बच्चों को यूँ तो स्कूल की छुट्टियाँ मनाना बहुत पसंद होता है लेकिन जब उन्हें ज़बरदस्ती सारा दिन घर में बैठना पड़े तो यह बच्चों के साथ साथ उनके पेरेंट्स के लिए भी बहुत मुश्किल हो सकता है। स्कूल के समय पर बच्चे अगर घर पर रह रहे हैं तो उनके पढ़ने-लिखने, खेल-कूद, व्यायाम आदि से लेकर उनका रोज़ का रूटीन और खाने की आदतें भी बिगड़ सकती हैं।
अगर सबको घर से ही काम और पढ़ाई करनी पड़े तो रोज़ के काम कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। हालांकि, ऐसे में यह ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण का पूरा ध्यान ज़रूर रखें।
बच्चों के लिए हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग थकाने वाला या बोरिंग काम ना बनाएँ। बल्कि आप खेल-खेल में हाथ धोने के अलग अलग तरीक़ों के बारे में बच्चों को सिखा सकते हैं। आप उन्हें यह गिनने को कह सकते हैं कि वे एक दिन में या कुछ घण्टों में कितनी बार हाथ धोते हैं और वे एक चैलेंज पूरा करने पर बहुत ख़ुश भी होंगे!
हालांकि नियमित हाथ धोना बेहद ज़रूरी है लेकिन आपको यह भी याद रखना होगा कि जब बच्चों के रूटीन में बदलाव आता है तो उनके स्वास्थ्य और पोषण का भी ध्यान रखना उतना ही ज़रूरी हो जाता है। सामान्य छुट्टियों में तो आप बच्चों के रूटीन के साथ थोड़ा समझौता कर सकते हैं लेकिन अभी उनकी छुट्टियाँ नहीं हैं और वे घर पर ही हैं। ऐसे में बच्चों को नियमित भोजन और तय समय पर सभी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसे रूटीन से आपके बच्चे को सारा दिन घर पर बिताने की आदत भी बनेगी और उसे सुरक्षित भी महसूस होगा।
बच्चों को सारा दिन घर पर ही बिताना है ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा दिन भर थकावट से भरा या चिड़चिड़ा महसूस न करे तो आप उसके रूटीन को थोड़ा आसान बना सकते हैं। इसके लिए आपको ध्यान रखना होगा कि बच्चे अपनी दिनचर्या का काम भी पूरा करें और उन्हें अपनी मर्ज़ी से काम करने की भी आज़ादी मिल सके।
बच्चे सही ढंग से और सही समय पर खाना खाएँ इसके लिए भी एक तय रूटीन बनाना बहुत ज़रूरी है। सुबह का नाश्ता, दिन का खाना, शाम के स्नैक्स और रात का खाना पूरे परिवार के साथ ही खाएँ। कोशिश करें कि इन भोजन के समय में कोई बदलाव ना आये वरना आपके बच्चे की भूख, स्वास्थ्य और रूटीन पर गंभीर असर पड़ सकता है।
जंक फ़ूड न खिलाएँ! यह एक बेहतरीन समय है जब आप अपने बच्चों को पारंपरिक भोजन और अनाज आदि खिलाना शुरू कर सकते हैं और जान सकते हैं कि उन्हें क्या पसंद आता है और क्या नहीं। बच्चों को खाना बनाने के लिए प्रोत्साहित करें, उन्हें रसोई के कुछ छोटे-मोटे काम करने के लिए कहें और बच्चों के साथ मिलकर खाना बनाएँ। इससे बच्चों को ज़िम्मेदारी का एहसास होगा, उनका मन भी लगा रहेगा, कुछ शारीरिक गतिविधि भी होगी और साथ ही वे अपना बनाया हुआ खाना ख़ुशी-ख़ुशी खाएँगे!
आप प्लेट में खाना परोसने के बेहतरीन और आकर्षक तरीक़े भी बच्चे को सिखा सकते हैं। इससे आपका बच्चा रचनात्मक ढंग से सोचेगा और घर के खाने में ज़्यादा रुचि भी दिखायेगा।
बच्चों के रूटीन में नियमित व्यायाम यानी एक्सरसाइज़ शामिल करना भी बहुत ज़रूरी है। इससे बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और तंदरुस्त रहेगा। नियमित एक्सरसाइज़ करने से बच्चों को अच्छी भूख लगती है ताकि वे सही से खाना खा सकें। चूंकि बच्चे बाहर खेलने नहीं जा सकते हैं तो आप घर पर ही उनके लिए अलग-अलग एक्सरसाइज़ या खेल कूद के लिए माहौल बना सकते हैं। रस्सी कूदना, दौड़ना, हूला हूप से एक्सरसाइज़ आदि घर पर ही बेहद आसानी से हो सकते हैं! बच्चों के साथ डांस पार्टी करना भी बहुत शानदार विकल्प है! अपने घर को खेल का मैदान बनाने के लिए आपको सिर्फ़ एक बैट बॉल की ज़रूरत है, फिर देखिए कमाल!
हालांकि बाहर जाना मुश्किल है लेकिन कोशिश करें कि आपका बच्चा दिन में कम से कम 30 मिनट तक ऐसी बालकनी में या खिड़की के पास रहे जहाँ पर्याप्त धूप आती हो। इससे बच्चे को रोज़ाना विटामिन डी मिलेगा। अपने बच्चे के आहार में नियमित रूप से विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ ज़रूर शामिल करें। बच्चों की हड्डियों के मजबूत विकास के लिए विटामिन डी बेहद ज़रूरी है ख़ासकर उन बच्चों के लिए जिनका विकास तेज़ी से हो रहा है।
अगर बच्चे दिन भर घर पर रहें और कोई भी शारीरिक गतिविधि या थकान न हो तो मुमकिन है कि वे पानी भी कम ही पियेंगे। लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि आपका बच्चा रोज़ाना पर्याप्त पानी पिये। बच्चे अपने स्कूल में जो पानी की बोतल ले जाते हैं उनसे घर पर भी उसी बोतल से पानी पीने को कहें। अगर बच्चे के पेशाब का रंग हल्का है तो इसका मतलब है कि वह पर्याप्त पानी पी रहा है। कोशिश करें कि आप बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित कर सकें ताकि वे पानी भी ज़्यादा पियेंगे।
बच्चों को सामाजिक रूप से सक्रिय रखने के तरीक़े भी उनके रूटीन में शामिल करने चाहिए ताकि उन्हें अकेला महसूस न हो। बच्चों को दोस्तों और रिश्तेदारों से फ़ोन पर बात करने के लिए समय तय करें, बच्चों को उनका कमरा साफ़ करने में मदद करें, उन्हें अच्छे से तैयार करें ताकि घर पर उनका मन भी लगा रहे और वे शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त भी रह सकें।
बच्चों को सेहतमंद रखना केवल स्वस्थ भोजन खिलाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये भी तय करना ज़रूरी है कि वे खाना खाने के अलावा क्या कर रहे हैं। एक नियमित रूटीन और शारीरिक गतिविधि से बच्चों को अच्छी भूख भी लगेगी और उन्हें खाना खाने में भी मज़ा आएगा ताकि वे तंदरुस्त और स्वस्थ रह सकें।