अपने बच्चे के खान-पान की बुरी आदतों को बदलने की चुनौती उठाने से पहले, माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हर बच्चा एक दूसरे से अलग होता है, और उनका स्वाद व पसंद भी अलग अलग होता है। जब आप बच्चे को पूरक आहार खिलाना शुरू करते हैं, तो बच्चे में उस समय के खान-पान की आदत कई सालों तक बनी रहती है। इसलिए देर से शुरू करना, कुछ न करने से बेहतर है। अगर आपका बच्चा छोटा है या किशोरावस्था में है और उसे फल या सब्ज़ियां खाना पसंद नहीं हैं, तो आप अभी भी उनकी आदत बदल सकते हैं। ये बदलाव शुरू करने से पहले बच्चों की कुछ खराब खान-पान की आदतों के बारे में जानना ज़रूरी है।
खान-पान से जुड़ी कुछ सामान्य बुरी आदतें
- ज़्यादातर डिब्बाबंद जूस पीना
- सब्जियां न खाना
- दिन में कई बार जंक फूड लेना
- ज़्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेना
- बहुत ज़्यादा मात्रा में मीठी चीज़े खाना
बच्चों के खान-पान से जुड़ी इन सभी खराब आदतों को समय के साथ अच्छी आदतों में बदला जा सकता है। इसका असर बच्चों के बड़े होने पर दिखाई देगा।
नीचे कुछ ऐसे सुझाव दिए जा रहे है जिन्हें अपना कर, इन बुरी आदतों को छुड़वाया जा सकता है:
ज़्यादा जूस पीना
जूस से विटामिन सी और दूसरे पोषक तत्व मिलते हैं, लेकिन इसमें ज़रुरत से ज़्यादा कैलोरी होती है। वहीं, दूसरी तरफ साबुत फलों से भी उतनी ही मात्रा में विटामिन सी, अन्य पोषक तत्व और फाइबर मिल सकते हैं। आधा कप ब्रोकली या आधे संतरे से भी इतना ही मात्रा में विटामिन मिल सकता है। अभी तक ऐसी कोई रिसर्च सामने नहीं आई है, जिससे यह साबित हो कि जूस पीने से बच्चों का वजन बढ़ता है। इसलिए, बच्चों की डाइट में ज़्यादा जूस शामिल नहीं करना चाहिए। आधे कप से ज़्यादा जूस देने से बच्चों का पेट भर जाता है और पेट में ठोस आहार के लिए कम जगह बचती है। गौरतलब है कि जूस में उतना फाइबर नहीं होता जितना साबुत फलों में होता है।
आदतों को छुड़ाने के लिए क्या करें?
जूस की जगह पानी दें।
बच्चों को खेलने के तुरंत बाद जूस से पहले पानी पिलाने की कोशिश करें। जब बच्चे प्यासे होते हैं तो ज़्यादा जूस पीते हैं। जब बच्चे पानी से अपनी प्यास बुझा लें, तो उसके बाद आप उन्हें थोड़ी मात्रा में जूस दे सकते हैं।
सिपर की जगह कप का इस्तेमाल करें।
बच्चों को कप में जूस देने से वे कम मात्रा में जूस का सेवन करेंगे, क्योंकि बच्चों के लिए कप में जल्दी से जूस पीना आसान नहीं होता है।
पानी मिलाना
आप जूस में पानी मिलाकर भी दे सकते हैं। जूस में नींबू का रस मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं। हालांकि, बच्चे को एक दिन में 1-2 कप से ज़्यादा जूस नहीं देने चाहिए।
सब्ज़ियां न खाना
फलों की तरह सब्ज़ियों में भी काफी अच्छी मात्रा में विटामिन, मिनरल और फ़ाइबर होते हैं। अपने बच्चे की रोज़ाना की डाइट में सब्ज़ियों को शामिल करना एक अच्छी आदत है और अगर उनमें छोटी उम्र से ही यह आदत डाल दी जाती है तो फिर यह बच्चों के बड़े होने पर भी कायम रहेगी। बच्चों को सब्ज़ियां खिलाने से उनकी सेहत अच्छी रहती है, सही वजन बना रहता है और कई छोटी-मोटी बीमारियों से भी बचाव हो जाता है।
आप नीचे बताए गए आसान तरीके अपना कर बच्चों को सब्ज़ियां खिला सकते हैं:
- डिप का इस्तेमाल करें: सब्ज़ियों में उच्च फ्रुक्टोज़ कॉर्न सिरप के बिना प्राकृतिक चीजों से बनी सॉस डालकर या उन्हें सजाने (ड्रेसिंग) से फर्क पड़ सकता है।
- धैर्य बनाए रखें: अपने बच्चों पर सब खाने के लिए दबाव बनाने या सब्ज़ियां न खाने पर उन्हें सज़ा देने के बजाय उन्हें सब्ज़ियों के महत्व और उनके फ़ायदों के बारे में समझाना चाहिए। आप बच्चे के साथ थोड़ी सब्ज़ियां खा कर उनके लिए एक रोल मॉडल बन सकते हैं।
- वसा (फैट) मिलाएं: आप सब्ज़ियों में मक्खन, चीज़ या ऑलिव ऑयल मिला कर उन्हें ज़्यादा स्वादिष्ट और मज़ेदार बना सकते हैं। कुछ ग्राम फैट से बच्चे को कोई नुकसान नहीं होगा।
- सब्ज़ियों को शानदार तरीके से परोसें: बेशक़ थोड़ा ज़्यादा समय लगे, लेकिन कोशिश करें कि सब्ज़ियों के टुकड़े काट कर, चटनी या लो-फैट से सजा कर उन्हें ट्रे में इस तरह से परोसें कि देखते ही भूख लगने लगे। बच्चे उन्हें आराम से फिंगर फ़ूड की तरह खा सकते हैं।
बार-बार स्नैक्स खाना
खाने के बीच मे ज़्यादा स्नैक लेने से बच्चों का पेट भर सकता है और फिर उन्हें खाने के समय भूख नही लगेगी। अगर बच्चे स्नैक्स में पौष्टिक चीज़े भी खा रहे हैं, तब भी उन्हें भूख लगने और पेट भरने का पता नहीं चल पाएगा।
आप नीचे दिए गए कुछ आसान तरीके अपना कर बच्चों की बार-बार खाने की आदत छुड़वा सकते हैं :
जंक फूड से दूर रखें
फ्रिज और रसोई में नज़र डालें और जो चीज़ें बच्चों की सेहत के लिए खराब है उन्हें किसी कोने में रख दें। पौष्टिक खाने को बिल्कुल सामने और बीच में रखें ताकि बच्चे उन्हें खाएं तो कोई समस्या न हो।
भारी नाश्ता खिलाएं
बच्चों को ज़्यादा प्रोटीन स्नैक्स जैसे कि पीनट बटर, चीज़ क्रेकर या फ्रूट योगर्ट खिलाने चाहिए। इनसे बच्चों का पेट देर तक भरा रहता है।
खाने का शेड्यूल बनाएं
बच्चे के खाने और स्नैक्स का शेड्यूल बनाएं और ध्यान रखें कि बच्चा आराम से बैठ कर टेबल पर खाना खाए। बच्चों को इस शेड्यूल का पालन करने के लिए मनाने की कोशिश करें और उन्हें बताना चाहिए कि वे सिर्फ स्नैक के वक्त पर ही स्नैक्स खा सकते हैं। यह सब शुरुआत में थोड़ा मुश्किल लगेगा, लेकिन अभ्यास के साथ यह आसान होता जाएगा।
ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट लेना
कार्बोहाइड्रेट से ज़ल्दी एनर्जी मिलती है और ये ज़ल्दी से पच भी जाते हैं, इसलिए बच्चों को बार-बार भूख लगने लगती है। नूडल्स और सफेद ब्रेड जैसे कार्बोहाइड्रेट खाने से ज़्यादा पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। इनके बजाय उनकी डाइट में साबुत अनाज को शामिल करना बेहतर होता है, क्योंकि ये फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
डाइट में प्रोटीन शामिल करें: बच्चों की डाइट में प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि मांस या फलियां, अंडे या कम फैट वाले डेयरी प्रॉडक्ट शामिल करें। एक गिलास दूध या एक चम्मच पीनट बटर में भी काफी प्रोटीन होती है, जो बच्चों के लिए काफी होती है।
ज़्यादा मीठा खाना
- हर बच्चे को मीठा खाना बहुत पसंद होता है और उन्हें हर बार मना करना भी नामुमकिन है। हालांकि, ज़्यादा मीठा खाने से बहुत ज़्यादा कैलोरी मिलती है जिससे भविष्य में मोटापे और यहां तक कि डायबिटीज़ की समस्या भी हो सकती है। आप नीचे बताए गए सुझाव ट्राई कर सकते हैं:
- यह चेक करें कि बच्चे जो भी खाते हैं, उसमें कितनी शुगर है।
- घर मे ऐसे खाद्य पदार्थ कम ही लाएं, जिनमें ज़्यादा मात्रा में शुगर होती है।
- मीठा खाने की एक लिमिट तय करें।
- मिठाई की जगह फल या सूखे मेवे जैसी दूसरी मीठी चीज़े खिलाएं।
आप ऊपर बताए गए तरीके अपना कर ज़िंदगी भर के लिए अपने बच्चों के खान-पान की बुरी आदतों को बदल सकते हैं। याद रखें ये बदलाव एक ही दिन में नही होगें, लेकिन अपनी लगन से आपको ज़रूर सफलता मिलेगी।