माता-पिता हमेशा अपने बच्चों का भला ही सोचते हैं। खासकर जब उनके खाने और पोषण की बात आती है। लेकिन कई बार माता-पिता खाने के मामले में कुछ आम गलतियां कर बैठते हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। ये गलतियां वो जानबूझकर नहीं करते बल्कि सही जानकारी ना होने कि वजह से करते हैं। डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ (न्यूट्रीशनिस्ट) की सलाह के बगैर बच्चों के लिए संतुलित खाने की योजना (बैलेंस्ड मील प्लान) बनाना भी एक गलती है।
अगर आप पहली बार माता-पिता बने हैं, तो आप अक्सर अपने परिवार वालों और दोस्तों की सलाह लेते होंगे, जो कई बार गलत भी हो सकती है। याद रखें, हर बच्चा अलग होता है और उसकी ज़रूरत भी। इसलिए जो एक बच्चे के लिए सही है ज़रूरी नहीं कि वो दूसरे के लिए भी सही हो। और इसलिए बच्चों को खाना देते समय कई गलतियां हो जाती हैं।
बच्चों के खाने को लेकर की जाने वाली कुछ गलतियां नीचे दी गयी हैं, जिनसे माता-पिता को बचना चाहिए:
- खाने की चीज़ें इनाम के तौर पर देना: बच्चों के किसी काम को अच्छे से करने के बदले में उन्हें इनाम देना बहुत अच्छी बात है, इससे उन्हें बढ़ावा मिलता है, वे जिम्मेदारी और परवाह करना सीखते हैं। लेकिन, इनाम में जंक फ़ूड कभी भी ना दें। ऐसा देखा गया है कि, अगर बच्चे स्कूल टेस्ट में अच्छे नंबर लाते हैं या फिर घर के कामों में सहायता करते हैं तो माता-पिता उन्हें चॉकलेट, कोला या तले हुए स्नैक्स इनाम में देते हैं। इस तरह से बच्चों के खाने में, इन चीज़ों में मिली हुई नुकसानदायक चीनी, सैचुरेटेड फैट और बहुत ज़्यादा नमक चला जाता है। इसके बदले आप उन्हें ताज़े फल दे सकते हैं! और क्यों न आप उन्हें कोई ऐसी चीज़ दें जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त बने। जैसे कि बोर्ड गेम या फिर परिवार के साथ एक छोटी से पिकनिक के लिए बाहर जाना।
- खाने की चीज़ों की रिश्वत देना: बच्चों को खाने की चीज़ें रिश्वत के तौर पर देना बिलकुल गलत है। हालाँकि, इनाम देने का मतलब है तारीफ करना, लेकिन रिश्वत वो नियम और शर्तें हैं जिन्हें आप बच्चों को बिना कोई वजह बताए जबरदस्ती खाना खिलाने के लिए बनाते हैं। याद रखें कि, बच्चों को खाना खिलाने के लिए रिश्वत सिर्फ एक बार ही काम आएगी। लेकिन आगे चलकर, यह चाल बच्चों को सही खाना खिलाने के काम नहीं आएगी। बताने की जरूरत नहीं है कि, इससे बच्चे ये भी सीखते हैं कि अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत दी जा सकती है, जो बेईमानी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।
- खाली प्लेट का मतलब पेट भरना नहीं है: बच्चों का दिमाग उन्हें बताता है कि उनका पेट भर गया है या नहीं, जिसे उनका शरीर थोड़ी देर में समझता है। इस वजह से बच्चे अक्सर ज़रूरत से ज़्यादा खा लेते हैं। इसलिए बच्चों को अपने दिमाग की बात को समझने और मानने दें। बेहतर होगा कि आप बच्चों को थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाने को दें जिससे उनको सही पोषण भी मिले और खाना भी ठीक से पचे।
- बहुत ज़्यादा टीवी देखना: टीवी और फ़ोन पर वीडियो देखने से बच्चों का ध्यान भटकता है, और उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे क्या और क्यों खा रहे हैं। जबकि, उनका ध्यान अपने खाने की प्लेट पर होना चाहिए। डाइनिंग टेबल पर पूरे परिवार वालों के साथ मिलकर खाना खाने से बच्चा ऐसी चीज़ें खाना सीखता है जो आपकी परंपरा और घर के खाने के रिवाज के मुताबिक हो, साथ ही खाने के पोषण की अहमियत को भी समझता है। इस तरह बच्चे आगे जाकर भी पौष्टिक खाना ही पसंद करते हैं। पहले से ही खाने और टीवी देखने के समय को अलग रखने का नियम बना लें।
- नियम बच्चों के लिए है, मेरे लिए नहीं: बच्चे हर चीज़ को बहुत ध्यान से देखते हैं इसलिए सही उदाहरण बनें। आप भी इन सभी अच्छी आदतों को अपनाएं जैसे कि सही समय पर खाना, खाने के पहले और बाद मे हाथ धोना, घर मे बनाई गई हर चीज़ को खाना, खाना खाते समय बात न करना, खूब सारा पानी पीना, खाना न फैलाना, खाने को बरबाद न करना और बाकी दूसरी बातें। आप अपनी प्लेट में कितना खाना डालते हैं, उसे कैसे खाते हैं और कैसे बैठ कर खाते हैं ये सब चीज़ें बच्चे ध्यान से देखते हैं और वैसा ही करने की कोशिश करते हैं। आपकी एक छोटी सी गलती भी उनकी आदत बन सकती है।।
माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि बच्चों को सही-गलत का फर्क नहीं पता। लेकिन, बचपन से ही बच्चों में ये सारी चीज़ें सीखने की समझ होती है। चाहे खाना हो, बर्ताव करना हो, शिक्षा से संबंधित हो या उनके शौक हों, इन सभी चीज़ों को बढ़ावा देने के लिए आप लगातार उन्हें ज़रूरी पोषण देने की कोशिश करते हैं और यही उनके भविष्य की नींव है। आशा करते हैं कि ये आर्टिकल आपको, माता -पिता द्वारा की जाने वाली खाने की गलतियों से दूर रखेगा।