ओमेगा-3 फैटी एसिड के पोषण संबंधी महत्व के कारण पिछले कुछ सालों से इसका सेवन करने पर काफी ज़ोर दिया जा रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ओमेगा-3 क्या हैं और बच्चों को इनकी ज़रूरत क्यों होती है? बच्चों के लिए ओमेगा-3 कितने फ़ायदेमंद हैं और इनके क्या साइड-इफेक्ट होते हैं?
ओमेगा-3 फैटी एसिड सेहतमंद और पौष्टिक डाईट का ज़रूरी हिस्सा हैं। ये बच्चों की उचित वृद्धि और विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं और इनसे शरीर को बहुत से फ़ायदे मिलते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी ज़रूरी फैटी एसिड होते हैं क्योंकि ये हमारे शरीर में नही बनते हैं और डाईट या सप्लीमेंट से इनका सेवन करना पड़ता है। आपके बच्चों को अल्फा लिनोलेनिक एसिड (एएलए), इकोसापेन्टानोइक एसिड (ईपीए) और डॉकसैहेक्साइनॉइक एसिड (डीएचए) जैसे तीन तरह के ओमेगा-3 फैटी एसिड की ज़रूरत होती है।
बच्चों के लिए ओमेगा-3 के फ़ायदे
हमारे शरीर को मांसपेशियों की क्रिया से लेकर कोशिकाओं की वृद्धि तक, बहुत सारे काम करने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की ज़रूरत होती है:
- दिमागी स्वास्थ्य: ओमेगा-3 बच्चों के दिमागी विकास को और उनकी सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं। अच्छी मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड खाने से स्कूल जाने वाले बच्चों की कार्यकुशलता और प्रदर्शन अच्छा होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड, न्यूरोट्रांसमीटर कार्य करने में बहुत ख़ास भूमिका निभाते हैं और मनोवैज्ञानिक व व्यवहारिक अवस्थाओं को मैनेज करने में भी मदद करते हैं।
- एडीएचडी बच्चों के लिए अच्छा है: ओमेगा-3 सप्लीमेंट का एडीएचडी से पीड़ित बच्चों पर काफी अच्छा असर देखने को मिला है। एडीएचडी का मतलब अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ध्यान की कमी और अत्यधिक सक्रियता की बीमारी) होता है। बहुत ज्यादा सक्रियता, जल्दबाज़ी और ध्यान लगाने में परेशानी, ये सब एडीएचडी के लक्षण हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड खाने से याददाश्त, सावधानी, सीखने की योग्यता और आवेग जैसे दिमागी काम बेहतर होते हैं।
- नई कोशिकाओं के विकास में मदद करते हैं: ओमेगा 3 फैटी एसिड नर्वस सिस्टम और दिल के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं और पोषक तत्वों को सोखने में भी शरीर की मदद करते हैं। ये आँखो के विकास के लिए भी बहुत ज़रूरी हैं।
- अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं: अस्थमा एक लम्बे वक्त तक चलने वाली स्थिति है, जिसकी वजह से सांस ना आना, सीने में दर्द, खाँसी और घरघराहट होती है। कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण कम करने में मदद मिलती है।
- बेहतर और पूरी नींद लेने में मदद करते हैं: अध्ययनों से पता चलता है कि डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कम मात्रा लेने से ठीक से नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है। इसलिए पूरी और अच्छी नींद के लिए ओमेगा-3 बहुत ज़रूरी है। एक अध्ययन के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा बढ़ाने से नवजात शिशुओ की नींद के पैटर्न में सुधार देखने को मिल सकता है।
ओमेगा-3 सप्लीमेंट के साइड-इफेक्ट
ओमेगा-3 सप्लीमेंट के सेवन के कारण नीचे बताए गए संभावित साइड-इफेक्ट हो सकते हैं:
- सांस की बदबू
- खाने के बाद बुरा स्वाद
- सिर में दर्द होना
- सीने में जलन
- पेट दर्द या पेट की अन्य परेशानियां
- मतली
- दस्त
- चकत्ते
नोट: हालांकि साइड-इफेक्ट होने की काफी कम संभावना है इसलिए बच्चों को सही मात्रा में ओमेगा-3 देना चाहिए। डॉक्टर बच्चों की सेहत और उनके डाइट प्लान को देखने के बाद ओमेगा-3 की सही मात्रा बता सकता है।
बच्चों के लिए आमतौर पर ओमेगा-3 की मात्रा इस प्रकार है
- 0-12 महीने के बच्चों के लिए रोज़ाना 0.5 ग्राम
- 1 से 3 वर्ष के बच्चों के लिए रोज़ाना 0.7 ग्राम
- 4 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए रोज़ाना 0.9 ग्राम
- 9 से 13 वर्षों के दौरान (लड़कों के लिए) रोज़ाना 1.2 ग्राम
- 9 से 13 वर्षों के दौरान (लड़कियों के लिए) रोज़ाना 1.0 ग्राम
- 14 से 18 वर्षों के दौरान (लड़कों के लिए) रोज़ाना 1.6 ग्राम
- 14 से 18 वर्षों के दौरान (लड़कियों के लिए) रोज़ाना 1.1 ग्राम
ज़्यादातर अध्ययनों में यह पाया गया है कि रोज़ाना डीएचए और ईपीए का 120-1300 मिली ग्राम का संयोजन देने से बच्चों की सेहत अच्छी बनती है। हालांकि, ओमेगा-3 की ज़रूरत सब में अलग-अलग होती है। इसलिए बच्चों को सप्लीमेंट देने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
ओमेगा-3 फैटी एसिड के प्राकृतिक स्रोत
रवास या भारतीय सैल्मन, रोहू, पॉम्फ्रेट, जैसी मछली, अंडे, सोयाबीन, अखरोट और पालक बच्चों के लिए सबसे अच्छे ओमेगा-3 स्रोत हैं। ज़्यादा फायदे लेने के लिए मछली को बेक करके या भाप में बनाया जा सकता है। साथ ही, उबले अंडे और सोयाबीन व पालक का स्टू बनाना भी अच्छा विकल्प है। अखरोट को कतर के या पीस कर सलाद या स्मूदी में मिलाया जा सकता है।
निष्कर्ष
ओमेगा-3 फैटी एसिड बच्चों की संपूर्ण सेहत और विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं। ये बच्चों के दिमागी सेहत के साथ-साथ अच्छी नींद के लिए भी फ़ायदेमंद होते हैं और एडीएचडी व अस्थमा के लक्षण कम करने में भी मददगार होते हैं।