अगर आपके बच्चे ने हाल में ही डे-केयर में जाना शुरू किया है, तो हो सकता है कि आपको उसके पोषण के लेकर चिंता रहती हो। आप जब अपने बच्चे के डे-केयर के लिए टिफिन तैयार करती होंगी तो आपके मन में थोड़ी दुविधा रहती होगी कि टिफिन में किन चीज़ों को देना चाहिए जिससे कि आपके बच्चे को भरपूर पोषण मिल सके। यहां पर कुछ सवाल दिए गए हैं जो आपके बच्चे के लिए सेहतमंद डे-केयर मील तैयार करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
1. मेरी बेटी 3 साल की है और कुछ दिनों में वह अपना प्लेस्कूल ख़त्म करने के बाद डे-केयर में जाना शुरू करेगी। मुझे किन चीज़ों को अपने बच्चे के मील के लिए पैक करना चाहिए क्योंकि वह अपने आप खाना नहीं खाती और किसी और को उसे खाना खिलाने की ज़रूरत पड़ती है?
आपकी बच्ची ज़रूर अपने नए स्कूल में जाने और अपना काम खुद करने को लेकर काफ़ी उत्साहित होगी। ये सही समय है जब आप उसे खुद ही खाना खाने के लिए भी उत्साहित कर सकती हैं। आमतौर पर, बच्चे 18 महीने की उम्र के बाद खुद खाना खा सकते हैं। एक चपाती को तोड़ना या प्लेट में चावल को एक जगह लेना भी उनकी फाइन और ग्रॉस मोटर स्किल के विकास में मदद करेगा। हालांकि इन सब में थोड़ा समय लगेगा और आपको थोड़ा सब्र भी रखना होगा, इसलिए जब आप उसे खुद खाने के लिए प्रोत्साहित कर रहीं हों, उस समय कोशिश करें कि उसे ऐसा खाना पैक करके दें जिसे उठाकर खाना आसान हो। चूंकि वो लगभग अपना आधा दिन वहां बिता रही होगी, आपको उसे दोपहर के खाने के लिए लंच बॉक्स और शाम के लिए स्नैक बॉक्स देना होगा। आप उसे छोटे आकार की चपाती, उबले हुए अंडे, सब्ज़ी डाले हुए पराठे वगैरह को लंच के लिए पैक कर दे सकती हैं। अगर आप उसे चावल देना चाहती हैं मगर नहीं जानती कि वो उसे संभाल पाएगी या नहीं, तो उसका एक अच्छा तरीका है कि आप चावल को सब्ज़ी के साथ कटलेट बना कर दे सकती हैं। तो बस इतना ध्यान रखें कि उनके खाने के साथ नई-नई चीजें आज़माती रहें और हर दिन उसे ऐसा भोजन दें जो आप फिंगर फूड (बिना चम्मच की मदद से खाना) के रूप में बनाती हैं।
2. मेरा बेटा 2 साल का है और मैं एक लंबे मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) के बाद दोबारा ऑफ़िस जॉइन करने वाली हूं, इसलिए वो अपना सारा दिन डे-केयर में बिताएगा। मुझे उसके टिफिन बॉक्स में क्या पैक करना चाहिए? मैं इस बात को लेकर परेशान हूं कि उसे सही मात्रा में वो पोषण नहीं मिल सकेगा जो उसे घर पर होते हुए मिलता था।
प्रिय पाठक, यह सिर्फ़ एक भ्रम है कि अगर आपका बच्चा डे-केयर में है तो उसको ज़रूरत के मुताबिक पोषण नहीं मिलेगा। उसे क्या पोषण मिलेगा ये इस पर निर्भर करेगा कि आप उसके डे-केयर बॉक्स में क्या पैक करती हैं। एक पौष्टिक और संतुलित डे-केयर बॉक्स बनाने के लिए आपको यहां दिए गए फ़ूड ग्रुप में से खाने के सामान को चुनने की ज़रूरत है: अनाज और बाजरा , दालें, दूध और डेरी प्रॉडक्ट, सब्ज़ियां (खासकर हरी पत्तेदार सब्ज़ियां) और फल। ये सारे फ़ूड ग्रुप कैल्शियम, प्रोटीन, फ़ाइबर, विटामिन, और आयरन जैसे मिनरल की ज़रूरतों को पूरा करेंगे। अब आपको एक समय के खाने में सारे फ़ूड ग्रुप को शामिल करने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि वो सारा दिन डे-केयर में रहेगा, उसे कम से कम एक समय का भोजन (लंच) और दो समय के लिए पौष्टिक स्नैक्स की ज़रूरत पड़ेगी। अपने सारे फ़ूड ग्रुप को इन तीन समय के भोजन में बांट दीजिए। तो एक दिन के मेन्यु का उदाहरण जिसमें सभी फ़ूड ग्रुप शामिल होते हैं, वो कुछ ऐसा हो सकता है - स्नैक के लिए एक केला, धनिया हम्मस डिप के साथ वेजिटेबल स्टिक, लंच के लिए बाजरा मेथी थेपला और एक उबला हुआ अंडा। साथ ही, आप ये भी याद रखें कि वो अपने दो मील: सुबह का नाश्ता (ब्रेकफास्ट) और रात का खाना (डिनर) घर पर करता है, तो आप घर पर वो फ़ूड ग्रुप शामिल कर सकती हैं जिसे आपका बच्चा डे-केयर में नहीं खा पाया था।
3. मेरी 5 साल की बच्ची 3 बजे अपना स्कूल ख़त्म करने के बाद डे-केयर में जाती है। जब हम उसे 7 बजे वहां लेने जाते हैं तब तक वो वहीं रहती है। मैं उसे लंच बॉक्स में खाने को क्या दे सकती हूं जो शाम तक खराब ना हो?
जी हां, सुबह में खाना बनाना और ये उम्मीद करना की खाना शाम तक ताज़ा रहे, ये किसी चुनौती से कम नहीं होता है। आप ऐसी चीजे़ं पैक करके देना चाहती होंगी जो खराब ना हो। घर का बना हुआ पौष्टिक कैरट मफिन या खाखरा या पोडी इडली (छोटे टुकड़ों में कटी हुई इडली और उस पर मसाला पाउडर डाला हुआ) या सूखे मेवे (ड्राई फ़्रूट) या पिन्नी या फिर बिना सिका हुआ ताज़ा चीज़ सैंडविच अच्छा चुनाव हो सकता है। आप उसके लिए भूना हुआ मखाना या भूनी हुई मूंगफली और बादाम के साथ सूखी भेल भी पैक कर सकती हैं। आप उसे पिसे हुए खजूर, बादाम, तिल, अखरोट, और किशमिश का फ़्रूट बार बनाकर दे सकती हैं। इन स्नैक्स की सबसे अच्छी बात ये होती है कि आप इन्हें एक दिन पहले या वीकेंड में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बनाकर पूरे हफ़्ते इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर उस डे-केयर में दूध नहीं दिया जाता है तो आप उसे एक थरमस फ्लास्क में बटरमिल्क या लस्सी पैक करके भी दे सकती हैं। ये उसकी दूध की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। मगर दूध को थरमस फ्लास्क में ना डालें क्योंकि वहां वो खराब हो सकता है। आप उसे सेब, नाशपाती, अंगूर, या संतरे जैसे फल भी दे सकती हैं जिन्हें काटने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती और जो जल्दी खराब भी नहीं होते हैं।
4. मेरे 4 साल के बच्चे को फल बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैं घर पर तो उसे किसी भी तरह खिला देती हूं मगर जब मैं उसे बॉक्स में पैक करके देती हूं तब वो बहुत नखरे करता है। मगर उसे फल के जूस काफ़ी पसंद हैं। क्या मैं घर में फल का जूस निकालकर उसे एक थरमस में पैक करके डे-केयर के लिए दे सकती हूं?
बच्चों को अपने-आप फल खाने के लिए मनाना काफ़ी चुनौती भरा हो सकता है। भले ही, आप जूस को घर पर निकालती हैं, लेकिन फल की जगह उसका जूस देना एक अच्छा आइडिया नहीं है। हाल ही कि स्टडीज़ से पता चला है कि बिना शक्कर डाले हुए 100% शुद्ध फल के जूस भी पौष्टिक नहीं होते और इन्हें मोटापे के साथ भी जोड़ा गया है। जूस निकालने से फल के सारे पौष्टिक तत्व जैसे फ़ाइबर भी इनके साथ निकल जाते हैं। उन्हें मौसमी फल खिलाना शुरू करें और हो सकता है धीरे धीरे-उन्हें ये पसंद आने लगे। उनके साथ बैठकर खाने और फलों को अलग-अलग आकार में काटने से भी उन्हें इसे खाने का मन करेगा। आपके बच्चे को हर दिन लगभग 100 ग्राम फल खाने की ज़रूरत होती है इसलिए एक छोटा केला और आधा सेब उसकी एक दिन की ज़रूरत को पूरा कर सकता है।