मॉर्निंग सिकनेस और उससे निपटने के तरीके

अभी आपको गर्भावस्था की खुशख़बरी मिली ही होगी कि सुबह-सुबह उठ कर आपको जी मिचलाने की समस्या शुरू हो गयी होगी और ये भी हो सकता है कि आपकी हर सुबह की शुरुआत उल्टियों से हो रही हो। घबराएँ नहीं, गर्भावस्था के दौरान ऐसा होना आम बात है।

इस अजीब से एहसास को आम भाषा में "मॉर्निंग सिकनेस" कहा जाता है। इस मॉर्निंग सिकनेस के साथ महिलाओं को कभी कभी उल्टियाँ भी आती हैं इसलिए इसे "गर्भावस्था की मतली और उल्टी" के नाम से भी जाना जाता है। ज़्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस का शिकार होती हैं, यहाँ तक कि मतली आना और उल्टी होना अक्सर ही गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण होते हैं।

मॉर्निंग सिकनेस कब होती है?

मॉर्निंग सिकनेस अक्सर पहली तिमाही में देखी जाती है; ये गर्भावस्था के छठे हफ़्ते में शुरू होती है और बारहवें हफ़्ते में आते-आते मॉर्निंग सिकनेस से आराम भी मिल जाता है। लेकिन, अपने नाम के विपरीत, मॉर्निंग सिकनेस दिन में किसी भी वक़्त आपको परेशान कर सकती है।

गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस क्यों होती है?

यक़ीनन ही, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में बहुत से हॉर्मोनल बदलाव होते हैं और मॉर्निंग सिकनेस उसी हॉर्मोनल बदलाव का एक साइड-इफ़ेक्ट है। अगर आप सोच रहीं हैं कि कैसे, तो यहाँ इसके बारे में पूरी जानकारी दी गयी है। यूँ तो गर्भावस्था में मतली या उल्टी आने की असल वजह अब तक किसी को नहीं मालूम हुई है, पर माना जाता है कि ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) नाम का एक हॉर्मोन महिलाओं के शरीर में गर्भावस्था के समय ज़्यादा मात्रा में मौजूद रहता है, जिसकी वजह से मॉर्निंग सिकनेस होती है।

दूसरे हॉर्मोन्स, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की वजह से भी मतली और उल्टी आना गर्भावस्था के दौरान आम बात है। महिलाओं का गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से जी मिचलाना भी कोई बड़ी बात नहीं है। एस्ट्रोजन की वजह से खाना पचने में ज़्यादा समय लगता है, जिसकी वजह से जी मिचलाता है। प्रोजेस्टेरोन एस्ट्रोजन के साथ मिलकर मतली और उल्टी आने को बढ़ावा देता है।

उन महिलाओं को मतली और उल्टी की समस्या ज़्यादा होती है जिनको:

  • जुड़वाँ या तीन बच्चे एक साथ होने वाले होते हैं
  • पिछली गर्भावस्था में ज़्यादा मतली और उल्टी की समस्या रही होती है
  • मोशन सिकनेस की समस्या रहती है
  • माइग्रेन से सिरदर्द की समस्या रहती है
  • एस्ट्रोजन वाली गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने पर बीमार जैसा लगता है
  • पहली बार गर्भधारण हुआ है
  • मोटापे की समस्या है
  • तनाव की समस्या है
  • मॉर्निंग सिकनेस आनुवांशिक तौर पर मिला है

क्या मॉर्निंग सिकनेस नुकसानदेह है?

आमतौर पे मॉर्निंग सिकनेस माँ या बच्चे किसी की भी सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं होती है। लेकिन अगर आप बिलकुल भी खाना नहीं खा पा रही हैं या आपके शरीर में खाना-पानी कुछ भी नहीं पच रहा है, तो उससे आपका वज़न घटेगा। ऐसा होने से, बच्चे के जन्म के समय के वज़न पर असर पड़ सकता है।

हालांकि, अगर आपको इनमें से कोई लक्षण दिख रहे हैं तो हमारी सलाह है कि आप तुरंत ही अपने डॉक्टर से बात करें:

  • अनियमित, गाढ़े रंग की पेशाब
  • सिर भारी लगना या खड़े होने पर चक्कर आना
  • दिन भर में कई बार उल्टी आना या उल्टी में खून दिखना
  • पेट या श्रोणि में दर्द रहना
  • बारह घण्टे से ज़्यादा पेट में खाना या पानी ना रख पाना
  • 2.3 किलोग्राम से ज़्यादा वज़न घटना
  • बुखार या दस्त आना

क्या खान-पान में बदलाव करके मॉर्निंग सिकनेस से निपटा जा सकता है?

जी हाँ! मतली या उल्टी आने की समस्या को काबू करने के लिए आप अपने खान-पान और जीवनशैली में कुछ बदलाव कर सकती हैं। ये रहे मॉर्निंग सिकनेस से निपटने के लिए कुछ आज़माए हुए नुस्खे:

खाना

  • खाली पेट रहने से बचें क्योंकि खाली पेट रहने से मतली आती है। खाते-पीते रहें या फिर भूख लगने पर तुरंत खाना खाएँ।
  • एक बार में बहुत ज़्यादा ना खाएं। हर दो घंटे पर थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ खाते रहें।
  • किसी भी समय का खाना ना छोड़ें, ज़बरदस्ती और बहुत भारी खाना ना खाएँ।
  • सोने से पहले या सोकर उठने पर हल्के-फुल्के स्नैक्स (रस्क, बिस्कुट इत्यादि) ज़रूर खाएँ।
  • खाना या स्नैक्स जब भी खाएँ उन्हें धीरे-धीरे खाएँ और खाने के बाद आराम करें।
  • लेटने से बचें, खासकर कि खाने के तुरंत बाद बायीं करवट लेटने से बचें।
  • बहुत मसालेदार, बहुत अम्लीय या बहुत महकदार खाना ना खाएँ।
  • जिन खाने की चीज़ों में फैट या चीनी ज़्यादा होता है उनसे मतली आने का खतरा बढ़ता है।
  • खाने के बाद पुदीने की चाय या कैंडी लें, इससे मतली आना कम हो जाता है।
  • ठंडे फल या बर्फ़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को चूसें।
  • आपके लिए ठंडा खाना गर्म खाने से ज़्यादा बेहतर है क्योंकि ठंडे खाने की महक गर्म खाने के मुकाबले कम होती है।
  • गर्भावस्था के दौरान अदरक (लॉलीपॉप, चाय या कोई भी दूसरी अदरक वाली ड्रिंक) पीने से मतली नहीं आती है।
  • केला, चावल, एप्पल सॉस और टोस्ट ज़रूर खाएँ। ये बिना ज़्यादा महक वाली और पचाने में आसान चीज़ें होती हैं।

पानी वाली चीज़ें (फ्लूइड)

  • दिनभर ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिएं।
  • खाने से आधा घंटा पहले या बाद में ही किसी चीज़ को पियें।
  • नींबू पानी या ताज़ा लाइम सोडा जैसी ठंडी, साफ़ और कार्बोनेटेड या खट्टी ड्रिंक्स लेने से आपको आराम मिलेगा।
  • नींबू और पुदीने की चाय से महिलाओं को आराम मिलता है।

खाना खाने की जगह ऐसी चुनें जहाँ से हवा आराम से आ-जा सके और किसी तरह की महक न फँसे। ध्यान रखें कि बन्द कमरों, गन्ध वाली चीज़ें (परफ़्यूम, केमिकल्स, धुएँ इत्यादि), ताप या नमी, मॉर्निंग सिकनेस को बढ़ावा देते हैं। अगर हो सके तो आप किसी और से ही खाना बनवाएँ, खिड़कियाँ खोल कर रखें और अगर किसी खाने की महक से दिक्कत हो रही हो तो पंखा चला लें। छोटी-छोटी आदतों में बदलाव जैसे कि खाने के बाद दाँत साफ़ करने से, लार थूकते रहने से और कुल्ला करते रहने से भी आप मतली और उल्टी से बचे रह सकते हैं। नींबू या अदरक को समय-समय पर सूँघते रहना भी आपके लिए मददगार साबित होगा।

अंत में

गर्भावस्था के शुरुआती दौर में ज़्यादातर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस या मतली और उल्टी की समस्या रहती है। ये समस्या गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलावों की वजह से होती है और अक्सर गर्भधारण के बारहवें हफ़्ते तक ख़त्म हो जाती है। खानपान और जीवनशैली में थोड़े से बदलाव करके आप मॉर्निंग सिकनेस के लक्षणों से निपट सकती हैं।

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