मीठे खाद्य पदार्थ ना सिर्फ शरीर को तुरंत ऊर्जा देते हैं बल्कि ये किसी भी त्यौहार या ख़ास मौके का ज़रूरी हिस्सा होते हैं। बहुत से बच्चों और और बड़ों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है। हालाँकि, शुगर में हमेशा खाली कैलोरी होती है जो हमें फ़ायदे से ज़्यादा नुकसान पहुँचा सकती है। अगर आपके बच्चे बहुत ज़्यादा मात्रा में मीठा खाते हैं, तो फिर आपको उसके खाने पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है।

इस आर्टिकल में आप को यह बताया जा रहा है कि ज़्यादा शुगर आपके बच्चे की सेहत के लिए अच्छी क्यों नहीं है और आप उसका शुगर खाना कैसे कम कर सकते हैं।

आपको अपने बच्चे का शुगर खाना क्यों कम करना चाहिए?

बहुत ज़्यादा शुगर खाने से कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं, जिसमें दाँतों की समस्या से लेकर मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज़ और दिल से जुड़ी बीमारियाँ शामिल हैं। अगर छोटे बच्चे को शुगर की वजह से कोई बीमारी या समस्या शुरू हो जाती है तो कभी कभी यह जीवन भर पीछा नहीं छोड़ती है। बाज़ार में मिलने वाले बहुत से खाद्य पदार्थों में अलग से शुगर मिलाया जाता है, जिसके बारे में हमें जानकारी नहीं होती है। इस तरह के खाद्य पदार्थ शरीर को केवल कैलोरी ही देते हैं और इनसे किसी तरह का पोषण नहीं मिलता है।

शुगर के प्रकार

हम जो शुगर खाते हैं वह बहुत तरह की हो सकती है। उनमें से ज़्यादा उपयोग में आने वाली शुगर है :

  1. सफ़ेद चीनी - इसे टेबल शुगर भी कहा जाता है। इसमें 99.9 % सुक्रोज़ होता है। इसके एक चम्मच में 16 किलोकैलोरी होती है जो कि खाली कैलोरी होती है और इसमें पोषक तत्व बिलकुल भी नहीं होते हैं।

  2. ब्राउन शुगर- इसे न्यूनतम प्रोसेसिंग के ज़रिए बनाया जाता है, इस तरह इसमें मोलासेस (रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान कच्ची चीनी से मिलने वाला गाढ़ा, गहरा भूरा रस) बना रहता है, या फिर इसे मोलासेस और सफेद चीनी मिलाकर बनाया जाता है। एक चम्मच ब्राउन शुगर में 12 किलोकैलोरी होती है और इसमें आयरन, कुछ मात्रा में पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम भी पाया जाता है।

  3. गुड़ - इसे बनाने के लिए गन्ने का रस निकाला जाता है और फिर रस को गर्म करके उसका क्रिस्टल बनाया जाता है जो बाद में ब्लॉक या गुड़ के रूप में जम जाता है। गुड़ में थोड़ी मात्रा में विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम होता है। इंडियन फ़ूड कम्पोज़िशन टेबल, 2017 के मुताबिक, प्रति 10 ग्राम गुड़ में 35 किलोकैलोरी होती है। यह खून को शुद्ध करने, मेटाबोलिज़्म (उपापचय), नर्वस सिस्टम के ठीक तरह से काम करने में मदद करता है, सर्दी खाँसी से भी राहत दिलाता है और इसे एक अच्छा क्लींज़िंग एजेंट भी माना जाता है।

  4. शहद - शहद का ज़्यादातर हिस्सा फ्रुक्टोज़ और बाकी का हिस्सा ग्लूकोज़ और पानी से बना होता है। यह कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, विटामिन बी व सी और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है। एक चम्मच शहद में 20 किलोकैलोरी होती है। यह कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड, ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है और इससे सर्दी खाँसी जैसी बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं। लेकिन इसका बहुत ज़्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है।

शुगर के स्रोत

सोडा, फ्रूट पंच, मीठी कॉफी और एनर्जी ड्रिंक जैसे पेय पदार्थ, मीठा अनाज, कैंडी, चॉकलेट, फ्लेवर वाले दही, केक, पेस्ट्री और कुकीज़ आदि कुछ ऐसे आम खाद्य पदार्थ हैं जिनमें शुगर मौजूद होती है।

साबुत अनाज, ग्रेनोला, इंस्टेंट दलिया, फ्रोज़न फूड (ठंडे तापमान पर सुरक्षित किए गए खाद्य पदार्थ), प्रोटीन और सीरियल बार, पास्ता सॉस, सूखे और डिब्बाबंद फल, बेबी फूड, केचअप और अन्य मसाले आदि कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें शुगर होती है लेकिन हमें इस बारे में पता ही नहीं होता है।

मज़ेदार बात यह है कि, किसी पैक पर इंग्रीडिएंट लेबल में शुगर के 50 से ज़्यादा अलग-अलग नाम लिखे हो सकते हैं। उनमें से कुछ सामान्य नाम हैं - केन शुगर, इवोपरेटेड केन जूस, कॉर्न सिरप, हाई फ़्रक्टोज़ कॉर्न सिरप, रॉ शुगर, क्रिस्टल सॉलिड, ब्राउन शुगर, शहद, मैपल सिरप, ब्राउन राइस सिरप, इत्यादि। बच्चों को , जिन्हें दिन में सिर्फ 1200 से 1400 किलो कैलोरी की ज़रूरत होती है, उन्हें एक दिन में 7 से 8 छोटे चम्मच (यानि कि 30 से 35 ग्राम) से कम शुगर लेनी चाहिए।

अपने बच्चे के डाइट से शुगर कम करने के शानदार तरीके

अगर आपको इस बात की चिंता हो रही है कि आपके बच्चे बहुत ज़्यादा शुगर का सेवन कर रहे हैं, तो यहाँ हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनसे आप उनकी शुगर खाने की मात्रा को कम कर सकते हैं :

  1. बच्चों के मीठा खाने की आदत को कम करने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप उसके आहार में कम शुगर वाला भोजन शामिल करें। जब भी आप किराने का सामान खरीदने जाएँ, तो पैक पर लिखा लेबल ज़रूर पढ़ें और उसमें शुगर व उसके कई उपनाम देखें।

  2. बच्चों को खिलाने के लिए ऐसी सब्जियाँ और फल (जैसे कि केला, शकरकंद और सेब) बेक करने या पकाने चाहिए जो प्राकृतिक रूप से मीठे होते हैं। आप अपने बच्चे के भोजन में कुछ मीठा मिलाने के लिए उन्हें ओट्स में मसला हुआ केला डाल कर भी दे सकते हैं।

  3. एक अच्छा और स्वस्थ पेय पदार्थ सादा पानी, दूध, बिना शक्कर की चाय आदि सेहतमंद पेय पदार्थ साबित होते हैं। आप चाहे तो पानी में कुछ फल या बूटियाँ भी मिला सकते हैं जिससे यह स्वाद में भी अच्छा लगेगा। सॉस और इस तरह की दूसरी चीज़ों को घर पर ही बनाने की कोशिश करें, ताकि आप इन चीजों में डाली जाने वाली शुगर को अपने बच्चे के आहार में जाने से रोक सकें।

  4. भले ही ताज़े फलों के रस में अलग से कुछ मीठा नहीं डाला जाता है, लेकिन इसमें प्राकृतिक रूप से मौजूद शुगर से हमारे शरीर को अतिरिक्त कैलोरी मिलती है। आप बाज़ार में मिलने वाले पैक जूस के बदले अपने बच्चे को घर पर बनाया हुआ ताज़ा जूस पिला सकते हैं।

    एक साल से कम उम्र के बच्चे को जूस बिलकुल भी नहीं देना चाहिए। बड़े बच्चों को बहुत ही कम मात्रा में जूस दें, क्यूंकि लगातार जूस देने पर उनके दाँत खराब हो सकते हैं। बच्चों को सिर्फ खाने के समय ही जूस दें और खाना ख़त्म हो जाने के बाद बचे हुए जूस को वहां से हटा दें।

  5. अगर आपके बच्चे के अभी दूध के दाँत हैं, तो उसे ताजे फल, फ्रोज़न फल, घर की बनी फ्रूट स्मूदी, मेवे, पीनट बटर के साथ सेब के छोटे छोटे टुकड़े, घर के बने ग्रेनोला आदि जैसे प्राकृतिक रूप से मीठे स्नैक्स देने चाहिए। अगर आपके बच्चे को कुछ मीठा खाना है तो उसे एक कैंडी के बदले एक कप दही या अनाज दें, जो उसके सेहत के लिए बहुत अच्छा भी रहेगा और मीठा खाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।

  6. माता-पिता अपने बच्चे के रोल मॉडल भी होते हैं। इसलिए, अगर आप एक स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाएंगे, तो आपके बच्चे भी ऐसा करेंगे ।

  7. बच्चों को पूरी तरह से शुगर-फ्री डाइट देना भी सही नहीं है। इसलिए आप रोज़ उन्हें मीठे के लिए ताज़े फल और सब्ज़ियाँ दें और किसी ख़ास मौके पर ही मिठाइयाँ दें।

खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स

ग्लाइसेमिक इंडेक्स से आप यह माप सकते हैं कि एक ख़ास खाद्य पदार्थ आपके खून में शुगर की मात्रा को कितना जल्दी बढ़ा देता है। खाद्य पदार्थों को 0 से 100वें स्थान तक रखा गया है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स का ज़्यादा लेवल यह दर्शाता है कि आपके उस खाद्य पदार्थ में प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा कितनी ज़्यादा है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे अवशोषित होते हैं, जिस कारण शुगर खून में धीरे-धीरे रिलीज़ होती है। इसलिए अपने बच्चे को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन देने से उनका पेट बहुत देर तक भरा रहेगा। इससे उनका स्वस्थ वजन बना रहेगा।