किसी बच्चे के सेहतमंद विकास के लिए उसका सही मात्रा में तरह-तरह के स्वस्थ और पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाना बहुत ज़रूरी होता है और माता -पिता को भी इस बात का ध्यान रखने की ज़रूरत है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आपके द्वारा संतुलित आहार बनाने के बाद भी बच्चे सारा खाना खाने से मना कर देते हैं। ऐसा ख़ास तौर पर तब होता है जब बच्चे कुछ विशेष चीज़ें ही खाना चाहते हैं या उनकी खाने की आदतें ख़राब हो जाती हैं। सिर्फ एक ही तरह का खाना खाने की आदत को फूड जैग कहा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा हर बार खाने में उबले आलू ही खाना चाहता है तो इसे फूड जैग कहेंगे।
खाने की ऐसी आदतों को किसी गंभीर बीमारी के लक्षण या मनोवैज्ञानिक परेशानी नहीं माना जा सकता है। ये बचपन का सामान्य हिस्सा है क्योंकि ऐसा करके बच्चे अपनी मर्ज़ी दिखाना चाहते हैं। हालाँकि अगर यह आदत लंबे समय तक बनी रहती है तो इससे बच्चों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
एक ही तरह का खाद्य पदार्थ खाने की आदत : इससे कैसे पीछा छुड़ाएँ
अगर आपके बच्चे हर आहार में सिर्फ एक ही तरह का खाद्य पदार्थ खाना चाहते हैं, तो आप को उन्हें अलग-अलग तरह के सेहतमंद आहार देने की कोशिश जारी रखनी चाहिए। वे जो खाद्य पदार्थ खाना चाहते हैं, अगर वह स्वस्थ है और उसे बनाने में ज़्यादा समय नहीं लगता है तो आपको उस खाद्य पदार्थ को दूसरी स्वस्थ चीज़ों के साथ मिलाकर देने की कोशिश करनी चाहिए। यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी और लंबी हो सकती है लेकिन आख़िरकार आपका बच्चा दूसरी चीज़ें खाना शुरू कर देगा।
अगर बच्चा जो खाद्य पदार्थ खाना चाहता है वह पौष्टिक और सेहतमंद नहीं है या उसे बनाने में ज़्यादा समय लगता है, तो उन्हें कोई दूसरा पौष्टिक खाना खाने दें। आपको यह समझना होगा अगर बच्चे की पसंद का खाना नहीं बनाते हैं तो भी वह भूखा नहीं रहेगा। अगर बच्चे नाश्ता करने से भी मना करते है, तो वे दिन भर में खुद ही कुछ न कुछ खा लेंगे। इसलिए अगर बच्चा किसी समय कम खाता है तो ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
एक ही तरह का खाद्य पदार्थ खाने की आदत से होने वाले नुकसान
लंबे समय तक सीमित तरह के खाद्य पदार्थ खाने से बच्चों को अच्छी मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है, जो शरीर के बेहतर तरीके से काम करने और सेहत के लिए नुक़सानदेह साबित हो सकता है। लंबे वक्त तक एक ही तरह का खाद्य पदार्थ खाना बच्चे की अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थ को चुनने की आदत के बजाय किसी समस्या का संकेत भी हो सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी हो जाता है। अगर बच्चे की पसंद का खाद्य पदार्थ पौष्टिक नहीं है तो उसे कुपोषण भी हो सकता है। हालाँकि आजकल नवजात शिशुओं, 1 से 3 साल के बच्चों और इससे बड़े बच्चों के लिए अलग-अलग फॉर्मूला फूड मिलते हैं जो पोषण की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। विटामिन सप्लीमेंट भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अगर आपके बच्चों में नीचे बताए गए कुपोषण के लक्षण नज़र आते हैं तो उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
ये कुपोषण के कुछ लक्षण हैं:
- त्वचा का रंग बदलना
- बालों का झड़ना
- जीभ में सूखापन और सूजन
- त्वचा का पीलापन, बहुत रूखा होना और त्वचा का मोटा होना
- मसूड़ों में आसानी से खून आना
- त्वचा में चकत्ते या खरोंच
- हड्डियों का मुलायम होना
- जोड़ों का कमज़ोर होना
- रोशनी में असहज महसूस करना
बच्चों की स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुझाव:
बच्चों की एक ही तरह का खाद्य पदार्थ खाने की आदत छुड़ाने और स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुझाव:
- आमतौर पर बच्चे वही करते हैं जो उनके माता-पिता करते हैं इसलिए आप को भी खाना खाते समय अलग-अलग तरह का पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाकर उनका रोल मॉडल बनना चाहिए।
- खाना बनाने के दौरान और फल व सब्ज़ियाँ धोने, छाँटने आदि जैसी गतिविधियों में बच्चों को भी शामिल करें।
- नाश्ते के समय बच्चों को जंक फूड नहीं देने चाहिए। आप इसकी जगह उन्हें पौष्टिक स्नैक्स जैसे कि फल, दूध, दही, चीज़, नट्स, या हम्मस के साथ कच्ची सब्ज़ियाँ दे सकते हैं। इनकी मात्रा कम रखें ताकि खाने के समय उनकी भूख पर असर ना हो।
- उनके लिए अलग से कोई चीज़ न बनाएँ। जो खाना सब लोग खा रहे हैं, बच्चों को भी वही खाना दें।
- पूरे परिवार को साथ मिलकर खाना खाने की आदत डालनी चाहिए।
- जब भी आपके बच्चों के दोस्त उनसे मिलने आएँ तो उन्हें भी पौष्टिक नाश्ता ही दें। बच्चे अपने दोस्तों से भी बहुत कुछ सीखते हैं और अगर उनके दोस्त स्वस्थ चीज़ें खाते हैं तो उन्हें देखकर वे भी ऐसी चीज़ें खाना सीखेंगे।
- बच्चे को अलग अलग रंगों और अलग-अलग बनावट का खाना दें।
- बच्चों को एक साथ ज़्यादा खाना देने के बजाय थोड़ा-थोड़ा खाना दें और उनका पेट भर जाने पर और खाना खाने के लिए दबाव ना बनाएँ।
- खाने में कम से कम एक ऐसी चीज़ शामिल करें जिसे वे पसंद करते हैं।
बच्चों की एक ही तरह के खाद्य पदार्थ खाने की आदत को सुधारना एक बेहद थका देने वाली प्रक्रिया है लेकिन बढ़ते बच्चों के साथ ऐसा होना सामान्य है। माता-पिता की देखरेख में बच्चे धीरे-धीरे अपनी इस आदत से छुटकारा पा लेते हैं और स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाना सीख जाते हैं।