आज आप अपनी रसोई में देखें तो कटोरी से लेकर चम्मच, पानी की बोतल, टिफ़िन बॉक्स, मसाले के डब्बे, हर जगह प्लास्टिक ही प्लास्टिक मौजूद है। और कुछ माता पिता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं कि प्लास्टिक के फ़ायदे से ज़्यादा नुक्सान होते हैं लेकिन फिर भी वे आज भी इस बात का उपाय नहीं खोज पाए हैं कि प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम और ख़त्म कैसे किया जाए? दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि अक्सर माता पिता के मन में यही सवाल रहता है कि बच्चों के खाने को प्लास्टिक के डब्बों में रखने से क्या नुक्सान हैं? और अगर प्लास्टिक के डब्बों में खाना रखना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो आपको यह जानना होगा कि आप इसके इस्तेमाल को कम कैसे कर सकते हैं।
शोध से पता चलता है कि प्लास्टिक में मौजूद केमिकल बच्चों के खाने में जा सकते हैं और इससे विभिन्न बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है जैसे मेटाबोलिज़्म में तकलीफ़, मोटापा, हृदय रोग, लिवर में तकलीफ़, और ख़राब फर्टीलिटी। जब प्लास्टिक गरम होता है तो इसमें मौजूद केमिकल और तेज़ी से खाने से चिपक जाते हैं। इसलिए खाने को प्लास्टिक के बर्तन में गरम करना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक हो सकता है। यहाँ प्लास्टिक के बारे में ज़रूरी जानकारी पाएँ और जब भी बच्चों के स्वास्थ्य का सवाल हो तो ज़िम्मेदार पेरेंट्स की तरह अच्छी चीज़ें ही चुनें।
प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक क्यों है?
उनकी संरचना के आधार पर, पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीइथाइलीन, पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट और पॉली कार्बोनेट जैसे विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक उपलब्ध हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के केमिकल होते हैं जैसे प्लास्टिसाइज़र, एंटीऑक्सिडेंट, और रंग के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल। ऐसे केमिकल वाले प्लास्टिक के डब्बे में अगर खाने को थोड़ी देर के लिए भी रखा जाए तब भी इसके प्रभाव बहुत ख़तरनाक हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पलने वाले शिशु के लिए ख़तरा ज़्यादा होता है क्योंकि ये केमिकल प्लेसेंटा से भी निकल सकते हैं और भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे केमिकल में, सबसे ज़्यादा हानिकारक फेटलेट्स और बीपीए हैं, जो दोनों मानव हार्मोन में रुकावट पैदा करते हैं।
BPA के बारे में और पढ़ें
अगर आप खाद्य पदार्थों पर प्लास्टिक में मौजूद केमिकल और उनके प्रभावों के बारे में जानना चाहते हैं, तो BPA के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है। ‘बीपीए फ्री’ एक ऐसा शब्द है जो अक्सर प्रतिष्ठित निर्माताओं द्वारा बनने वाली पानी की बोतलों और प्लास्टिक के कंटेनरों पर लिखा होता है। BPA या बिस्फेनॉल ए एक प्रकार का केमिकल है जो प्लास्टिक के डब्बों को मजबूती देता है और सख़्त बनाता है, इसके अलावा धातु से बने डब्बों पर जंग लगने से भी बचाता है। इसमें एक बहुत ही हानिकारक एस्ट्रोजन जैसा केमिकल होता है जिससे जल्दी प्यूबर्टी, शुक्राणुओं की कम संख्या, मोटापे, डायबिटीज़, जैसी समस्याओं का ख़तरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, इस केमिकल के कारण स्तन, ओवेरियन, टेस्टिकुलर, और प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।
कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि BPA मुक्त प्लास्टिक की बोतलें भी हानिकारक हो सकती हैं। बिस्फेनॉल एस और बिस्फेनॉल एफ बीपीए की जगह इस्तेमाल किए जाने वाले विकल्प हैं। और शरीर में ज़्यादा बीपीएस स्तर से वज़न भी बढ़ता है। हालांकि, BPA के विपरीत, जब आप कंटेनर को गर्म करते हैं, तो ये केमिकल खाद्य पदार्थों पर चिपकते नहीं हैं। याद रखें कि BPA मुक्त प्लास्टिक का मतलब यह नहीं है कि वह प्लास्टिक केमिकल मुक्त भी होगा। हालांकि इस क्षेत्र में अभी अधिक शोध होने बाक़ी हैं। इस केमिकल से परहेज करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि खाद्य पदार्थों के लिए ग्लास या सड़न रोकने वाले टेट्रा पैक डब्बे का इस्तेमाल करें। आप स्टेनलेस स्टील के बर्तनों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे ज़रूरी बात, किसी भी तरह के प्लास्टिक कंटेनर में खाना कभी भी गर्म न करें।
अन्य प्लास्टिल केमिकल के बारे में भी जानें ज़रूरी बातें
फेटलेट्स का उपयोग विनाइल प्लास्टिक को लचीला और नरम बनाने के लिए किया जाता है। वे बड़े पैमाने पर फ़ूड प्रोसेसिंग के उपकरण, खिलौने, विनाइल उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों, आदि में इस्तेमाल किए जाते हैं। फेटलेट्स हानिकारक पदार्थ हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करते हैं, लेकिन, कई सौंदर्य प्रसाधन और व्यक्तिगत देखभाल के उत्पाद में ये अधिकतम मात्रा में होते हैं और इनका इस्तेमाल महिलाएँ ज़्यादा करती हैं जैसे शैंपू, साबुन और बॉडी वॉश जैसे उत्पाद।
माइक्रोवेव में प्लास्टिक के कंटेनरों में खाद्य पदार्थों को गर्म करने से प्लास्टिक में मौजूद केमिकल निकल सकते हैं और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। फैट युक्त खाद्य पदार्थ, ख़ासतौर से मांस और पनीर आदि में ये केमिकल अधिकतम मात्रा में घुलते हैं। यहां तक कि भले ही आप खाने को प्लास्टिक के बर्तन में रखकर माइक्रोवेव में गरम न करें तब भी प्लास्टिक के बर्तनों में रखा खाना थोड़ी भी गर्मी या धूप के संपर्क में आएगा तो इसमें से केमिकल निकल सकते हैं और खाने में चिपक सकते हैं।
अगर टमाटर जैसे अम्लीय खाद्य पदार्थ प्लास्टिक के डब्बे में रखें हैं तो इनमें भी ये केमिकल चिपक सकते हैं। इसके अलावा, घरों या ऑफ़िसों में इस्तेमाल किए जाने वाले विनाइल या प्लास्टिसिन, में भी कुछ समय फेटलेट्स जैसे केमिकल से युक्त गैस निकल सकती है। इसी तरह, अगर आप माइक्रोवेव में खाना गर्म कर रहे हैं और कटोरे को ढकने के लिए प्लास्टिक के ढक्कन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ढक्कन पर जमने वाली भाप में भी केमिकल के हिस्से हो सकते हैं और यह खाने को नुक्सान पहुँचा सकते हैं।
टेफ्लॉन और लगभग सभी नॉन-स्टिक कुकवेयर आइटम बनने से लेकर उच्च तापमान पर इस्तेमाल होने तक ज़हरीले केमिकल छोड़ते हैं। इससे बचने के लिए, अपने नॉन-स्टिक कुकवेयर को उच्च तापमान पर गर्म न करें और इसे 500 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ओवन में न रखें। कास्ट आयरन कुकवेयर हमेशा सुरक्षित होता है। अपने बच्चे के आहार से प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त करना असंभव है, लेकिन, जो काम आप सबसे पहले कर सकते हैं वो यह है कि माइक्रोवेव में किसी भी प्रकार के प्लास्टिक कंटेनर में भोजन को गर्म करने से बचें। इसके अलावा, दुकानों से प्लास्टिक के कंटेनर में रखे उत्पाद न ख़रीदें।
प्लास्टिक से परहेज करने के अन्य सुझाव
हर साल लाखों टन प्लास्टिक कूड़ा निकलता है जिससे हमारे आहार में और भी हानिकारक केमिकल आते हैं। इस कूड़े का केवल 7 प्रतिशत ही रिसाइकल होता है यानी दुबारा इस्तेमाल करने लायक बनाया जाता है। नीचे बताये गए सुझावों से प्लास्टिक कूड़ा कम किया जा सकता है;
- प्लास्टिक स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना बंद करें, अगर इस्तेमाल करना ही है तो स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल करें।
- प्लास्टिक के बजाय कपड़े का बैग इस्तेमाल करें जिसे धोकर दुबारा इस्तेमाल किया जा सके।
- बोतल वाले सामान ख़रीदने के बजाय डब्बे वाला सामान ख़रीदें जैसे सर्फ का डब्बा क्योंकि प्लास्टिक की तुलना में कार्डबोर्ड को जल्दी रीसाइकल किया जा सकता है।
- पास्ता, चावल, अनाज आदि जैसे सामान एक बार में ही ज़्यादा दिनों के लिए ख़रीद लें और उन्हें बैग या टिन के डब्बे में रखें।
- अगर आप कहीं से सामान ख़रीद रहे हैं तो दुकान में अपना बैग या डब्बा लेकर जाएं ताकि प्लास्टिक के थैलों का इस्तेमाल कम हो सके।
- प्लास्टिक लाइटर के बजाय माचिस का इस्तेमाल करें।
- फ्रोज़न फ़ूड का इस्तेमाल कम से कम करें क्योंकि वे ज़्यादातर प्लास्टिक में ही पैक होते हैं।
- घर पर प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल न करें
- बच्चों के लिए डिस्पोजेबल डायपर के बजाय कपड़े वाले डायपर का इस्तेमाल करें।
- बाज़ार से प्लास्टिक बोतल में मिलने वाले जूस ख़रीदने से बेहतर है कि बच्चों को ताज़ा फलों का जूस बनाकर पिलाएँ या उन्हें साबुत फल खाने को दें।
- बच्चों को स्टील के डब्बे में टिफ़िन पैक करके दें।
अब आपको पता चल गया होगा कि प्लास्टिक के डब्बों और बर्तनों में से केमिकल निकलते हैं और यह आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। तो अब कोई भी खाद्य पदार्थ ख़रीदते समय सही फ़ैसला लें, प्लास्टिक से परहेज करें, खाने को प्लास्टिक के बर्तन में न रखें न ही प्लास्टिक के बर्तन में गरम करें। अपनी रसोई से आज ही प्लास्टिक कम करें और धीरे धीरे इसका इस्तेमाल पूरी तरह बंद करें और आपको ज़िंदगी भर के लिए बेहतरीन स्वास्थ्य मिलेगा।