बच्चों के लिए घी: पोषक तत्वों से भरपूर या अच्छी सेहत का दुश्मन?
घी कई वर्षों से बहस का विषय रहा है। सदियों से, घर का बना हुआ शुद्ध घी भारतीय खाने का हिस्सा रहा है और कई रेसिपीज़ में इसे शामिल किया जाता है। दाल में तड़का लगाने से लेकर रोटी पर लगाकर उसे स्वाद देने तक घी हमेशा से भारतीय खाने को एक नया फ़्लेवर देता आया है। लेकिन जब 1980 के दशक में, भारतीय बाज़ारों में रिफ़ाइंड कुकिंग ऑयल्स आये, घी के बारे में बहुत सी गलत बातें फैलीं और उसके बाद समय के साथ घी का इस्तेमाल कम होता गया।
घी के इस्तेमाल को लेकर आज भी दो अलग-अलग धारणाएँ है - एक यह कि बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा घी खिलाना उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है और यह आसानी से पच जाता है और दूसरी यह कि बच्चों को बिलकुल भी घी नहीं खिलाना चाहिए। लेकिन सच यह है कि ये दोनों ही बातें थोड़ी सही हैं और थोड़ी गलत।
घी: मिथक बनाम तथ्य
मिथ 1: देसी घी सेहत के लिए नुकसानदायक है
पिछले दो दशकों से यह माना जाता है कि घी खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है, पर यह बिल्कुल सच नहीं है। घी में पाए जाने वाले 32% फ़ैट्स मोनोसैचुरेटेड फ़ैटी एमएफ़ए ) होते है, जिन्हें अच्छे फ़ैट्स भी कहा जाता है।
इसके साथ ही घी से सेहत को बहुत सारे फ़ायदे हैं जैसे कि, घी में फ़ैट में घुल सकने वाले विटामिन्स - विटामिन A,
D, E और K होते हैं, जो बच्चों के दिमाग और हड्डियों के विकास में सहायक है। घी बाकी कुकिंग ऑयल्स की तुलना में देर से जलता है, इसका मतलब घी फ़्री रेडिकल्स में आसानी से नहीं बदलता। ये फ़्री रेडिकल्स बच्चे के शरीर के लिए अच्छे नहीं होते हैं, इससे बच्चों को साँस की तकलीफ़ होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
मिथ 2 : घी से बच्चों में मोटापा बढ़ता है
कई माता पिता बच्चों को घी देने से इसलिए बचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि घी खाने से बच्चे का वज़न बढ़ जायेगा और वह उम्र भर मोटापे से परेशान रहेगा। लेकिन सच ये है कि घी वसा को कम करने में सहायता करता है, जिसका मतलब घी दूसरे खाने के फ़ैट्स को तोड़कर उन्हें पचने में आसान बनाता है, जिससे सेहत भी अच्छी होती है। घी में सीएलए (कोंजूगेटेड लिनोलेइक एसिड) भी भरपूर मात्रा में होता है जो दिल के लिए अच्छा है और वज़न घटाने में भी सहायक है। इसलिए घी यदि सही मात्रा में खाया जाए तो यह पाचन और वज़न घटाने में आपकी मदद करता है।
मिथ 3 : बच्चे किसी भी मात्रा में घी को पचा सकते हैं
कुछ लोग दूसरी सोच वाले होते हैं। उनका मानना है कि बच्चे के लिए घी बहुत अच्छा होता है और वे किसी भी मात्रा में घी को पचा सकते हैं। हालाँकि कोई भी खाना अगर ज़रूरत से ज़्यादा खाया जाए, तो वह नुकसान ही करेगा और यही बात घी पर भी लागू होती है। क्योंकि घी में बहुत सारे फ़ैट्स होते हैं,तो उसे एक सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
तो, क्या बच्चों के खाने में घी होना चाहिए?
हाँ, घी में भरपूर पोषक तत्व होते हैं, जो आपके बढ़ते बच्चे को रोज़ाना चाहिए होते हैं। साथ ही, बच्चों के खाने में घी शामिल करते वक्त कुछ बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है।
बच्चों को रोज़ कितना घी देना चाहिए
एफ़एओ (फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइज़ेशन ) के अनुसार, एक सामान्य 2 से 5 साल के बच्चे को रोज़ाना 1000 से 1500 कैलोरीज़ की ज़रूरत होती है, और इसमें से तीस प्रतिशत हिस्सा फ़ैट्स से मिलना चाहिए। हालाँकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि सिर्फ़ घी ही आपके बच्चे के लिए फ़ैट्स का एकमात्र स्रोत न हो। ये भी हो सकता है कि आपके बच्चे को दूसरी चीज़ों से भी फ़ैट्स मिल रहा हो जैसे कि दूध और चीज़। इसलिए आपको एक निश्चित मात्रा में ही बच्चे को घी खिलाना चाहिए। सामान्यतः एक 2 से 5 साल के बच्चे को दिन भर में 1 बड़े चम्मच से ज़्यादा घी नहीं देना चाहिए। जबकि इससे थोड़े से बड़े बच्चे को आप एक दिन में 2 से 3 चम्मच घी दे सकती हैं।
बच्चे को घी कैसे खिलाएँ:
अपने बच्चे के खाने में घी शामिल करने का सबसे अच्छा तरीका, पुराने समय से चले आ रहे तरीकों को अपनाना है :
- एक कटोरी दाल-चावल में थोड़ा- सा घी मिलाकर खिलाना सबसे अच्छा तरीका है।
- रोटी में घी - गुड़ लगाकर उसका रोल बनाकर भी आप बच्चों को खिला सकती हैं। ये खाने में मज़ेदार भी हैं और इसे आप बच्चों को स्नैक्स के तौर पर दिन में या शाम में भी खिला सकती हैं।
- आटे का बना हलवा ज़्यादातर बच्चों की पसंदीदा डिश है। 1 छोटा चम्मच घी में दो चम्मच गेहूँ का आटा मिलाकर भूनें। जब आटे का रंग गोल्डन ब्राउन हो जाए, तो उसमे डेढ़ कप गर्म पानी मिलाकर 2 मिनट तक चलाएँ, अब इसमें गुड़ या शक्कर मिलाकर पानी सूखने तक चलाएँ। आपका हलवा तैयार है।
अंत में
हालाँकि पिछले दो दशकों से घी खाने को लेकर अनेक भ्रांतियाँ हैं, इसके बावजूद, घी एक शुद्ध भारतीय सुपरफ़ूड है। यह आपके बच्चे के पूरे विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। सही मात्रा में दिया हुआ घी आपके बच्चे को सेहतमंद बनाएगा और आपको यह चिंता भी नहीं रहेगी कि बच्चे के खाने में रोज़ घी शामिल किया जाए या नहीं।