आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना ही होगा कि "सुबह का नाश्ता दिन का सबसे ज़रूरी खाना होता है" और वे सच ही कहते हैं, नाश्ता सबसे ज़रूरी भोजन है भी! नाश्ते को अंग्रेज़ी में "ब्रेकफ़ास्ट" कहते हैं यानी कि आप रात भर सोने के बाद सुबह अपना उपवास तोड़ते हैं यानी नाश्ता करते हैं। एक पोषक नाश्ता आपके शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा सही करता है ताकि आप पूरे दिन ऊर्जावान रह सकें। आपको ऊर्जा देने के अलावा, नाश्ते से आपको ज़रूरी पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी, प्रोटीन और फाइबर भी मिलते हैं। शोध से पता चलता है कि अगर नाश्ते में ये पोषक तत्व नहीं होंगे तो बाक़ी दिन भर के भोजन से भी इनकी कमी पूरी कर पाने की संभावना कम हो जायेगी। एक पैरेंट के तौर पर, आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप अपने बच्चों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण बनें ताकि बच्चे आपकी खान-पान की स्वस्थ आदतों को अपनी जीवनशैली में भी अपना सकें। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे रोज़ सुबह पौष्टिक नाश्ता खाएं तो आपको खुद भी रोज़ सुबह नाश्ता ज़रूर करना चाहिए।

सेहतमंद नाश्ते के फ़ायदे:

सुबह पौष्टिक नाश्ता करने का सीधा और सकारात्मक असर आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। सुबह के नाश्ते से आपको ज़रूरी पोषण भी मिलता है और शरीर का वज़न भी सही रहता है। वहीं दूसरी तरफ, नाश्ता ना करने के नुक्सान ये हो सकते हैं:

  • ज़्यादा बीएमआई,
  • अत्यधिक स्नैक्स खाने की संभावना
  • पोषण की कमी का ख़तरा

एक पैरेंट के तौर पर, सुबह का नाश्ता ना करने के नुक्सान के बारे में पता रखना बहुत ज़्यादा ज़रूरी है क्यूंकि सुबह नाश्ता ना करने वाले बच्चे हमेशा थके हुए, चिड़चिड़े और बेचैन रहते हैं। समय के साथ, बच्चों में यह आदत और बढ़ जाएगी तथा वे खाने के साथ अच्छा रिश्ता कायम नहीं कर पाएंगे। उनकी खान-पान की आदतों में पौष्टिक खाने की जगह ज़्यादा हिस्सा ऐसे स्नैक्स का होगा हो स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल फ़ायदेमंद नहीं होते हैं। नाश्ता ना करने वाले बच्चों का स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहता है और उनमें विभिन्न बीमारियों का ख़तरा भी होता है। वहीं, जो बच्चे रोज़ सुबह सेहतमंद नाश्ता करते हैं, वे:

  • ऊर्जावान और तंदरुस्त रहते हैं
  • शारीरिक वज़न के मामले में स्वस्थ रहते हैं
  • हर काम पर बेहतर ढंग से ध्यान दे पाते हैं
  • मानसिक तौर पर स्वस्थ रहते हैं और उनकी याद्दाश्त भी तेज़ होती है
  • स्कूल की छुट्टियां कम करते हैं
  • सेहतमंद खाने के विकल्पों में से चुनते हैं
  • सेहतमंद नाश्ता कैसे बनायें?

    असल में, फिल्मों में आप जैसा नाश्ता देखते हैं वैसा नाश्ता रोज़ सुबह बना पाना मुमकिन नहीं है। हालाँकि, इसका यह मतलब नहीं है कि अगर आप फिल्मों जैसा नाश्ता नहीं बना पाते हैं तो आप नाश्ता करेंगे ही नहीं! एक सेहतमंद नाश्ता हमेशा पारंपरिक भोजन ही हो, ऐसा ज़रूरी नहीं है बल्कि आप रात के बचे खाने से भी पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता झटपट बना सकते हैं। जब तक आपके नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा है, आपको आराम से ज़रूरी पोषण मिल जायेगा। कार्बोहाइड्रेट से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है, जब यह ऊर्जा ख़त्म हो जाएगी तो प्रोटीन से आपको पर्याप्त ऊर्जा और फाइबर से पर्याप्त संतुष्टि मिलेगी। आपका पेट लम्बे समय तक भरा रहेगा और पाचन भी सही होगा। इन पोषक तत्वों के प्रमुख स्रोत हैं:

  • कार्बोहाइड्रेट: साबुत अनाज, भूरे चावल, रोटी या पराठा, साबुत अनाज वाली ब्रेड, मफिन, फल और सब्ज़ियां
  • प्रोटीन: कम या बिना फैट वाले डेरी उत्पाद, पतला मांस, अंडे, मेवे, मेवे के मक्खन (नट बटर), सीड्स (बीज)
  • फाइबर: साबुत अनाज की ब्रेड, वॉफल, दलिया, भूरे चावल, अनाज, बाजरा, फल, सब्ज़ियां, फलियां, और मेवे

अगर आप चाहते हैं कि आपको और आपके परिवार को रोज़ पौष्टिक नाश्ता मिले तो इसके लिए पहले से ही पूरी तैयारी रखनी होगी। ये सुझाव काम आएंगे:

  • रसोई में सेहतमंद नाश्ते के विकल्प रखें
  • एक रात पहले जितनी ज़्यादा हो सके उतनी तैयारी करके रखें (बर्तन धो लें, फल काट लें आदि)
  • बच्चों को सुबह जल्दी जागने के लिए प्रोत्साहित करें
  • बच्चों को नाश्ता बनाने और प्लान करने में मदद करने को कहें (उनके विचारों को सुनें और देखें कि उस नाश्ते को पौष्टिक कैसे बनाया जा सकता है)
  • तुरंत खाने वाले नाश्ते के विकल्प भी रसोई में रखें (जैसे ताज़ा साबुत फल, साबुत अनाज के पैकेट, कम चीनी वाला दलिया, दही या स्मूदी आदि)

नाश्ता एक ऐसा भोजन है जो रोज़ खाना ही चाहिए। बच्चों को नियमित रूप से पौष्टिक नाश्ता खिलाकर आप उन्हें सेहतमंद खाने की आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं। आपको यह भी याद रखना चाहिए कि आपकी आदतें भी बच्चों को बहुत हद तक विभिन्न खाद्य पदार्थ खाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इसीलिए आपको खुद भी सेहतमंद आहार ही खाना चाहिए ताकि बच्चे भी ऐसी ही आदतें अपना सकें। वैसे भी, यह दोनों के लिए फ़ायदेमंद है।