बच्चों में लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस: जानें इसका मतलब
बच्चों में, दूध या लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस तब होती है जब लैक्टोज़ पचाने में मदद करने वाले एंजाइम या तो होते ही नहीं हैं या अच्छी तरह से काम नहीं करते हैं। लैक्टोज़ या डेयरी इन्टॉलरेंस एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, और लेक्टेज़, लैक्टोज़ (चीनी का एक रूप) को पचाने के लिए ज़रूरी एंजाइम, पर्याप्त नहीं होते हैं। इसकी वजह से लैक्टोज़, जो मूल रूप से छोटी आंत में होता है, बड़ी आंत में पहुंचता है और चेतावनी के संकेत देने लगता है। सामान्य डेयरी प्रोटीन इन्टॉलरेंस के लक्षणों में पेट में दर्द, पेट फूलना, उल्टी और दस्त शामिल हैं।
बच्चों को दूध से एलर्जी होना माता-पिता के लिए बहुत चिंता की बात हो सकती है क्योंकि, बच्चों को दूध से ही ज़रूरी पोषण मिलता है। हालांकि, बच्चों में लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस का मतलब यह नहीं है कि वे पूरी तरह दूध पीना ही बंद कर देंगे।
ऐसी स्थिति में क्या करें?
इस विषय पर हुए शोध के अनुसार, 3 साल की उम्र से छोटे बच्चों को सामान्यतः यह एलर्जी नहीं होती है। लेकिन अगर ऐसा होता भी है तो बच्चों को ऐसा खाना खिलाएं जिसमें लैक्टोज़ न हो। इससे बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं होंगी।
बच्चे को जैसी एलर्जी है उसी हिसाब से वैकल्पिक खाद्य पदार्थ चुनें। ऐसे में सोया मिल्क और इसके जैसी चीज़ें अपनाने की सलाह दी जाती है क्योंकि, इसमें कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होती है और जैसा कि आप जानते ही हैं, बच्चों के दांतों और हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम बहुत ज़रूरी होता है। अगर आपके बच्चे को सोया और सोया से बनें उत्पाद से भी एलर्जी है तो, आप उसे बादाम या चावल का दूध पिला सकते हैं।
बच्चों को लैक्टोज़ मुक्त भोजन देने के अलावा, उनके भोजन की मात्रा भी कम करने का सुझाव दिया जाता है। उदाहरण के लिए 4 घंटे में एक बार खाना खाना सही है। बच्चों को ज़रूरत से ज़्यादा खाना खिलाना भी भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
आपको यह भी जानना होगा कि बहुत से लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट बच्चे थोड़ी मात्रा में दूध या उससे बनें पदार्थ खा लेते हैं और उन्हें कोई समस्या नहीं होती है। हालांकि, कुछ बच्चों को कम मात्रा में ही ज़्यादा परेशानी हो सकती है और गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। आप बच्चों के लिए लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट डाइट चार्ट बना सकते हैं और उसके हिसाब से खाना खिला सकते हैं।
बच्चों में लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस का इलाज कैसे करें
बच्चों में लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट का इलाज करने के लिए इसके लक्षणों को समझना बहुत ज़रूरी है। माता-पिता को यह समझना होगा कि डेरी प्रोटीन से एलर्जी के लक्षण अन्य बीमारियों जैसे ही हो सकते हैं। हालांकि, जब भी बच्चा दूध या उससे बनें पदार्थ खाता है और उसमें नियमित रूप से लक्षण दिखते हैं तो इसका मतलब हो सकता है कि उसे लैक्टोज़ से एलर्जी हो।
कुछ बच्चों में लैक्टोज़ की कमी के कारण भी अचानक से लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस की समस्या हो सकती है। ऐसे बच्चों में ज़्यादा डेरी उत्पाद खाने के बाद एलर्जी के प्रत्यक्ष लक्षण दिखते हैं। हालांकि, कभी-कभी एलर्जी होने के बावजूद भी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
यह बात अभी तक पता नहीं चली है कि शरीर में लेक्टेज़ की मात्रा कैसे बढ़ाई जा सकती है? इसके बावजूद लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट बच्चों के लिए, बाज़ार में सप्लीमेंट और अन्य विकल्प मौजूद हैं। अगर बच्चे का जन्म तय समय से पहले हुआ है तो उसमें लेक्टेज़ की मात्रा ठीक की जा सकती है ताकि वह दूध आसानी से पचा सके।
बच्चों में लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस के बारे में पता लगाने के लिए अपने पीडियाट्रिशन से जांच करवाएं, जैसा कि ऊपर बताया गया है कि उल्टी, पेट दर्द और पेट फूलना लैक्टोज़ एलर्जी के सामान्य लक्षण हैं। अगर जांच के परिणाम नकारात्मक आते हैं तो ये लक्षण किसी और वजह से भी हो सकते हैं।
पोषण की कमी को कैसे पूरा करें?
भले ही बच्चों के सही पोषण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए दूध बहुत ज़रूरी है, लेकिन अगर बच्चा लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट है तो आपको उसके आहार से दूध हटाना होगा। दूध में कैल्शियम के अलावा प्रोटीन, विटामिन डी और पोटैशियम जैसे ज़रूरी पोषक तत्व होते हैं। दूध से मिलने वाले पोषक तत्वों के लिए, आप नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों को अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकते हैं:
- अंडे में प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, आयरन और विटामिन डी होता है।
- गेहूं में पर्याप्त विटामिन बी और आयरन होता है।
- सोया, राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, आयरन, ज़िंक और विटामिन बी6 का प्रमुख स्रोत है। सोया मिल्क भी दूध का अच्छा विकल्प है।
- मूंगफली और अन्य नट्स में ज़रूरी प्रोटीन, मिनरल और विटामिन होते हैं। बादाम का दूध भी साधारण दूध का एक अच्छा विकल्प है।
- मछली में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन होता है।
लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट बच्चों, को दूध से मिलने वाले ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। आज बाज़ार में इसके बहुत से विकल्प मौजूद हैं, जोकि इन तत्वों की कमी पूरी कर सकते हैं। अपने बच्चे की उम्र, उसके कद, वज़न और खाने की आदतों के हिसाब से अच्छे विकल्पों के बारे में जाननें और बच्चे को ज़रूरी पोषण देने के लिए किसी अच्छे डायटिशियन से संपर्क करें।