छोटे बच्चे और प्रीटीन्स में अक्सर खाना खाने में नखरे करते हैं क्योंकि उनकी पसंद अलग होती है या वे अपनी पसंद का खाना चुनकर अपनी आज़ादी और पहचान के बारे में दर्शाना चाहते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसे में बच्चों को स्वस्थ खाने की आदत डलवाना भारतीय पेरेंट्स के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। साथ ही हमारे देश में पोषण से जुड़े बहुत सारे भ्रम हैं जिनका सच जानना ज़रूरी है ताकि माँ बाप अपने बच्चों को सेहतमंद, स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खिला सकें। नीचे बच्चों के पोषण से जुड़े ऐसे ही भ्रम और उनके तथ्य दिए गए हैं:
भ्रम 1: बच्चे को अपनी पसंद और नापसंद के बारे में पता होता है।
तथ्य: बच्चे को जिस खाने का स्वाद पता होता है वो वही खाना चुनता है। यही कारण है कि वे जंक और शक्कर वाले खाद्य पदार्थों को ज़्यादा पसंद करते हैं। अच्छी खाने की आदतों को अपनाने के लिए, माता-पिता को एक साथ बैठना चाहिए और उन्हें घर पर स्वस्थ विकल्पों में से खाना चुनना चाहिए। आप बच्चों को विभिन्न प्रकार के स्वस्थ खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, स्प्राउट्स, प्रोटीन आदि से भरपूर खाद्य पदार्थों का विकल्प दे सकते हैं। घर का राशन ख़रीदते वक़्त बच्चे को भी साथ लेकर जाएं और उन्हें अलग अलग रंगों या बनावट के सेहतमंद खाद्य पदार्थ चुनने के लिए प्रोत्साहित करें। कभी भी अपने बच्चे को ऐसे खाद्य पदार्थ खाने के लिए मजबूर न करें जिन्हें वे नापसंद करते हैं। बच्चों के समय के साथ साथ स्वाद पहचानने और पसंद/नापसंद तय करने का मौक़ा दें, सब्र रखें।
भ्रम 2: बार बार खाना खाने बच्चा स्वस्थ होगा।
तथ्य: यह बच्चे के पोषण से जुड़े आम भ्रमों में से एक है जिसमें अक्सर माता-पिता विश्वास करते हैं। अधिकांश भारतीय माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए उन्हें बार बार खाना खिलाना चाहिए। भले ही कम मात्रा में बार बार खाना 3 बार खाने से बेहतर होता है लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा स्नैक्स खाना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। और इसके कारण बच्चे मोटापे का शिकार हो सकते हैं। इसलिए बच्चों के सही विकास के लिए उन्हें सही अंतराल पर पौष्टिक खाना दें।
भ्रम 3:जूस पिलाना बहुत ज़रूरी है
तथ्य:नहीं, ताजे फलों का रस उतना स्वस्थ नहीं होता जितना आपको लगता है। माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे जूस के बजाए साबुत फल खाएं जूस की तुलना में फलों से ज़्यादा फ़ाइबर मिलता है। जब बच्चे को जल्दी ही कहीं बाहर खेलने, ट्यूशन या स्कूल जाना है तो जूस पिलाया जा सकता है लेकिन यह फाइबर की मात्रा को कम करता है और फलों में मौजूद शुगर बढ़ाता है। इसलिए, जूस कम ही पिलाना चाहिए।
भ्रम 4: बच्चों को हेल्दी खाना चुपके से खिलाना चाहिए
तथ्य: कई भारतीय माता-पिता सॉस या पनीर के साथ बच्चों के भोजन में कई सब्जियां छिपाते हैं, ताकि बच्चों को यह न पता चले कि उनके प्लेट में सब्ज़ियाँ भी हैं और वे सब्ज़ियाँ खा भी सकें। ऐसा करना ठीक नहीं है क्योंकि इससे बच्चे उस खाद्य समूह के महत्व को नहीं समझते हैं। इसलिए, अपने बच्चों को प्रत्येक खाद्य समूह के पोषण के बारे में बताएं और उनकी पसंद तय करने के लिए उन्हें रसोई के कामों में मदद करने के लिए कहें। इससे बच्चे भविष्य में भी सेहतमंद खाने को अपनी पसंस बनाएंगे।
भ्रम 5: ज़्यादा शुगर से बच्चे को ज़्यादा ऊर्जा भी मिलेगी
तथ्य: चीनी की लत बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि चीनी से बिना किसी पोषण के खाली कैलोरी बढ़ती है। यह लत बच्चों के मानसिक व्यवहार को भी बिगाड़ सकती है जैसे मूड स्विंग। बच्चों को साबुत फल या ड्राई फ्रूट खिलाकर भी उनकी मीठा खाने की इच्छा को शांत किया जा सकता है। इससे उन्हें फ़ाइबर, विटामिन और मिनरल भी मिलेंगे।
भ्रम 6 : बच्चा कम खाना खाता है- क्या करें
तथ्य: हर बच्चे की भूख अलग होती है और यह उम्र के साथ बदलती भी है। अगर आपके बच्चे का वज़न और कद सही है तो इसका मतलब है कि वह पर्याप्त खाना खाता है। अगर आपके बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो रहा है तो यह चिंता की बात है। बस ध्यान रखें कि बच्चों को संतुलित आहार दिया जाए और शांत,ख़ुशनुमा माहौल में खाना खिलाएँ।
भ्रम 6: शाकाहारी भोजन से बच्चे का सही विकास मुमकिन नहीं है
तथ्य: यह सच नहीं है। जो परिवार शाकाहारी हैं, वे अपने बच्चे के उचित विकास एवं वृद्धि के लिए अपने बच्चों के आहार में दूध और पनीर शामिल करते हैं। शाकाहारी लोगों के लिए, अपने आहार में बहुत सोच समझकर सारी चीज़ें शामिल करनी होती हैं ताकि बच्चे को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (प्रोटीन, कार्ब्स और फैट) और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (विटामिन और मिनरल) दोनों पर्याप्त मात्रा में मिल सके। नट्स, फल, सब्जियां और अनाज आपके बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व दे सकते हैं।
भ्रम 6: बच्चों को ऐसा खाद्य पदार्थ न दें जिससे एलर्जी हो सकती है।
तथ्य: ज़्यादातर माँ बाप को लगता है कि जिन खाद्य पदार्थों से सामान्यतः एलर्जी होती है वो बच्चों को नहीं खिलाना चाहिए। और ऐसे में वे अपने बच्चों के आहार से ऐसे खाद्य पदार्थ बिना लक्षण के ही हटा देते हैं। यह सही नहीं है। कुछ एलर्जी समय के साथ ख़त्म हो जाती हैं और हर बच्चे में नहीं होती हैं। ज़्यादातर एलर्जी दूध, अंडे,सोया, शैलफिश आदि से होती हैं। तो अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है तो उसके आहार से वो खाद्य पदार्थ हटाने से पहले अपने पीडियाट्रिशन से बात करें और ज़रूरत पड़ने पर जाँच करवाएं।
भ्रम 7: मेरे बच्चे को स्पोर्ट्स पसंद हैं तो उसे ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट देना चाहिए।
तथ्य: अगर बच्चा संतुलित आहार खाता है तो खेल कूद के कारण उसके आहार में अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट शामिल करने की ज़रूरत नहीं है। अगर वे वीकेंड पर स्पोर्ट्स में ही रहते हैं तो उनके आहार में कार्बोहाइड्रेट शामिल करना चाहिए और वह भी कॉम्प्लेक्स कार्ब। यह पचाने में समय लगता है और आपके बच्चे को लंबे समय तक ऊर्जा मिलती है। हमेशा कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की मात्रा में संतुलन बनाये रखें।
भ्रम 8: मैं बच्चे को रोज़ मल्टीविटामिन देती हूँ तो मल्टीविटामिन से ही उन्हें पर्याप्त पोषण मिलता है।
तथ्य: यह बच्चों के पोषण से जुड़ा बहुत आम भ्रम है और इसकी वजह से ही बच्चों को प्राकृतिक भोजन से पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है। मल्टीविटामिन को खाने के विकल्प की तरह नहीं खाया जा सकता है। बल्कि ये भोजन के साथ खाने वाले सप्लीमेंट हैं जो प्राकृतिक भोजन के पोषण को आसानी से शरीर में पहुँचाते हैं। बच्चों को प्राकृतिक स्रोतों जैसे शाकाहार, मांसाहार, और फोर्टिफीइड उत्पादों से पोषण लेना चाहिए। मल्टी विटामिन से आपको उन विटामिनों की थोड़ी मात्रा मिलती है जो रोज़ाना के भोजन में नहीं होते हैं।
अंत में:
भारतीय माता पिता अक्सर बच्चों के पोषण से जुड़े ग़लत विचार और भ्रमोंक ओ मानते हैं। ज़्यादातर जानकारी उन्हें अपने दोस्तों, परिवार या अजनबियों से मिलती है जो ख़ुद भी इन भ्रमों में भरोसा करते हैं। इसलिए जब बात आती है अपने बच्चे के लिए स्वस्थ और सेहतमंद विकल्प चुनने की तो माता पिता को विश्वसनीय सूत्रों से ही जानकारी लेनी चाहिए और अपने पीडियाट्रिशन से सलाह लेनी चाहिए।