पैकेट वाली हर खाने की चीज़ पर लगे लेबल की एक खास वजह होती है। इससे आपको प्रॉडक्ट की पौष्टिकता के बारे में पता चलता है। पर ये लेबल आसानी से समझ नहीं आते, ये काफी उलझाने वाले होते हैं। यही वजह है कि हम में से बहुत से लोग इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि किसी चिप्स, बिस्कुट, दही के कप या आइसक्रीम के पैकेट पर क्या लिखा हुआ है। लेकिन इन लेबल को पढ़ना ज़रूरी है, खासकर तब, जब आप चीज़ों को घर के बच्चे या किसी बीमार सदस्य के लिए खरीद रहे हैं।
नीचे बताया गया है कि खाने की चीज़ों के पैकेट पर लगे इन लेबल का क्या मतलब होता है।
फ़ूड लेबल क्या है? पैकिंग वाली खाने की चीज़ों के लेबल पर क्या-क्या लिखा होना चाहिए?
पैकेट पर लगे फ़ूड लेबल में उस प्रॉडक्ट की पूरी जानकारी दी होती है। यह निर्माता और उपभोक्ता के बीच एक संपर्क बनाने के साथ-साथ खरीदारी का फ़ैसला करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ़एसएसएआई) भारत की एक सरकारी संस्था है, जो खाने की चीज़ों और उनकी पैकेजिंग और लेबलिंग से जुड़े मानकों को तय करता है। यह भारत में बिकने वाले खाद्य पदार्थों में एकरूपता लाने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
खाने के पैकेट पर नीचे दी गई ज़रूरी जानकारियाँ होनी चाहिए:
- खाने की चीज़ का नाम - इससे पैकेट के अंदर मौजूद खाने की चीज़ की जानकारी मिलनी चाहिए।
- सामग्री की जानकारी: यह उन चीज़ों के बारे में बताएगा, जिनका इस्तेमाल प्रॉडक्ट को बनाने में किया गया है। यह उनके वजन के हिसाब से घटते क्रम में होने चाहिए। अगर किसी सामग्री की जानकारी पैकेट पर खासतौर से दी गई है, तो उसकी मात्रा भी पैकेट पर बताई जानी चाहिए।
- पोषक तत्वों से जुड़ी जानकारी: यह लेबल का एक ज़रूरी हिस्सा होता है क्योंकि इसके उपभोक्ता सेहतमंद चीज़ों का चुनाव कर सकते हैं। यहाँ, प्रॉडक्ट में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा, कैलोरी में लिखी हुई होती है और साथ ही इसमें फ़ैट, सैचुरेटेड फ़ैट, ट्रांस फ़ैट, कॉलेस्ट्रॉल, कार्बोहाइट्रेट, शुगर, प्रोटीन और सोडियम, माइक्रोन्यूट्रिएंट (ये वो पोषक तत्व होते हैं जिनकी ज़रूरत हमारे शरीर को कम मात्रा में होती है), फ़ाइबर आदि तत्वों की जानकारी भी होती है।
- शाकाहार या मांसाहार की जानकारी: उपभोक्ता, पैकेट पर बने बिंदु के साइन को देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि वह चीज़ मांसाहारी है या शाकाहारी। हरे रंग के बिंदु का मतलब शाकाहारी और लाल रंग के बिंदु का मतलब मांसाहारी होता है। यह जानकारी देना अनिवार्य है।
- फ़ूड ऐडिटिव की जानकारी: ऐडिटिव वे तत्व होते हैं, जिन्हें खाने की चीज़ को खराब होने से बचाने, उनका स्वाद बढ़ाने और अच्छा दिखाने के लिए, उनमें मिलाया जाता है।यह जानकारी पैकेट पर ज़रूर होनी चाहिए।
- सर्विंग साइज़ - पैकेट पर दी गई सर्विंग साइज़ से यह पता चलता है कि आमतौर पर कितने लोगों को और कितनी मात्रा में इसे परोसा जा सकता है।
- निर्माता का नाम और पूरा पता - यह जानकारी भी पैकेट पर होनी ज़रूरी है। इस जानकारी के बिना प्रॉडक्ट को बाज़ार में सही नहीं माना जाएगा।
- एलर्जी की जानकारी- ऐसी चीज़ें, जो किसी भी तरह की एलर्जी की वजह बन सकती हैं, उनकी जानकारी पैकेट पर होनी ज़रूरी है। उदाहरण के लिए- फलियाँ, गेहूँ, दूध, सोया और अंडे।
- नेट क्वांटिटी (सही मात्रा) - यहाँ तैयार की गयी चीज़ की अनुमानित मात्रा या वजन की जानकारी होती है।
- लॉट/कोड/बैच नंबर- यह पहचान करने के लिए होता है, जिससे प्रॉडक्ट को बनाने के दौरान उसका पता लगाया जा सके और डिस्ट्रिब्यूशन के दौरान उसकी पहचान की जा सके।
- निर्माण की तारीख - प्रॉडक्ट को बनाने के दिन, महीने और वर्ष की जानकारी पैकेट पर होनी चाहिए।
- बेस्ट बिफ़ोर और यूज़ बाय डेट (इस्तेमाल करने की आखिरी तारीख)- यहाँ उस तारीख की जानकारी होती है, जिससे पहले प्रॉडक्ट को इस्तेमाल करना सुरक्षित होता है।
- जिस देश में बनाया गया- अगर भारत में प्रॉडक्ट का आयात हुआ है, तो जिस देश में उसे बनाया गया है, उसकी जानकारी पैकेट पर होनी चाहिए।
- स्टोरेज कंडीशन- प्रॉडक्ट को किस कंडीशन में रखना चाहिए, इसकी जानकारी पैकेट पर होनी चाहिए।
- इस्तेमाल करने के निर्देश- प्रॉडक्ट को बेहतर ढंग से कैसे इस्तेमाल करें, इसकी जानकारी पैकेट पर होनी चाहिए।
पैकेट वाली खाने की चीज़ों के लेबल को पढ़ना क्यों ज़रूरी है?
फ़ूड लेबलिंग, किसी भी चीज़ के निर्माण के लिए बेहद अहम होती है। खाने की चीज़ की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार, प्रॉडक्ट के निर्माता और उपभोक्ता सभी पर बराबर होती है। इससे, एक उपभोक्ता के तौर पर, आपको खरीदी गयी चीज़ के बारे में पूरी जानकारी मिलती है। आप लेबल पर दी गई जानकारी (जैसे समाप्ति की तारीख, निर्देश और एलर्जी की चेतावनी) को ठीक से पढ़कर खाने की चीज़ से होने वाली बीमारियों और एलर्जी से बच सकते हैं।
लेबल पर लिखी जानकारी को पढ़ कर आप उन चीज़ों को लेने का फैसला कर सकते हैं जो आपके परिवार के लिए सबसे ज़्यादा पौष्टिक हो। पैकेट पर दी गयी जानकारी जैसे कि प्रॉडक्ट को बनाने में इस्तेमाल की गयी सामग्री और एलर्जी की जानकारी उन लोगों के लिए बहुत अहम होती है जिन्हें किसी तरह की फ़ूड एलर्जी हो या धार्मिक आस्था के चलते कुछ चीज़ों को खाने से परहेज करते हों या कोई और स्वास्थ्य समस्या हो। सर्विंग साइज़ आपको आमतौर पर एक बार में परोसी जाने वाली खाने की मात्रा के बारे में बताती है, इससे आप ज़्यादा फैट, नमक और चीनी वाली चीज़ों के ज़्यादा इस्तेमाल से बच सकते हैं। स्टोरेज कंडीशन और बेस्ट-बिफ़ोर /यूज़ बाय की जानकारी खाने को ठीक से स्टोर करने और उसे इस्तेमाल करने की आखिरी तारीख के बारे में बताती है, इससे खाने की बर्बादी को रोका जा सकता है।
फ़ूड लेबल को समझने के तरीके: ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाएँ
फ़ूड लेबल को समझना थोड़ा मुश्किल होता है, खासकर तब, जब आप पैकेट वाली चीज़ों को अपने रोज़ाना के खाने में सेहतमंद तरीके से शामिल करना चाहते हैं। नीचे कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप फ़ूड प्रॉडक्ट के लेबल को आसानी से समझ पाएँगे!
- सामग्री की लिस्ट को अच्छे से पढ़ें - प्रॉडक्ट में इस्तेमाल की गयी सामग्री उसके वजन के हिसाब से घटते क्रम में होती है और इसलिए प्रॉडक्ट को समझने और उसे खाने से होने वाले फ़ायदे को जानने के लिए शुरुआत की तीन सामग्रियों को अच्छे से पढ़ें। उदाहरण के लिए, अगर शुरुआती तीन समाग्रियों में रिफ़ाइंड ग्रेन, शुगर, हाइड्रोजेनेटेड फ़ैट हैं, तो यह उन चीज़ों की तुलना में आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है, जिन्हें कम खाना सेहत के लिए ठीक माना जाता है।
- पैकेट पर दिए गए एलर्जी से जुड़े सुझाव को अच्छे से पढ़ें।
- परोसी जाने वाली मात्रा अहम है - परोसने की मात्रा बताती है कि आमतौर पर एक बार में इसे कितना खाना चाहिए और इससे कितनी कैलोरी मिलेगी। इससे आपको सही खाने में मदद मिलेगी। यह आपको लेबल पर सबसे ऊपर मिलेगा, जहाँ एक बार में परोसी जाने वाली मात्रा और कुल परोसी जाने वाली मात्रा के बारे में दिया होता है।
- कैलोरी का पता लगाएँ- लेबल का कैलोरी सेक्शन, फ़ैट और खाने की प्रति सर्विंग से मिलने वाली कैलोरी की जानकारी देता है। याद रखें कि कैलोरी एनर्जी की वह मात्रा है जो आपको किसी चीज़ को एक बार खाने से मिलती है।
- फ़ैट को कम करें - अच्छे और बुरे दोनों तरह के फ़ैट की जानकारी के लिए फ़ूड लेबल को देखें। खाने में सैचुरेटेड फ़ैट, ट्रांस फ़ैट और कोलेस्ट्रॉल जैसे तत्वों का पता लगाएँ क्योंकि इन्हें ज़्यादा खाना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सेहतमंद खाने के लिए ज़रूरी है कि खाने में कोलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम से कम हो और ट्रांस फ़ैट बिल्कुल भी न हो। साथ ही उन चीज़ों के इस्तेमाल से बचें, जिनके लेबल पर ‘आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत तेल’ लिखा हुआ हो। ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल करें, जिनमें हैल्दी फ़ैट होता है जैसे कि सूरजमुखी, कनोला या जैतून का तेल।
- अलग से मिलाई गई शुगर (ऐडिड शुगर) की मात्रा का ध्यान रखें- ऐडिड शुगर में पोषक तत्व नहीं होते हैं, इसमें केवल साधारण कार्बोहाइड्रेट होता है। शुगर का ज़्यादा इस्तेमाल आपके खाने को असंतुलित करके आपके शरीर में खाली कैलोरी की मात्रा बढ़ा देता है और इससे आपके खून में मौजूद शुगर भी बढ़ जाता है।
- नमक/ सोडियम की मात्रा का ध्यान रखें क्योंकि इसका ज़्यादा इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक है।
- आपको फ़ाइबर, प्रोबायोटिक और माइक्रोन्यूट्रिएंट जैसे अतिरिक्त पोषक तत्वों पर भी ध्यान देना चाहिए। प्रोटीन, डाइटरी फ़ाइबर, विटामिन और मिनरल ऐसे पोषक तत्व हैं, जिनसे आपको फ़ायदा होगा। इनकी आपको रोज़ाना ज़रूरत होगी। जैसे कि, कैल्शियम आपकी हड्डियों और दाँतों को मज़बूत बनाता है और पेट साफ़ रखने के लिए फ़ाइबर बेहद ज़रूरी है।
- % आरडीए पैनल: हर फ़ूड लेबल के नीचे रेकमेंडेड डाइटरी अलाउंस (% आरडीए) की जानकारी होती है। इस पैनल पर एक व्यक्ति द्वारा एक दिन में लिए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा की जानकारी होती है। यहाँ पर ध्यान रखने वाली दो बातें हैं:
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अगर प्रॉडक्ट में किसी पौष्टिक तत्व की मात्रा आरडीए का 5% या उससे कम दी गई है, तो इसका मतलब है कि उसमें पोषण की मात्रा कम होगी।
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अगर प्रॉडक्ट में किसी पौष्टिक तत्व की मात्रा आरडीए का 20% या उससे ज़्यादा दी गई है, तो इसका मतलब है कि उसमें भरपूर पोषण होगा।
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तो, अब आप पूछेंगे कि इससे क्या फ़ायदा है? जब आप अलग-अलग ब्रांड के एक जैसे प्रॉडक्ट की तुलना, उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर करते हैं, तो सही प्रॉडक्ट चुनने में आरडीए आपकी मदद करता है।
कुल मिलाकर फ़ूड लेबल को पढ़ना और इसे समझना बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि यह सही चीज़ चुनने में आपकी मदद करता है। तो अब आप पैकेट पर दिए लेबल को समझना शुरू करें।