सभी माता-पिता यही चाहते हैं कि वे अपने बच्चों की बेहतर परवरिश करें और उनके बच्चे हमेशा स्वस्थ रहे ताकि उनके बच्चे बड़े होकर कामयाब बनें और खुश रहें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहतरीन पोषण, कम इंफेक्शन, मेडिकल केयर और शिक्षा जैसी चीजें काफी अहम किरदार निभाती हैं। जब बच्चे बचपन में खुश रहते हैं तो इससे उनके कॉग्निटिव (याद रखना, सीखना, ध्यान देना, फैसला लेने जैसे काम) और भावनात्मक विकास पर बहुत अच्छा असर पड़ता है। बेहतर इमोशनल हेल्थ (अपनी क्षमता और योग्यता पर भरोसा) वाले बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में और प्रोफेशनल तौर पर सफल होने की ज़्यादा संभावना होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, खुशहाल बचपन ज़िंदगी भर खुश रहने और कामयाब होने की नींव तैयार करता है।
1950 के दशक में, न्यूट्रिशन और इम्यून सिस्टम के बीच संबंध के बारे में बहुत कम जानकारी थी। हालांकि, वक्त के साथ शोधकर्ताओं को यह समझ आना शुरू हो गया कि न्यूट्रिशन और इम्युनिटी काफी गहराई से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक दूसरे पर असर डालते हैं। उन्होंने पाया कि कुपोषण से बच्चे को इंफेक्शन होने का ज़्यादा खतरा होता है और फिर इंफेक्शन कुपोषण की स्थिति को और खराब कर सकता है।
अब दुनिया में कुपोषण को इम्यून सिस्टम के बेहतर तरीके से काम ना करने का मुख्य कारण माना जाता है। शिशु और बच्चों में इंफेक्शन का सबसे ज़्यादा ख़तरा रहता है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं होता है और आसानी से इंफेक्शन से नहीं लड़ सकता है। अब यह अच्छी तरह से पता चल चुका है कि खराब और अपर्याप्त पोषक तत्वों और भोजन का सेवन बच्चों के बार-बार बीमार होने का कारण बन सकता है। इससे बच्चे कमजोर हो जाते हैं और म्यूकोसल डैमेज के कारण इंफेक्शन होने का ज़्यादा ख़तरा रहता है।
बीमार बच्चे में कुपोषण और पोषक तत्वों की कमी से स्थिति और भी खराब हो सकती है क्योंकि इंफेक्शन के कारण डायरिया (दस्त) हो सकता है, जिससे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, मेलेब्सॉर्प्शन (एक ऐसी स्थिति जो छोटी आंत के माध्यम से पोषक तत्वों के अवशोषण को रोक देती है) हो सकता है और बच्चे को कम भूख लग सकती है।
बच्चे को अच्छी मात्रा में न्युट्रिशन मिल रहा है या नहीं, यह पता लगाने का अहम ज़रिया है उसका विकास
किसी इंसान में पोषक तत्वों की पर्याप्तता का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट जैसे कई तरीके हैं। हालांकि, एक बच्चे को अच्छी मात्रा में न्यूट्रिशन मिल रहा है या नहीं, इसका पता लगाने का प्राथमिक तरीका उम्र की हिसाब से ग्रोथ माइलस्टोन है। 2-5 साल की उम्र के बीच, हर साल लगभग 2 किलोग्राम की दर से वजन बढ़ता है और लंबाई हर साल लगभग 7-8 सेमी बढ़ जाती है। भोजन और पोषक तत्वों की कमी वज़न और कद पर असर डाल सकती है और इसलिए बच्चे में पोषण से मिलने वाले नतीजे देखने के लिए विकास को एक पैमाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
इस तरह से इम्यून सिस्टम किस तरह से काम कर रहा है, बच्चे के विकास से उसका पता भी लगाया जा सकता है। हमें यह याद रखना होगा कि इम्यून सिस्टम काम करने के लिए डाइट से मिलने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर रहता है। अगर डाइट से पूरा पोषण नहीं मिलता है, तो यह शरीर के अंदर की स्टोरेज से पोषक तत्वों को खींचना शुरू कर देता है और टिश्यू और मांसपेशियों को तोड़ना शुरू कर देता है। इसलिए, एक मजबूत इम्युनिटी यह सुनिश्चित कर सकती है कि डाइट से मिलने वाले पोषक तत्वों का इस्तेमाल इंफेक्शन से लड़ने के लिए नहीं बल्कि मुख्य तौर पर शरीर के विकास के लिए किया जाता है।
माइक्रो न्यूट्रिएंट का एंटीबॉडी बनाने और इम्यून सिस्टम का विकास करने से गहरा संबंध है। बताया जाता है कि दुनिया में लगभग 2 बिलियन लोग माइक्रो न्यूट्रिएंट की कमी से प्रभावित हैं। इसकी वजह से अच्छी तरह से विकास ना होना, कमज़ोर दिमाग, मृत्यु दर में बढ़ोतरी और इंफेक्शन होने के खतरे में बढ़ोतरी होती है। विटामिन A, C, E, ज़िंक, सेलेनियम ऐसे पोषक तत्व ऐसे हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं और इंफेक्शन से लड़ने में बच्चे की मदद कर सकते हैं।
ये पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में किस तरह से मदद करते हैं
गाजर, पपीता, आम, टमाटर और सी-फूड जैसे खाद्य पदार्थों से विटामिन A प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन A के सेवन के बाद यह शरीर के अंदर कई तरह के एक्टिव कंपाउंड (सक्रिय यौगिक) में बदल जाता है और ये एक्टिव कंपाउंड इंफेक्शन से लड़ने में शरीर को मदद करते हैं। ये व्हाइट ब्लड सेल्स के प्रसार को बढ़ाने में, पैथोजन (रोगजनक) के प्रति एंटीबॉडी रेस्पोंस और यहां तक कि म्यूकोसल (श्लैष्मिक) बैरियर को मजबूत करने में मदद करते हैं जो इंफेक्शन फैलाने वाले एजेंटों के प्रवेश को रोकते हैं। विटामिन A की कमी से कान में इंफेक्शन और अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (कान, नाक गले का इंफेक्शन) का खतरा बढ़ जाता है।
विटामिन C से भरपूर खाद्य पदार्थों में आंवला, अमरूद, शिमला मिर्च, नींबू, संतरा और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे मूली के पत्ते, सहजन के पत्ते आदि शामिल हैं। यह पैथोजन (रोगजनकों) को निगलने और मारने वाले फागोसाइट्स की क्रिया को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है, लिम्फोसाइट काउंट को बढ़ाता है जो सर्क्युलेटिंग एंटीबॉडी को बढ़ाता है और त्वचा के एपिथेलियल सेल मेम्ब्रेन (कोशिका झिल्ली) को मजबूत करता है जो इंफेक्शन के खिलाफ एक शारीरिक बैरियर बनाती है।
विटामिन E एक फैट-सॉल्युबल (वसा में घुलनशील) विटामिन है और यह एक एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर के अंदर सभी फ्री रेडिकल्स (मुक्त कणों) को हटा देता है। विटामिन E इम्यून सेल्स के सामान्य कामकाज के लिए काफी अहम होता है। यह इम्यून सेल्स में मौजूद होता है और इसे ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाने में मदद करता है। हम सूखे मेवे, अंडे, फोर्टिफाइड अनाज, वनस्पति तेल और पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों से विटामिन E प्राप्त कर सकते हैं।
अनाज, साबुत दालें, सूखे मेवे, फोर्टिफाइड ब्रेकफास्ट सीरियल्स और डेयरी प्रॉडक्ट जैसे खाद्य पदार्थों में ज़िंक की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, तेजी से घाव भरने में मदद करता है और सामान्य विकास का समर्थन करता है। यह इंफेक्शन के दौरान एक बहुत ही अहम मिनरल है क्योंकि यह व्हाइट ब्लड सेल्स की गतिविधि और काम को मजबूत करके इंफेक्शन के प्रति इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है।
सेलेनियम एक ट्रेस मिनरल है जिसका मतलब है कि इसकी बहुत ही कम मात्रा लेने की ज़रुरत होती है। सेलेनियम एक एंटी-ऑक्सीडेंट के तौर पर काम करके इम्यून सिस्टम के काम में सुधार करता है और सेलेनियम सप्लीमेंटेशन वास्तव में सांस से जुड़े इंफेक्शन के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह चिकन, मछली, अंडे, चिया सीड, तिल, गेहूं की भूसी, साबुत गेहूं का आटा, बंगाल चना दाल, सूखे मटर और दाल जैसे खाद्य पदार्थों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि सेलेनियम से फोर्टिफाइड दूध शरीर के लिए ज़्यादा बायो-अवेलेबल (शरीर द्वारा किसी पदार्थ को अवशोषित करने और इस्तेमाल करने की क्षमता) है और बच्चों के लिए सेलेनियम का एक महत्वपूर्ण सोर्स हो सकता है।
माता-पिता अपने बच्चों के लिए जो कुछ भी करते हैं, उससे फर्क पड़ता है। अपने बच्चे हमेशा एनर्जी और पोषक तत्वों से भरपूर स्वस्थ डाइट दें। सही न्यूट्रिशन और सामाजिक मेलजोल के साथ-साथ गाने गाना, ड्राइंग और बिल्डिंग ब्लॉक्स जैसी मज़ेदार एक्टिविटी से आप उनका बेहतर तरीके से पालन-पोषण कर सकते हैं और आपके बच्चे के बेहतर तरीके से बढ़ने और खुश रहने के लिए नींव तैयार कर सकते हैं।