बच्चे को लगातार और सेहतमंद तरीक़े से बढ़ने के लिए विभिन्न मैक्रो और सूक्ष्म पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। और उनमें से एक ज़रूरी तत्व है विटामिन डी। विटामिन डी 3 के रूप में भी जाना जाता है, यह पोषक तत्व हड्डियों के मजबूत स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। यह खून में फॉस्फेट और कैल्शियम के सम्पूर्ण स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। और कैल्शियम और फॉस्फेट का सही स्तर हड्डियों के सामान्य खनिज, तंत्रिका चालन, मांसपेशियों के संकुचन और सामान्य कोशिका कार्यों के लिए आवश्यक है। विटामिन डी की मदद से आँतों में कैल्शियम सही ढंग से घुल पाता है जो हड्डियों को मज़बूत रखने के लिए ज़रूरी है। तो, क्या आप चिंतित हैं कि आपके बच्चे को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल रहा है? इस ज़रूरी पोषक तत्व के महत्व और इसकी कमियों को पूरा करने के तरीके के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।

विटामिन डी की ज़रूरत

गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी हड्डियों के विकास और भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकती है। शिशुओं और बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी की आवश्यकता होती है क्योंकि इसकी कमी के कारण हड्डी में कैल्शियम जम सकता है। साथ ही एक ऐसी समस्या भी हो सकती है जिसमें हड्डी टूटने से हड्डी के मिनरल खून में मिल सकते हैं जिससे रिकेट्स नाम की बीमारी हो सकती है। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा प्राप्त करने से शिशुओं और बच्चों में ऑटोइम्यून स्थिति, संक्रमण और टाइप 2 डायबिटीज़ को रोकने में मदद मिलती है।

आपका डॉक्टर ख़ून जाँच के माध्यम से आपके बच्चे में विटामिन डी की कमी के बारे में बता सकता है, जो 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी के स्तर का विश्लेषण करता है। आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि ICMR, 2010 के अनुसार 1-9 साल के बच्चों में विटामिन डी के लिए आरडीए (रेकमेंडेड डाइटरी अलाउंस) 5 mcg / दिन है।

विटामिन डी के स्रोत

जब आप सूरज की रौशनी में (अल्ट्रावायलेट बी) के संपर्क में होते हैं तो ज़रूरी विटामिन डी का लगभग 90% त्वचा में घुलता है। 10 से 15 मिनट के लिए सूरज की रोशनी में रहने से विटामिन डी के 10,000 से 20,000 आईयू (इंटरनेशनल यूनिट) मिल सकते हैं। आपको यह विटामिन कुछ आहार स्रोतों जैसे मछली, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों और पूरक आहार से भी मिल सकता है। सब्ज़ियों और अनाज में विटामिन डी नहीं होता है।

क्या भारतीय बच्चों में विटामिन डी की कमी है?

क्या आप सोच रहे हैं कि भारतीय बच्चों में विटामिन डी का स्तर कम क्यों होता है? आपकी चिंता गलत नहीं है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहां लगभग पूरे साल प्रचुर मात्रा में धूप आती है फिर भी बच्चों में विटामिन डी की कमी होती है।

विटामिन डी की कमी के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

  • त्वचा की रंगत- आपकी त्वचा में कितना विटामिन डी सिंथेसाइज़ होगा यह बात आपकी त्वचा की रंगत पर निर्भर करती है। हल्की रंगत वाले बच्चों की तुलना में गहरी रंगत वाले बच्चों को 10 गुणा ज़्यादा धूप की ज़रूरत होती है ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सके।
  • खाने की आदतें - खाने की ख़राब आदतों के कारण कैल्शियम और विटामिन डी जैसे पौष्टिक तत्वों की कमी होना बेहद आम समस्या है।
  • सांस्कृतिक पहलू - भारत में अक्सर बच्चों को लम्बे स्लीव्स वाले लम्बे कपड़े पहनाये जाते हैं जिससे उनका शरीर धूप के संपर्क में नहीं आ पाता है।
  • प्रदूषण - भारत में पिछले कुछ सालों में बहुत तेज़ी से नयी इमारतें और उद्योग बने हैं। इनके निर्माण से प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है और इस वजह से विटामिन डी का पर्याप्त सिंथेसिस हो पाना मुश्किल है।
  • बदलती जीवनशैली - आजकल ज़्यादातर भारतीय बच्चे गतिहीन जीवनशैली अपना रहे हैं और ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने घरों में वीडियो गेम खेलते हुए, टीवी देखते हुए या मोबाईल चलाते हुए बिता रहे हैं। इसलिए घर के बाहर ना निकलने की वजह से उन्हें धूप भी नहीं मिलती है और उनके शरीर में विटामिन डी का स्तर बहुत कम हो जाता है।
  • गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं - जो बच्चे बगैर सुनियोजित गर्भावस्था से पैदा होते हैं या जिनके जन्म से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं, उन बच्चों में भी विटामिन डी की कमी देखी जाती है।

एफएओ/डब्लूएचओ के मुताबिक़, नवजात शिशुओं और बच्चों को प्रतिदिन 5 माइक्रोग्राम विटामिन डी की ज़रूरत होती है।

विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ

सूरज की रौशनी से बच्चों को पर्याप्त विटामिन डी मिल सकता है। इसके अलावा यह पोषक तत्व नीचे बताये गए खाद्य पदार्थों में भी भरपूर होता है:

  • अंडे की ज़र्दी
  • साल्मन
  • हिल्सा और रोहू जैसी मछलियां
  • कॉड लिवर ऑइल
  • श्रिम्प
  • मशरूम

विटामिन डी के प्राकृतिक खाद्य स्रोतों की मात्रा सीमित है। साथ ही, शाकाहारी स्रोतों में पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता है। नीचे कुछ प्राकृतिक खाद्य स्रोत दिए गए हैं जिन्हें विटामिन डी से फोर्टिफाई किया सकता है:

  • गाय का दूध - यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, और राइबोफ्लेविन का अच्छा स्रोत है और इसे विटामिन डी से फोर्टिफाई किया जा सकता है।
  • सोया दूध - पौधे से बना दूध, सोया दूध को भी विटामिन डी से फोर्टिफाई किया जा सकता है और शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प है।
  • संतरे का जूस - फोर्टिफाइड संतरे का जूस उनके लिए बेहद फ़ायदेमंद हो सकता है जिन्हें दूध से एलर्जी है या जो लेक्टोज़ इन्टॉलरेंट हैं।
  • दलिया और ओट्स - इन्हें रोज़ाना इस्तेमाल के लिए विटामिन डी से फोर्टिफाई किया जाता है ताकि आपको इस विटामिन का ज़रूरी पोषण मिल सके।

पर्याप्त विटामिन डी पाने के सुझाव

अपने बच्चे को पर्याप्त विटामिन डी देने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसे नियमित रूप से धूप में जाने दें। हालाँकि, 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को कभी भी सीधे धूप में लेकर न जाएँ, यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए आप बच्चों को विटामिन डी के सप्लीमेंट्स भी दे सकते हैं। बच्चों के लिए इस सप्लीमेंट का सुझाया गया रूप है कॉलेकैल्सिफेरॉल (विटामिन डी3)। जिन बच्चों को मोटापे की समस्या है या जिन बच्चों का मिर्गी का इलाज चल रहा है, उन्हें ज़्यादा मात्रा में विटामिन डी के सप्लीमेंट्स की ज़रूरत होगी। इन बच्चों में हर 3 महीने पर 25 -हाइड्रॉक्सी विटामिन डी के स्तर की जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही, आपके बच्चों का डॉक्टर हर 6 महीनों में पैराथाइरोइड हॉर्मोन और हड्डियों में मिनरल के स्तर की भी जाँच करेगा।