बच्चों में कब्ज़ होना आम बात है और ऐसा होने पर उन्हें असामान्य, सख़्त और सूखा मल आता है । बच्चों की टॉयलेट ट्रेनिंग जल्दी शुरू करना या उनकी डाइट में बदलाव करना, कब्ज़ का आम कारण माना जाता है लेकिन यह स्थाई नहीं होता है। अपने बच्चों की डाइट में फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ आहार शामिल करना और उन्हें खूब सारा पानी पीने के लिए प्रेरित करना, कब्ज़ भगाने के आम तरीके हैं। उन्हें डॉक्टर की सलाह पर लैक्सेटिव (कब्ज़ मिटाने की दवाई) दी जा सकती है।
बच्चों में कब्ज़ के संकेत और लक्षण इस प्रकार होते हैं:
- अनियमित मल त्याग
- सख़्त, सूखा मल और मल त्यागने में परेशानी
- मॉल त्याग के समय दर्द होना
- पेट दर्द
- आपके बच्चे के अंडरवियर में पेस्ट जैसे मल या तरल जैसे निशान इस बात का संकेत है कि मल रेक्टम (मलाशय) में रुका हुआ है।
- सख़्त मल में खून दिखाई देना
अगर आपके बच्चों को मल त्याग करते वक्त होने वाले दर्द से डर लगता है तो वे मल त्यागने से बचने की कोशिश करेंगे। अगर आपके बच्चे मल त्यागते वक्त अपने पैरों को मोड़ते हैं, नितंबों को भींचते हैं, शरीर को मोड़ते हैं या अजीब चेहरे बनाते हैं, तो ये कब्ज़ के संकेत हो सकते हैं।
पुरानी कब्ज़ गंभीर हो सकती है या किसी बीमारी का संकेत हो सकती है। अगर आपके बच्चे को दो हफ़्ते से ज़्यादा समय तक कब्ज़ रहती है, और बुखार, कम भूख लगना, मल में खून आना, पेट में सूजन, वज़न में कमी, मल त्याग के दौरान दर्द, या रेक्टल प्रोलैप्स (जिसमें आंत का एक हिस्सा मलाशय से बाहर आ जाता है) है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
कब्ज़ तब होती है जब मल पाचन तंत्र (डायजेस्टिव ट्रैक्ट)) में बहुत धीरे-धीरे गुज़रता है, जिससे यह सख़्त और सूखा हो जाता है। बच्चे को कब्ज़ हो सकती है:
- अगर आपका बच्चा मल त्याग को रोक रहा है, क्योंकि वह असहज है या खेलने से ब्रेक नहीं लेना चाहता है।
- अगर वे फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं और खाना खाने में बहुत नखरे करते हैं।
- अगर आपने टॉयलेट ट्रेनिंग कुछ ज़्यादा ही जल्दी शुरू कर दी है और बच्चा इससे इंकार कर रहा है।
- जब वह तरल की जगह ठोस आहार लेना शुरू करता है।
- अगर यात्रा करते समय आपके बच्चे की दिनचर्या में कोई बदलाव आया हो।
- अगर वे कोई दवा ले रहे हों।
- अगर उन्हें गाय के दूध से एलर्जी है और फिर भी वे बहुत सारे डेरी प्रॉडक्ट खा रहे हैं।
- अगर कब्ज़ का कोई पारिवारिक इतिहास रहा हो।
बच्चों में कब्ज़ की समस्या ना हो इसके लिए उन्हें कसरत करना, फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ खाना, और खूब पानी पीना चाहिए। अगर यह सब करने के बाद भी उन्हें कब्ज़ की समस्या रहती है, तो कुछ ख़ास खाद्य पदार्थ इस समस्या से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि फाइबर और पानी बहुत ज़रूरी होता है।
- नाशपाती: नाशपाती विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और पानी से भरपूर होती है, जो कब्ज़ को दूर करने में मदद करती है। इसके अलावा, एक नाशपाती में सिर्फ लगभग 60 किलो कैलोरी होती है।
- पॉपकाॅर्न: अपने बच्चों को चिप्स का पैकेट देने से अच्छा है कि उन्हें बिना ज़्यादा नमक और मक्खन वाले पॉपकाॅर्न देने चाहिए। यह सेहतमंद विकल्प होने के साथ-साथ फाइबर से भी भरपूर होते हैं।
- तरबूज: इस फल में 92% पानी होता है इसलिए इसका सेवन करने से मल त्यागने में आसानी होती है। इसमें भपूर मात्रा में पोषक तत्व, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी और लाइकोपीन होता है।
- ओट्स: ओट्स को नाश्ते का बेहतरीन विकल्प माना जाता है क्योंकि बच्चे का पेट भर जाता है। इसमें काफ़ी अच्छी मात्रा में फाइबर होता है और यह पानी भी सोखता है और इसी कारण पाचन में मदद करता है।
- बादाम: बादाम को ऐसे ही खाया जा सकता है या आप इन्हें मिल्कशेक में डाल कर या मिठाई के ऊपर डाल कर दे सकते हैं। आप इन्हें दही या चीज़ में भी मिला सकते हैं, या इन्हें पीस कर पाई या पेस्ट्री केक में भी डाल सकते हैं।
- आलू: उबले और ठंडे किए हुए आलू में फाइबर और प्रतिरोधी स्टार्च होता है जो पाचन को रोकता है और बड़ी आंत में रह कर अच्छे बैक्टीरिया के विकास में बढ़ोतरी करता है।
- दाल: दाल को आसानी से साइड डिश के रूप में खाया जा सकता है या आपके सलाद में डाला जा सकता है। ये प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती हैं। आप दाल के पराठे या दाल का सूप भी बना सकते हैं।
- दही: दही में मौजूद बैक्टीरिया आपकी आंतों के लिए बहुत अच्छा होता है। लाइव कल्चर (जीवाणु) और प्रोबायोटिक्स वाला दही कब्ज़ से राहत दिलाने में काफ़ी मदद करता है।
- सेब: एक सेब से लगभग 3.6 ग्राम फाइबर मिलता है। इसमें पीनट बटर मिलाने से ना सिर्फ फाइबर की मात्रा बढ़ती है बल्कि यह बच्चों को भी बहुत पसंद आता है।
- गाजर: गाजर को दालचीनी के साथ बेक कर के या वेजिटेबल स्टिक के रूप में देने से बच्चों को यह बहुत स्वादिष्ट भी लगेगा और उनकी डाइट में फाइबर की मात्रा भी बढ़ेगी।
- केला: एक केले में 3.1 ग्राम फाइबर होता है और इसलिए कब्ज़ से जल्दी राहत पाने के लिए यह एक अच्छा विकल्प साबित होता है।
- साबुत अनाज की ब्रेड: पीनट बटर सैंडविच या वेजिटेबल सैंडविच आपके बच्चों के लिए परफेक्ट वीकेंड लंच का विकल्प बन सकता है और इससे उनकी डाइट में फाइबर भी शामिल हो जाएगा।
- साबुत अनाज पास्ता: होल ग्रेन पास्ता के हर आधे कप में 2 ग्राम फाइबर होता है।
- शकरकंद: शकरकंद स्वादिष्ट होता है और इसे स्टीम कर के स्नैक्स के तौर पर दिया जा सकता है, क्योंकि एक शकरकंद में 3.8 ग्राम फाइबर होता है।
फाइबर का महत्व
फाइबर की सबसे ख़ास बात यह है कि यह अच्छे पाचन में मदद करता है। फाइबर का सेवन करने के साथ अगर अच्छी मात्रा में पानी पिया जाता है इससे मल त्यागने में काफ़ी आसानी होती है। फाइबर से आपके बच्चे की कब्ज़ की समस्या दूर होती है। 1 से 18 साल के बच्चों को रोज़ाना 14 से 31 ग्राम फाइबर दिया जाना चाहिए। हालाँकि, याद रखें कि बहुत ज़्यादा फाइबर से पेट में दर्द और दस्त भी हो सकती/सकता है।
इसके अलावा, नाश्ता दिन का सबसे ज़रूरी भोजन होता है क्योंकि कोलोन काॅन्ट्रेक्शन सुबह सबसे अच्छे लेवल पर काम करते हैं। इसलिए अपने बच्चों को फाइबर से भरपूर नाश्ता देने से आपके बच्चे की टॉयलेट जाने की इच्छा प्राकृतिक रूप से बनी रहेगी। बच्चों की जीवन शैली में बदलाव लाने के साथ-साथ उनका बेहतर टॉयलेट रूटीन बनाना चाहिए। टॉयलेट के लिए एक समय तय करना चाहिए। अगर आपके बच्चों को कुछ खाद्य पदार्थ खाने से कब्ज़ की परेशानी होती है, तो उन्हें ऐसी चीज़ें नहीं देनी चाहिए। आपके बच्चे अक्सर खेलने में इतने व्यस्त रहते हैं कि वे उस वक्त बाकी सब भूल जाते हैं, इसलिए उन्हें बताना चाहिए कि अगर उन्हें खेलते वक्त भी पेशाब आए या मल त्यागने की इच्छा हो तो खेलना छोड़कर पहले ये काम कर लेने चाहिए।