जब बात आती है बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की तो भारतीय माताएँ और दुनिया भर की माताएँ भी सब्ज़ियों के गुणों को अच्छा मानती हैं। अपने बच्चों को ढेर सारा पोषण और कम कैलोरी देने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसके आहार में ज़्यादा से ज़्यादा सब्ज़ियाँ शामिल करें। सब्ज़ियों में लगभग सभी ज़रूरी विटामिन और मिनरल होते हैं और कई सब्ज़ियों में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी होते हैं जिन्हें ऊर्जा का अच्छा स्रोत माना जाता है।
ज़्यादातर सब्ज़ियों में फाइबर और फलियों में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। चूंकि सब्ज़ियों में कोलेस्ट्रॉल और फैट की मात्रा कम होती है तो इसीलिए रोजाना सब्ज़ी खाना स्वास्थ्य के लिए बेहद फ़ायदेमंद है। इसके अलावा, सब्ज़ियों से जुड़े विभिन्न भ्रम हैं जिन्हें अक्सर माता पिता सच मानते हैं। लेकिन जब बात आती है सब्ज़ियों की तो आपको यह जानना होगा कि सही क्या है और गलत क्या है ताकि आप अपने बच्चों के आहार में सब्ज़ियाँ शामिल कर उनको सही और ज़रूरी पोषण दे सकें। साथ ही सब्ज़ियों में ज़रूरी माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रीएंट की सुझाई गयी मात्रा भी होती है।
भ्रम 1: पकी सब्ज़ियों में पोषण की मात्रा कच्ची सब्ज़ियों से कम होती है
तथ्य : पकाने से सब्ज़ियों के कुछ पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं लेकिन यह सब्ज़ी पर भी निर्भर करता है कि कितना पोषण खत्म होगा और कितना नहीं। उदाहरण के लिए टमाटर को पकाने पर ही उसमें से विटामिन ए मिलता है और यह पचाने में भी आसान है। शरीर के लिए लाइकोपीन को अवशोषित करना बहुत आसान हो जाता है। यह कैंसर से लड़ने वाला एंटीऑक्सीडेंट है जो कच्चे टमाटर की तुलना में पके हुए टमाटरों में ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है। सामान्य तौर पर, सब्ज़ियों को उबालने से बेहतर है कि उन्हे भाप में या भूनकर पकाया जाये क्योंकि पानी में घुलनशील विटामिन सब्जी उबालने पर उड़ जाते हैं।
भ्रम 2: आलू खाने से बच्चे मोटे हो जाएंगे
तथ्य : यह भी सब्ज़ियों से जुड़ा एक ऐसा भ्रम है जिसे हम सच मानते हैं। असल में आलू में फैट नहीं होता है और कैलोरी की मात्रा भी कम ही होती है। बल्कि आलू पोटेशियम और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो आपके बच्चे की संतुष्टि को बढ़ा सकते हैं और उसके वजन को रोकने में मदद कर सकते हैं। सच तो यह है कि, आलू को पकाने का तरीका आपके बच्चे के वजन पर असर डालता है इसलिए, तले हुए आलू से वज़न बढ़ सकता है। हालांकि, उबला हुआ या भुना हुआ आलू कम मात्रा में खाने से वज़न बढ़ने का कोई खतरा नहीं है।
भ्रम 3: बच्चों को सब्ज़ियाँ खाना बिलकुल पसंद नहीं होता है तो उन्हें सब्ज़ियाँ खिलाएँ ही क्यूँ
तथ्य : सब्ज़ियों से जुड़े भ्रमों में से यह वाला बहुत लोकप्रिय है। लेकिन ऐसा होता नहीं है क्यूंकी कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें बड़े होकर सब्ज़ियाँ खाना बहुत पसंद आता है वहीं कुछ बच्चे अपने पसंद से गिनी चुनी सब्ज़ियाँ ही खाते हैं। बच्चों को हर तरह की सब्ज़ियाँ खिलाने के लिए आपको उन्हें उनकी पसंद की सब्जी के साथ ऐसी सब्जी देनी चाहिए जो वे नहीं खाते हैं। बच्चों को विभिन्न आकार, रंग, बनावट और टेक्सचर की सब्ज़ियाँ खिलाएँ। सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात है कि आप खुद भी अपने आहार में सब्ज़ियाँ शामिल करें और बच्चों के लिए बेहतरीन उदाहरण बनें ताकि बच्चे आपसे स्वस्थ खाना खाने के आदत सीख सकें।
भ्रम 4: अगर आप चाहते हैं कि बच्चे सब्ज़ियाँ खाएं तो उन्हें इनाम के रूप में मीठा भी खिलाना ही होगा।
तथ्य : सब्ज़ियों से जुड़ा यह भी बेहद आम और खतरनाक भ्रम है जिसे अक्सर माता पिता सच मानते हैं और अपनाते भी हैं। बच्चों को मीठी चीजों का लालच देकर सब्ज़ियाँ खिलाने से वे सब्ज़ियों को और ज़्यादा नापसंद करेंगे। ऐसा करने के बजाय बच्चों को विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियों का विकल्प दें और उन्हें खुद चुनने का मौका दें। ध्यान दें कि वे सब्ज़ियाँ ज़रूर खाएं। आप कड़वी सब्ज़ियों जैसे अंकुरित फलियों में बच्चे की पसंद के हिसाब से क्रीम चीज़ या सीजनिंग डालकर भी खिला सकते हैं।
भ्रम 5: सब्ज़ियाँ स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद हैं तो बच्चे ज़्यादा से ज़्यादा सब्ज़ियाँ खाएं तो भी कुछ नुकसान नहीं होगा।
तथ्य : बच्चों को ज़रूरत से ज़्यादा सब्ज़ियाँ खिलाना भी अच्छा नहीं है। बच्चों की भूख और उनकी क्षमता का भी ध्यान रखें कि वे कितना खाना खा सकते हैं। इसके अलावा बच्चों के आहार को संतुलित बनाने के लिए ज़रूरी है कि उनके पेट में सब्ज़ियों के अलावा अन्य चीजों के लिए भी जगह बची रहे। बच्चों को केवल सब्ज़ियाँ खिलाने से उनके शरीर में प्रोटीन और सेहतमंद फैट जैसे अन्य पोषक तत्वों की भी कमी हो सकती है। इसके अलावा ज़रूरत से ज़्यादा फाइबर खाने से पेट में गैस और पेट फूलने की तकलीफ हो सकती है।
भ्रम 6: सब्ज़ियों का जूस और स्मूदी पीना भी साबुत सब्ज़ियाँ खाने जितना ही फ़ायदेमंद है।
तथ्य : अगर आप किसी सब्जी के हर हिस्से का जूस बनाते हैं तभी इसे साबुत सब्ज़ियों जितना फ़ायदेमंद माना जाएगा क्यूंकी इसमें सभी पोषक तत्व और फाइबर बने रहेंगे। अगर आप ताज़ा सब्ज़ियों का इस्तेमाल करेंगे तो पोषक तत्वों की मात्रा और बेहतर रहेगी। सब्ज़ियों को पीसने के बाद पचाना भी बेहद आसान हो जाता है। याद रखें बाज़ार में मिलने वाले सब्ज़ियों के जूस में फाइबर नहीं होता है और जूस को प्रोसेस करने से भी उसमें मौजूद पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। तो अगर जूस में फाइबर नहीं होगा तो जूस जल्दी पच जाएगा और बच्चे के शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने के कारण बच्चे को जल्दी भूख भी लग जाएगी। हालांकि साबुत सब्ज़ियाँ खाने से आपके बच्चे का पेट लंबे समय तक भरा रहेगा और कैलोरी का स्तर भी ज़्यादा नहीं बढ़ेगा। वही दूसरी तरफ, स्मूदी में कभी कभार दूध, आर्टिफ़िशियल स्वीटनर, और प्रोटीन पाउडर भी होता है जिससे कैलोरी का स्तर बहुत तेज़ी से बढ़ता है। यह जूस जितना सेहतमंद नहीं होता है।
अगर आप अपने बच्चे को संतुलित पोषण देना चाहते हैं और सही तरीके से स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको अपने बच्चे के आहार में सब्ज़ियाँ ज़रूर शामिल करनी चाहिए। तो माता पिता के तौर पर आपको ऊपर बताए गए तथ्यों को ध्यान रखना होगा और बच्चों के सही विकास और वृद्धि के लिए सब्ज़ियाँ खिलाना शुरू करना होगा। बच्चों के लिए संतुलित आहार तैयार करते समय विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ और उनकी मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।