बच्चों में कम उम्र से ही स्वस्थ खाने की आदतों को विकसित करना चाहिए, ताकि आपका बच्चा बड़ा होकर एक सेहतमंद और स्वस्थ वयस्क बन सके। यही कारण है कि बाज़ार से खरीदे जाने वाले खाद्य पदार्थों पर न्यूट्रिशन लेबल को समझना, आपके बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी है। भारत में बचपन के मोटापे की दर में गंभीर रूप से तेज़ी आई है। इसका कारण न केवल आनुवांशिक है, बल्कि अन्य कारक भी हैं जैसे पर्यावरण और व्यवहार से जुड़े कारक जिन वजहों से शरीर में फैट जमा होता है।
आजकल बच्चे जिस तरह के भोजन पसंद करते हैं, वे उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, उन्हें "उनके भोजन में क्या है" यह जानना बहुत ज़रूरी है। इसलिए, एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) खाद्य उत्पादों पर पोषण संबंधी लेबलिंग को बहुत गंभीरता से लेता है और माता-पिता को बच्चों को पोषण लेबल पढ़ने के बारे में सिखाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह एक किताब की तरह है, जिसमें "सामग्री की लिस्ट" है, ताकि आप देख सकें कि पैकेट के अंदर क्या है। या खिलौने के डब्बे पे अंदर के खिलौनों का चित्र बना होता है।
न्यूट्रिशन लेबल ज़रूरी क्यूँ हैं ?
खाद्य पदार्थों के भी न्यूट्रिशन लेबल ऊपर बताए गए उदाहरण जैसे ही हैं। इनसे आपको पता चलता है कि पैकेट के अंदर जो भी खाना है उसमें कौन कौन से चीजें पड़ी हैं, मुख्य सामग्री क्या है और मैक्रो तथा माइक्रो न्यूट्रीएंट के बारे में भी पता चलता है।
जब न्यूट्रिशन लेबल को सही से पढ़ने की बात आती है तो माता-पिता अपने बच्चों को लेबल पढ़ना सिखा सकते हैं। इस तरह वे हमेशा सेहतमंद खाना ही चुनेंगे। छोटे बच्चों को ज़रूरी खाद्य समूहों के बारे में बताने से आपके बच्चे स्वस्थ खाना खाने की आदत बनाएँगे। बड़े बच्चों और प्री-टीन्स को न्यूट्रिशन लेबल तथ्यों के साथ साथ ज़रूरी पोषक तत्वों के फ़ायदे जानना भी बहुत ज़रूरी है।
न्यूट्रिशन लेबल पढ़ना क्यूँ ज़रूरी है?
खाद्य पोषण लेबल भोजन में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बताते हैं। आपके या आपके बच्चे के खाने में उचित मात्रा में विटामिन और मिनरल होने चाहिए, जिससे उसकी सही वृद्धि और विकास हो सके। पैकेट पर पोषण लेबल देखना मुश्किल नहीं है, क्योंकि यह पैक किए गए भोजन के बाहरी हिस्से पर लिखा होता है। कुछ पोषक तत्वों का माप ग्राम (g) में होता है, कुछ मिलीग्राम (mg) में, और कुछ पोषक तत्वों को प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है।
पैकेज पर ऊर्जा, प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिजों के बारे में जानकारी होती है। रोजाना आपको कितना पोषण खाना चाहिए यह आरडीए या रिकमेंडेड डाइटरी अलाउंस के रूप में लेबल पर लिखा होता है।
आमतौर पर वयस्कों को पोषक तत्व कितना खाना चाहिए इसके आधार पर खाद्य लेबल लिखा जाता है, फिर भी इसका फायदा यह है कि इससे बच्चों को पोषक तत्वों के नाम के बारे में पता चल सकता है। उन्हें इस बात से जुड़ी जानकारी मिल सकती है कि आइटम में क्या है, हर सर्विंग में कितने पोषक तत्व हैं, कितनी कैलोरी हैं, और मैक्रो और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा क्या है।
वे दो लेबल की तुलना भी कर सकते हैं और यह पता कर सकते हैं कि किस भोजन में फाइबर ज़्यादा है और किस भोजन में फैट की मात्रा ज़्यादा है और फिर वे सही निर्णय ले सकते हैं।
बच्चों को यह भी पता चलेगा कि लिस्ट में सबसे ऊपर जिस तत्व का नाम लिखा गया है उसकी मात्रा ज़्यादा होती है और आखिर में लिखी गयी सामाग्री की मात्रा सबसे कम।
माता-पिता अपने बच्चों को यह भी सिखा सकते हैं कि खाद्य पदार्थ में कितना शुगर है। बच्चे छोटी उम्र में ही यह सीख सकते हैं कि लेबल पर शुगर की जगह अन्य नाम जैसे फ्रूक्टोज़ कॉर्न सिरप, कॉर्न सिरप, सुक्रोज़ या ग्लूकोज का नाम लिखा हो सकता।
FSSAI के निर्देशानुसार पैकेट पर लोगो भी लगा होना चाहिए जिससे यह पता चलेगा कि खाना शाकाहारी है या मांसाहारी, इसमें एलर्जी करने वाले तत्व तो नहीं हैं, और इंसानों द्वारा वह भोजन खाया जा सकता है या नहीं। तो आप अपने बच्चों को इन सब चीजों के बारे में भी बता सकते हैं।
न्यूट्रिशन लेबल समझने के तरीके
सर्विंग का आकार देखें: पैरेंट्स के लिए यह ज़रूरी है कि वे अपने बच्चों को यह समझाएँ कि लेबल पर प्रति सर्विंग के अनुसार तथ्य लिखे होते हैं। लेकिन उनकी डाइट में एक सर्विंग से ज़्यादा हो सकता है इसलिए कैलोरी की मात्रा कम करने के लिए बच्चों को वह खाद्य पदार्थ सही मात्रा में ही खाना चाहिए।
कैलोरी भी देखें : बच्चों में मोटापे का कारण यह होता है कि उनके शरीर में कैलोरी की मात्रा असंतुलित रहती है यानि कि जितनी कैलोरी वे खाते हैं उतनी कैलोरी निकलती नहीं है। इसीलिए इस असंतुलन को कम करने के लिए खाने में कैलोरी की मात्रा देखना भी ज़रूरी होता है। और बच्चों को यह सिखाना चाहिए।
कुछ तय न्यूट्रीएंट ज़रूर देखें: बच्चों को यह जानना ज़रूरी है कि सभी पोषक तत्वों को अत्यधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। जैसे सेचूरेटेड फैट, ट्रांस फैट, एडेड शुगर, और सोडियम जैसे तत्व कम मात्रा में खाएं।
घर पर कैसे सिखाएँ
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बच्चों के पसंदीदा खाद्य पदार्थों के पैकेट लें, उनके हर लेबल देखें और उन्हें बताएं कि वे पोषक तटों से जुड़ी जानकारी को कैसे समझ सकते हैं।
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स्नैक्स खाने के समय अपने प्री-टीन्स को न्यूट्रीटीओन लेबल के तथ्यों और सर्विंग आकार के बारे में बताएं ताकि उन्हें खाद्य पदार्थ में मौजूद सामग्री और पोषक तत्वों के बारे में पता चलेगा और यह भी पता चलेगा कि उन्हें कितना खाना चाहिए।
सुपर मार्केट में कैसे सिखाएँ
चूंकि आप ज़्यादातर सामान सुपर मार्केट ही खरीदते होंगे तो अपने बच्चों को भी साथ लेकर जाएँ और उन्हें लेबल पढ़ना और समझना सिखाएँ।
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वे विभिन्न कैन, फल और जूस के लेबल पढ़ सकते हैं।
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फ़्रोज़न और बिना नमक वाली सब्जियों पर भी न्यूट्रिशन लेबल होता है जो आपके बच्चे पढ़ सकते हैं।
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बच्चों को समझदारी से खाद्य पदार्थ चुनना सिखाएँ। जैसे उन्हें बताएं कि साबुत अनाज वाले सीरियल में शुगर कम होता है फाइबर ज़्यादा होता है।
लंच रूम में कैसे सिखाएँ
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स्कूल के लंच रूम में यह देखना मुश्किल हो सकता है कि वे क्या खा रहे हैं लेकिन आप उन्हें लेबल के बारे में बता सकती हैं ताकि वे समझदारी से फैसला कर सकें।
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माता पिता या शिक्षक बच्चों से स्कूल के कैफेटेरिया में मिलने वाले खाद्य पदार्थों पर भी लेबल पढ़ने के लिए कह सकते हैं।