिया, डेंगू और सामान्य सर्दी-जुखाम का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चे आसानी से वायरल, बैक्टेरियल और फंगस से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चों को पौष्टिक खाने और पीने की चीज़ें दे कर उनकी इम्युनिटी (रोगों से लड़ने की शक्ति) को बढ़ाया जाए।
यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं:
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सूप की शक्ति: सब्ज़ियों से बना गरमा-गरम सूप बच्चों के लिए बिल्कुल सही है क्योंकि इससे ज़रूरी विटामिन, मिनरल और फाइबर मिलता है। यह सर्दी-जुखाम, खांसी और फ्लू से लड़ने में मदद करता है और साथ ही आराम भी देता है। ध्यान रखें कि, जितना हो सके उतनी ज़्यादा रंग-बिरंगी और मौसम की सब्ज़ियाँ डाल कर सूप बनायें। अगर बच्चे मांसाहारी हैं तो उन्हें इसकी जगह चिकन सूप भी दे सकते हैं। इससे काफी मात्रा में प्रोटीन मिलता है जिससे बच्चे जल्दी बढ़ते हैं और उनकी इम्युनिटी में सुधार होता है। दूसरी गरम पीने की चीज़ें जैसे बादाम का दूध या गर्म नींबू पानी, स्टू या शोरबा भी बारिश के मौसम के लिए बहुत अच्छे हैं।
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प्रोटीन बेहद ज़रूरी है: इसी तरह, प्रोटीन के दूसरे स्रोत जैसे दाल, फलियां, मटर आदि भी छोटे बच्चों को इन्फ़ेक्शन और बुखार से बचाने में मदद करते हैं। इनसे बने सूप और दाल, जब रोटी या चावल के साथ परोसे जाते हैं तो वे पौष्टिक भी होते हैं और पेट भी भरता है।
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हर्ब्स को बिल्कुल ना भूलें: हर्ब्स से बनी पीने की चीज़ें न सिर्फ मॉनसून के मौसम में आराम देती हैं बल्कि कई छोटी-मोटी आम बीमारियों में घरेलू इलाज के रूप में भी काम आते हैं। आपको सिर्फ इन मसालों और हर्ब्स जैसे अदरक, हल्दी, तुलसी के पत्ते, लौंग या दालचीनी को खाने में शामिल करना है, ताकि बच्चे गरम, आरामदेह और चुस्ती-फुर्ती महसूस करें। ये मसाले गले में खराश और बंद नाक के इलाज के लिए भी जाने जाते हैं। इनसे इम्युनिटी भी बढ़ती है।
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फल खाएं: बारिश के मौसम में मौसमी फल खाने चाहिए। सेब, केला, नाशपाती, अनार और पपीता जैसे फल खाना बहुत अच्छा होता है। इन फलों से फाइबर और विटामिन सी मिलता है जिससे खाना पचाने की ताकत बढ़ती है और इम्युनिटी में भी सुधार होता है।
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पौष्टिक मेवे (नट्स) भी ज़रूर खाएं: बादाम और अखरोट जैसे मेवों के साथ-साथ चिया और अलसी के बीज पोषक तत्वों का भंडार हैं। खजूर और अंजीर जैसे सूखे मेवे भी खाए जा सकते हैं। इनमें से ज़्यादातर बारिश के मौसम में आसानी से स्टोर किए जा सकते हैं और आप इन्हें बच्चों के टिफ़िन में भी पैक कर सकते हैं।
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लहसुन का ज़्यादा इस्तेमाल करें: ऊपर बताई गई चीज़ों की ही तरह लहसुन भी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और पाचन क्रिया को ठीक रखने में मदद करता है। आप लहसुन को काट कर या कीमा बना कर आसानी से स्टू, करी, दाल, सूप और तेल में तल कर खाने को स्वादिष्ट, खुशबूदार और पौष्टिक बना सकते हैं।
ऊपर बताए गए सुझावों को याद रखने के अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि सुरक्षित तरीके से स्टोर करने के लिए कच्ची खाने की चीज़ें और मसाले हमेशा साफ-सुथरी और किसी भरोसेमंद जगह से ही खरीदें। क्योंकि बारिश के मौसम में नमी एक बहुत ही आम समस्या है इसलिए आपको इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिये ताकि खाने की चीज़ों में कीड़े ना लगें। इसलिए बिल्कुल ताज़ा सामान खरीदें और उन्हें तुरंत ही इस्तेमाल कर लें। खाना पकाते समय ज़रूर देखें कि कहीं किसी सामान में फंगस या फफूँदी ना लगी हो। हमेशा गर्म खाना परोसने की कोशिश करें क्योंकि कम तापमान पर कीड़ों से इन्फ़ेक्शन का खतरा रहता है। मसालों में अच्छे प्रिज़र्वटिव (ज़्यादा समय तक खाने की चीज़ों को ठीक रखने वाले केमिकल) होते हैं और ये जल्दी खराब नहीं होते।
बच्चों और बड़ों दोनों को खुद से भी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। खाना खाने से पहले व बाद में हाथ धोना या खेलने के बाद हाथ धोना बहुत ज़रूरी है। इसके अलावा, मच्छरों को भी बारिश से उतना ही प्यार होता है जितना बच्चों को। इसलिए मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए मच्छरों को भगाने वाली दवाई हमेशा अपने पास रखें। इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे शारीरिक तौर पर भी एक्टिव रहें। इससे बच्चों का पाचन अच्छा होता है और ठंडे मौसम की वजह से होने वाली सुस्ती भी कम होती है। कई स्टडी से ये बात भी पता चला है कि शारीरिक गतिविधि से नर्वस सिस्टम (तांत्रिक तंत्र) भी सक्रिय रहते हैं।