यह तो जानी मानी बात है कि बच्चों के सेहतमंद वज़न का मतलब होता है अच्छा स्वास्थ्य। हालांकि आजकल स्वस्थ खाने की आदतों, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और जागरूकता की कमी के कारण बच्चों में मोटापे की समस्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। जेनेटिक कारण, हॉर्मोन्स में असंतुलन, और यहाँ तक कि सामाजिक, संस्कृति आदि भी बच्चों में मोटापा बढ़ने के कारण हैं। अगर आपको इस बात की चिंता है कि आपको क्या करना चाहिए और किसकी बात पर यकीन करना चाहिए तो आपको भ्रम और तथ्य जानना ज़रूरी है। इस लेख में बच्चों के मोटापे से जुड़े भ्रमों के बारे में जानिए ताकि पेरेंट्स होने के तौर पर आप अपने बच्चे का सही और संतुलित विकास कर सकें।

भ्रम 1: बचपन में मोटापे का कारण जेनेटिक होता है

वज़न बढ़ने और मोटापे के अनुवांशिक कारण हो सकते हैं लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है। कुछ बच्चों का वज़न उनके जीन के कारण बढ़ता होगा लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं है। संतुलित और पौष्टिक आहार खाने से और शारीरिक गतिविधियों और स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने से बच्चे स्वस्थ वज़न पा सकते हैं।

भ्रम 2: जिन बच्चों का वज़न ज़्यादा होता है, बड़े होने पर उनका वज़न कम हो जाएगा।

बच्चों के मोटापे से जुड़ा यह बहुत ही आम और नुकसानदेह भ्रम है। बचपन का मोटापा हमेशा वयस्कता तक नहीं रहता है लेकिन इसका ख़तरा ज़रूर बढ़ जाता है। छोटे बच्चे जिनका वज़न ज़्यादा है या जो मोटापे से ग्रस्त हैं, वे किशोरावस्था में भी ऐसे ही रहते हैं। और कुछ बच्चे वयस्क होने के बाद भी इस समस्या से उबर नहीं पाते हैं।

भ्रम 3: मोटापा ग्रस्त या ज़्यादा वज़न वाले बच्चों को वज़न कम करने के लिए एक तय आहार का पालन करना चाहिए

जब तक आपके फिजिशियन ने न कहा हो तब तक बच्चों का वज़न कम करने के लिए उनके लिए स्ट्रिक्ट डाइट रखने की ज़रूरत नहीं है। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चे का वज़न तेज़ी से न बढ़े और बच्चे का विकास उनके शरीर के हिसाब से ही हो। बच्चे को स्वस्थ, पौष्टिक और संतुलित आहार के साथ साथ नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेना चाहिए। जिन जंक फूड में सेचुरेटेड फैट, शुगर और नमक की मात्रा अत्यधिक होती है वह नहीं खाना चाहिए।

भ्रम 4: मोटापा हॉर्मोन से जुड़ी समस्या है

हालांकि हॉर्मोन्स के कारण वज़न बढ़ सकता है लेकिन बचपन में हॉर्मोन्स ही मोटापे का कारण हों ऐसा बहुत कम होता है। कुशिंग सिंड्रोम ऐसी ही एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है जिससे शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन आ जाता है। इस बीमारी के कारण मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है।

हाइपोथायरोइडिज़्म भी वज़न बढ़ने का कारण हो सकता है लेकिन यह वज़न 5 से 10 किलोग्राम की दर से बढ़ता है (बहुत तेज़ी से)। बच्चों में सब-क्लीनिकल हाइपोथायरोइडिज़्म की समस्या के कारण थाइरोइड हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है लेकिन सामान्यतः यह अत्यधिक हाइपोथायरोइडिज़्म का कारण नहीं बनता है।

ध्यान दीजिए कि बच्चों में मोटापे के कारण इन्सुलिन रसिस्टेन्स और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का भी ख़तरा बढ़ जाता है। बच्चों में मोटापा और इन्सुलिन दोनों एक दूसरे से जुड़े होते हैं।

भ्रम 5: केवल जंक फ़ूड खाने से, खाना छोड़ने से और मीठे पेय पदार्थ पीने से ही वज़न बढ़ता है और मोटापा होता है

बच्चों में मोटापा अक्सर अस्वस्थ खाने की आदतों या बच्चों को मिलने वाले पोषण के कारण होता है। अगर बच्चे दिन भर सेहतमंद स्नैक्स के साथ पौष्टिक, संतुलित आहार खाएँ, नाश्ता न छोड़ें तो वज़न बढ़ने और मोटापे के ख़तरे को कम किया जा सकता है।

अगर बच्चे बहुत ज़्यादा जंक फूड खाएँगे तो मोटापा हो सकता है। साथ ही बहुत ज़्यादा चीनी वाले ड्रिंक पीने से वज़न भी बहुत ज़्यादा बढ़ता है। हालांकि अगर आप पैकेज्ड फ़ूड सोच समझकर और लेबल अच्छे से पढ़कर ख़रीद रहे हैं तो संतुलित आहार में इन्हें शामिल करने से वज़न बढ़ने का ख़तरा नहीं होगा।

भ्रम 6: हर तरह का फैट स्वाथ्य के लिए हानिकारक होता है और बच्चों में वज़न बढ़ने और मोटापे का कारण बनता है

सभी फैट से वजन बढ़ने या मोटापे का ख़तरा नहीं होता है। बल्कि सामान्य शारीरिक क्रियाओं और दिल के बेहतर स्वास्थ्य के लिए फैट की बहुत ज़रूरत होती है। आहार से फैट को पूरी तरह से हटाने के बजाय, हानिकारक फैट की जगह सेहतमंद फैट खाएँ। अपने बच्चे के भोजन में स्वस्थ फैट शामिल करें, जैसे कि फैटी मछली, नट, और बीज के रूप में अनसेचुरेटेड फैट। उदाहरण के लिए, आप घी, कम फैट वाले डेरी उत्पाद और अंडे शामिल कर सकते हैं। खाना पकाने के लिए जैतून का तेल, नारियल तेल या तिल तेल का इस्तेमाल करें। डोनट्स या पेस्ट्री के बजाय, दूध या पनीर चुनें और तले हुए चिकन के बजाय, ग्रिल्ड चिकन या मछली शामिल करें। ट्रांस-फैट, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, जंक फूड, तले हुए खाद्य पदार्थ और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों की खपत कम करें।

भ्रम 7: बच्चों के आहार से मीठी चीजें पूरी तरह हटाएँ। क्योंकि बच्चों के मोटापे का सबसे बड़ा कारण यही है

एक बच्चे के आहार से मिठाई पूरी तरह हटाना न तो पूरी तरह सही है और न ही आसान क्योंकि ऐसा करने से उनकी इच्छा और ज़्यादा बढ़ेगी। कुकीज़, कैंडी, पेस्ट्री आदि के बजाय घर की बनी खीर, पायसम, सूजी का हलवा या कस्टर्ड जिसमें थोड़ी चीनी या गुड़ होता है, ज़्यादा सेहतमंद होता है। इन्हें प्राकृतिक रूप से मीठा बनाने के लिए आप सूखे मेवे या ताजे फलों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ताजे या सूखे फलों से बनी स्मूदी भी एक अच्छा विकल्प है।