हम सभी को गोलमटोल गाल और कोमल त्वचा और मोटे हाथ वाले चुलबुले बच्चों को प्यार करना और उनके साथ खेलना अच्छा लगता है। और गोलमटोल बच्चे फैमिली फ़ोटो को भी बहुत प्यारा बना देते हैं। लेकिन माता-पिता को यह समझने की ज़रूरत है कि, यह स्वस्थ बच्चे की निशानी नहीं होती है, खासकर तब जब आपका छोटा बच्चा अपने बचपन के फैट को बड़ा होने के बाद भी कम न कर पाए। भारत में, कई सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों से एक मोटा बच्चा अक्सर स्वस्थ माना जाता है। हालांकि, यह स्वीकार न करना कि आपके बच्चे का वज़न ज़रूरत से ज़्यादा है, जो वास्तव में है, भविष्य में एक बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। अगर सही समय पर जाँच न की जाए तो अत्यधिक वज़न बचपन के मोटापे और किशोरावस्था में डायबिटीज़ के ख़तरे बढ़ा सकता है। तो, यहाँ आप क्या कर सकते हैं।
कैसे पता करें कि आपके बच्चे का वज़न बहुत ज़्यादा है?
इसके लिए, आप एक ग्रोथ चार्ट प्लॉट देख सकते हैं, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, जो आपके बच्चे की उम्र के मुकाबले आपके बच्चे की लंबाई और वज़न के विकास के बारे में बताता है। आपके बच्चे की लंबाई, वज़न और उम्र को ध्यान में रखते हुए, डॉक्टर उसकान बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) निकालते हैं। फिर वह इसे ग्रोथ चार्ट पर प्लॉट करेंगे और उसकी तुलना अन्य बच्चों के औसत प्लॉट से करेंगे, जो समान मापदंडों पर आधारित है। इसे BMI परसेंटाइल कहा जाता है। यह डॉक्टर को एक निष्पक्ष नतीजा देगा कि आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में कितना विकसित है। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा 80 वें परसेंटाइल पर है, तो इसका मतलब है कि उसका बीएमआई उसी उम्र के अन्य बच्चों से 80% ज़्यादा है। हालांकि, सिर्फ़ एक बार डॉक्टर के पास जाकर यह निष्कर्ष निकालना सही नहीं है कि आपके बच्चे को वज़न कम करने की ज़रूरत है या नहीं। अगर 2 या 2 से ज़्यादा बार ये बीएमआई 85 परसेंटाइल से ज़्यादा पाया जाता है, तो डॉक्टर इसे एक निश्चित संकेत मान सकते हैं और बच्चे का वज़न कम करने के तरीकों के बारे में सलाह दे सकते हैं।
अपने बच्चे का वज़न कम करने के सुझाव
एक बार जब आपको पता चल जाता है कि आपके बच्चे का वज़न ज़रूरत से ज़्यादा है, तो अपने बच्चे को स्ट्रिक्ट डाइट और गैर जरूरी तरीक़ों से वज़न कम करने के बजाय इस समस्या को समझदार और व्यवहारिक तरीक़े से देखना चाहिए वरना आपके बच्चे को और ज़्यादा नुक्सान हो सकते हैं। छोटे बच्चे को वज़न घटाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ स्मार्ट तरीके हैं:
अपने बच्चे से बात करें कि अतिरिक्त वज़न उसे कितना नुकसान पहुंचा सकता है। नियमित भोजन का समय निर्धारित करें, बड़े के बजाय छोटे और लगातार भोजन करने की कोशिश करें, और खाने के समय को आरामदायक बनाएँ।
समझें कि आपके बच्चे को अधिक खाने के लिए क्या प्रेरित करता है और किसी भी काम के लिए तोहफे में जंक फूड न दें। भोजन के दौरान टीवी देखना बंद करें।
अपने बच्चे को प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के फ़ायदों और हर भोजन समूह के खाद्य पदार्थ फ़ायदेमंद क्यों हैं, यह समझाने की कोशिश करें। इससे वह खुद ही फैट या कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजे कम कर देगा।
इसके अलावा, ध्यान रखें कि छोटे बच्चे नकल करके सीखते हैं, और इसलिए, माता-पिता के रूप में आपके लिए यह ज़रूरी है कि आप भी सेहतमंद और पौष्टिक खाना ही चुनें। उदाहरण के लिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ज़्यादा फल खाये तो आपको ख़ुद भी अपने आहार में फल शामिल करने चाहिए।
खाने की मात्रा के बजाय खाने की गुणवत्ता पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है। बच्चों को पसंद आने वाले स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों को उनके आहार से धीरे धीरे कम करें। और इसके अलावा बच्चों को सेहतमंद स्नैक्स जैसे सब्जियां, फल, दही और ताज़ा फलों का जूस दें ।
जब भी आप सुपरमार्केट से ख़रीदारी करने जाएँ तो स्वास्थ्य के लिए अनहेल्दी खाद्य पदार्थ और स्नैक्स से अपना किचन ना भरें ताकि बच्चों को इनसे दूर रखा जा सके। मार्केट से कोई भी सामान खरीदने से पहले उसपर लिखा न्यूटीरिशन लेबल ज़रूर पढ़ें।
कभी कभार ज़्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ की जगह कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाना भी आपके बच्चे के लिए बेहदफ़ायदेमंद हो सकता है जिसमें ज़्यादा मुश्किल भी नहीं है। उदाहरण के लिए 2 साल की उम्र तक बच्चों को जो फुल फैट दूध (4-5% फैट) दिया जाता है उसकी जगह कम फैट वाला दूध (1-2%) देने की कोशिश करें। इससे अपने आप ही कैलोरी की संख्या कम हो जाएगी। इससे बच्चों के आहार में पोषक तत्वों की कमी भी नहीं होगी।
कैंडी या चीनी की मिठाई के बजाय ताजे फलों के टुकड़े देना आपके बच्चे को स्वस्थ होने में मदद करने का एक और तरीका है। बच्चों को डब्बाबंद जूस देने से बचें क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है।
गर्मियों में, उन्हें खेलने के बाद प्यास बुझाने के लिए जूस के बजाय सादा पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें। नारियल पानी, चीनी के बिना कम फैट वाली लस्सी, और फलों या हर्ब्स से भरा पानी अच्छे विकल्प हैं।
धीरे-धीरे खाना पकाने के तरीकों को भी बदलें। जैसे तले भुने खाने की बजाए उबला, बेक किया, ग्रिल किया या भुना खाना खाने की शुरुआत करें।
खाद्य समूहों के बारे में बच्चे को सिखाएं। बच्चों को विभिन्न आकार और रंगों के फल और सब्ज़ियां खिलाएं ताकि उन्हें पोषण भी मिले और स्वाद भी
बच्चों को रसोई में आपकी मदद करने के लिए कहें और इस समय उन्हें विभिन्न खाद्य पदार्थों और खाना पकाने के तरीकों के फ़ायदे बताएं।
जब भी भूख लगती है तो भावनाओं में बहकर ख़रीदारी करने से बचें। जैसा कि शोध से पता चलता है कि हम भूख या भावनात्मक तनाव की स्थिति में ज़रूरत से ज़्यादा और लापरवाही से खरीदारी करते हैं जिसमे हम ग़ैर ज़रूरी और अनहेल्दी चीज़ें खरीद लेते हैं।
अपने छोटे बच्चे को शारीरिक गतिविधियों खेल कूद के लिए प्रोत्साहित करें, इससे अतिरिक्त कैलोरी को कम करने में मदद मिलेगी। इस तरह के सकारात्मक बदलाव आपके बच्चे को वजन कम करने में मदद कर सकते हैं।
कभी भी बच्चे को मोटू, सुस्त, आलसी ना कहें या खाना खिलाना बंद ना करें और न ही स्ट्रिक्ट डाइट का पालन करने के लिए मजबूर करें क्योंकि ये तरीक़े बच्चे को मानसिक स्तर पर प्रभावित कर सकते हैं और यहां तक कि भोजन की तीव्र इच्छा, अस्वस्थता और कम आत्मसम्मान जैसी समस्याएँ बढ़ा सकते हैं।
याद रखें कि छोटे बच्चे जिस उम्र में हैं उसमें उन्हें सेहतमंद खाने की आदतों के बारे में सिखाना उन्हें ज़िंदगी भर याद रखेगा और वे स्वस्थ खाने की आदतें अपनाएंगे। इसलिए, धीरे-धीरे स्वस्थ खाना खाने की आदतें शुरू करें, जंक फूड्स से होने नुक्सान और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के फायदों के बारे में बताएँ। बच्चों को एक्टिव रहने के लिए प्रेरित करें। एक संतुलित आहार, कम भोजन, समय पर भोजन, और नियमित व्यायाम आपके बच्चे को पोषण और आत्मविश्वास से समझौता किये बग़ैर वज़न कम करने में मदद करेंगे।