प्यूबर्टी एक ऐसा पड़ाव है जो बढ़ती उम्र के साथ हर किसी के जीवन में आता है और इस दौरान उनके शरीर में रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का विकास शुरू हो जाता है। लड़कियों में, यह एक ऐसा दौर है जब वह पहली बार ओव्यूलेशन शुरू करती है, और लड़कों में, प्यूबर्टी एजेक्यूलेशन से शुरू होता है। जैसे ही बच्चे इस अवस्था में आते हैं शारीरिक रूप से उनके शरीर में कई बदलाव होते हैं जैसे कि प्यूबिक और चेहरे के बाल, प्रमुख जननांग और लड़कियों में स्तनों का विकास आदि। इस पड़ाव में शारीरिक बदलाव के साथ, कई मानसिक बदलाव भी होने लगते हैं। प्यूबर्टी और पोषण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और इस लेख में आपको इसी से जुड़ी ज़रूरी जानकारी मिलेगी।
प्यूबर्टी की शुरुआत कैसे होती है?
जैसा कि बताया गया है, शरीर में सामान्य हॉर्मोनल बदलाव के कारण प्यूबर्टी का पड़ाव आता है। यह पूरी प्रक्रिया सबसे पहले मस्तिष्क में शुरू होती है। हाइपोथैलेमस संबंधित हार्मोन के उत्पादन को शुरू करने के लिए पिट्यूटरी ग्रंथि को संदेश देता है। यह वह हार्मोन है जो एक लड़की के ओवरी और एक लड़के के टेस्टिस में बदलाव लाता है। लड़कियों में, प्यूबर्टी आने पर ओवरी से ओवम निकालना शुरू हो जाते हैं जो हर महीने मासिक धर्म यानी पीरियड्स का कारण बनता है और महिला सेक्स हार्मोन - एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करता है। पुरुषों में, यह शुक्राणु और पुरुष सेक्स हार्मोन - टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन शुरू करता है। लड़के और लड़कियों दोनों के शरीर में ये होर्मोंस ही रिप्रोडक्टिव ऑर्गन और जननांग के विकास में मदद करते हैं।
भारतीय लड़कियों में 13 से 14 वर्ष की उम्र में प्यूबर्टी आती है। हालांकि ये हर लड़की के लिए सही नहीं और यह उम्र हर लड़की में अलग हो सकती है। भारतीय लड़कियों में प्यूबर्टी की रेंज 8 वर्ष की उम्र से 13 वर्ष की उम्र तक है।
पोषण और प्यूबर्टी
. इस हार्मोनल बदलाव के ज़रूरी पड़ाव में बच्चों के सम्पूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए, पोषण बहुत ज़रूरी है। प्यूबर्टी का दौर विकास और बदलाव से भरा होता है क्योंकी इस समय बच्चे विभिन्न बायोलॉजिकल, शारीरिक और मानसिक बदलाओं से गुजरते हैं। लड़कियों के आहार और भोजन में थोड़ा सा बदलाव करने से उनके शरीर में एस्ट्रोजन और अन्य हॉर्मोन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। प्यूबर्टी के दौरान पौष्टिक और संतुलित आहार खाना लड़कियों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।
प्यूबर्टी के दौरान पोषण संबंधी ज़रूरतें क्या हैं?
आइए देखते हैं कि प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों को किस तरह का आहार खाना चाहिए:
- कैलोरी: ऊर्जा देने के लिए कैलोरी बहुत ज़रूरी हैं और बच्चों को युवावस्था के सही स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा से ज़्यादा कैलोरी खानी चाहिए। ICMR, 2010 के अनुसार 10 से 15 वर्ष की आयु के बीच एक औसत भारतीय लड़की को लगभग 2000 से 2330 किलो कैलोरी प्रतिदिन खाने की ज़रूरत होती है।
- ICMR, 2010 के अनुसार 10 से 15 साल की उम्र के बीच के लड़के को 2190-2750 Kcal प्रतिदिन की जरूरत होती है जो उनकी गतिविधि के स्तर पर निर्भर करता है। जैसे कि शारीरिक रूप से सक्रिय और व्यायाम करने वाले बच्चों को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है, उन्हें इस हिसाब से रोजाना ज़्यादा कैलोरी की भी ज़रूरत होगी।
- सूक्ष्म पोषक तत्व: प्यूबर्टी के दौरान विटामिन डी, विटामिन के, और विटामिन K12 ज़रूरी सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। कैल्शियम मज़बूत हड्डियों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है, और चूंकि लड़कियों में पीरियड्स के दौरान खून का नुक्सान होता है तो लड़कियों के शरीर में आयरन की ज़रूरत ज़्यादा होती है। इसलिए प्यूबर्टी के दौरान ये सभी ज़रूरी पोषक तत्व आहार में शामिल होने चाहिए।
- मैक्रोन्यूट्रिएंट्स: आपके बच्चे की ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की ज़रूरत होती है। फ़ाइबर वाले कार्ब्स सबसे ज़रूरी हैं और इस पड़ाव पर बच्चों का आहार इससे भरपूर होना चाहिए। फैट भी कोशिकाओं के विकास में ज़रूरी भूमिका निभाता है और इसे सही मात्रा में खाया जाना चाहिए।
मोटापा और प्यूबर्टी
यह सही है कि युवावस्था के दौरान पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरा किया जाना चाहिए। हालांकि, अत्यधिक कैलोरी का सेवन और मुख्य रूप से जंक फ़ूड से युक्त अनुचित आहार से मोटापा हो सकता है। खराब जीवनशैली विकल्पों, जंक फ़ूड और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण भारत में मोटापा एक बढ़ती चिंता है। मोटापा कई मायनों में उचित विकास को प्रभावित कर सकता है।
मोटापे से ग्रस्त लड़कियों को अपने वयस्क जीवन में डायबिटीज़, दिल की समस्याओं और रक्तचाप जैसी गंभीर समस्याओं के अलावा कई दूसरी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अनुचित प्यूबिक विकास, लिबिडो की कमी, कद से जुड़ी समस्या, मानसिक विकास की कमी, और यौन रूचि में कमी, कुछ प्रमुख समस्याएं हैं जो युवावस्था के दौरान कई मोटापाग्रस्त बच्चे झेलते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ जो स्वस्थ प्यूबर्टी के लिए ज़रूरी हैं।
नीचे कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो युवावस्था से गुज़र रही लड़कियों के दैनिक आहार का एक हिस्सा होना चाहिए:
- दूध: दूध युवावस्था के दौरान ज़रूरी दो प्रमुख तत्व प्रदान करता है - कैल्शियम और विटामिन डी। ये दोनों हड्डियों और मांसपेशियों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं।
- ओमेगा -3 फैटी एसिड: फैटी मछलियां जैसे कि राउस, या भारतीय सेल्मोन, पोमफ्रेट, हिल्सा, और रोहू शरीर को ज़रूरी ओमेगा -3 फैटी एसिड के अलावा प्रोटीन और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं। ये पोषक तत्व मूड को नियंत्रित करने, एकाग्रता में सुधार, और प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए बेहद ज़रूरी तत्व हैं।
- बीन्स: प्यूबर्टी के ज़रूरी पड़ाव के दौरान, शरीर को कुछ सूक्ष्म पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है जो आसानी से बीन्स में पाए जा सकते हैं। आयरन, मैग्नीशियम और आहार फाइबर मांसपेशियों की उचित वृद्धि और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
- अंडे: बढ़ते शरीर के लिए अंडे भी महत्वपूर्ण हैं। सेलेनियम, प्रोटीन और सैचुरेटेड फैट से भरपूर, अंडे ऊर्जा प्रदान करते हैं और मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देते हैं।
- नट: स्वस्थ फैट और प्रोटीन से भरपूर, नट्स खाने से प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों का पेट भरा रहता है और उन्हें अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खाने से रोकते हैं। ये बढ़ते हुए बच्चों के लिए सबसे अच्छा स्नैक्स हैं।
- दही: प्रोबायोटिक्स की अच्छाई से भरपूर दही पेट को स्वस्थ रखने में मदद करता है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता, पाचन और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। एक स्वस्थ आंत जीवन भर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।
प्यूबर्टी के दौरान ऊपर बताए गए भारतीय खाद्य पदार्थ लड़कियों के सम्पूर्ण विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं। युवावस्था के दौरान आने वाली चुनौतियों और समस्याओं को समझना, बच्चों का ध्यान रखने का अच्छा तरीका है।