अगर आप कभी कभार ज़रूरत से ज़्यादा खाना बना लेते हैं और फ्रिज में ढेर सारा खाना इकट्ठा हो जाता है तो ऐसे में आपको यह चिंता हो सकती है कि इस खाने का क्या करें। लेकिन आप इन बचे हुए खाने से अपने बच्चों के लिए बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन बना सकते हैं। कम समय और ऊर्जा में ही आप अपने बच्चों के लिए ऐसा मुख्य भोजन या स्नैक्स बना सकते हैं जिसमें स्वाद भी है और सेहत भी। बस नीचे दिये गए सुझाव अपनाएं और बताई गयी रेसिपी बनाएँ।

बचा हुआ खाना इस्तेमाल करने से पहले बरतें ये सावधानी :

  1. खाने को सही तापमान पर अच्छे से पकाएँ। खाना बनाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से धोएँ। ऐसा करने से बचा हुआ खाना खराब नहीं होगा।
  2. अगर तापमान 40 डिग्री से 140 डिग्री फेरेनहाइट पर रहेगा तो खाने में बैक्टीरिया पैदा हो जाएंगे। तो आप खाने को ज़्यादा देर तक इस तापमान में न रखें। अगर तापमान 90 डिग्री से भी ज़्यादा है तो खाने को 1 घंटे से ज़्यादा देर तक ऐसे तापमान में न रखें। अगर बताए गए तापमान में ज़्यादा देर तक खाना रखा गया है तो इसका इस्तेमाल न करें क्यूंकी वह खराब हो गया होगा।
  3. जितनी जल्दी हो सके खाने को फ्रिज में रखें। या तो ठंडे पानी में खाने को रखें या उसके छोटे छोटे टुकड़े कर के फ्रिज में रखें।
  4. बचे हुए खाने को सही से रखना बहुत ज़रूरी है। साथ ही खाने पर लेबल भी लगाएँ ताकि आपको पता रहेगा कि आपके फ्रिज में कितने दिन का खाना रखा हुआ है।
  5. बचे हुए खाने को 3-4 दिनों से ज़्यादा तक फ्रिज में न रखें। बहुत ज़्यादा दिनों का खाना बच्चों के टिफिन में न दें वरना उन्हें पेट ख़राब या फ़ूड पॉइज़निंग की समस्या हो सकती है।
  6. अगर आप बचे हुए खाने को फ्रिज में रखना चाहते हैं तो एयर टाइट डब्बे में रखें। इससे खाना 3 से 4 महीनों तक सही रहेगा।
  7. किसी भी बचे हुए खाने को इस्तेमाल करने से पहले ज़रूरी दिशा निर्देशों का पालन करें। खाने को पहले ठंडे पानी में रखें और जब भी खाना हो, इसे सही तापमान पर गरम करें।
  8. अगर आपको शक है कि खाना खाने लायक है या नहीं तो खाने को फेंक दें, इसका इस्तेमाल न करें। भले ही खाना देखने, सूंघने और चखने में खराब नहीं लगेगा लेकिन इसमें पेथोजेनिक बैक्टीरिया हो सकते हैं जो बीमारियाँ फैला सकते हैं।
  9. फ्रिज का तापमान 32 डिग्री फेरेनहाइट से ज़्यादा और 40 से कम या 40 डिग्री तक रखें। इससे खाना पूरी तरह जमेगा भी नहीं और बिल्कुल  खराब भी नहीं होगा। फ्रिज में खाने को बीच वाली शेल्फ में रखें और फ्रीजर का तापमान ज़ीरो डिग्री फेरेनहाइट करें।
  10. अपने फ्रिज को हमेशा साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है। अगर किसी खाद्य पदार्थ को ख़राब हुए 4 से ज़्यादा दिन हो गए हैं या फ्रिज में कुछ गिर गया है तो उसे तुरंत साफ़ करें। वरना इससे फ्रिज में बैक्टीरिया पनपने लगेंगे और बाकी खाने को भी खराब कर सकते हैं।

बचे हुए खाने से बनाने के लिए शानदार रेसिपी दी गयी हैं:

ब्रेड उपमा:

ब्रेड को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें और एक तरफ रखें। पनीर भी काटकर रखें। एक पैन में थोड़ा तेल, कटी प्याज़, और हरी मिर्च डालकर पकाएँ। अब इसमें अदरक लहसुन का पेस्ट, और टमाटर डालकर मुलायम होने तक पकाएँ। इसमें लाल मिर्च पाउडर, हल्दी, नमक, पिज़्ज़ा सॉस और कटे बादाम डालें। इस मिश्रण को एक मिनट तक पकाएँ। अब इसमें ब्रेड और पनीर डालकर अच्छे से मिला लें। इसमें नींबू का रस और धनिया डालकर गरमा-गरम परोसें।

चपाती कसाडियास

भारतीय परिवारों में रोटियाँ अक्सर बच जाती हैं और समस्या होती है कि रोटियों का इस्तेमाल कैसे किया जाए। चपाती कसाडिया एक ऐसी मेक्सिकन डिश है जो आपके बच्चों को बहुत पसंद आएगी और बची हुई रोटियों का बेहतरीन इस्तेमाल भी हो जाएगा। एक पैन में तेल गरम करें और इसपर रोटी सेंक लें। अब रोटी पर किसा हुआ पनीर, शिमला मिर्च और अन्य मनपसंद सब्जियाँ डालें। आप इसमें ऑलिव और एलपीनो भी डाल सकते हैं। इसपर थोड़ा चिली फ़्लेक्स, ओरिगेनो, केचअप  और रेड चिली सॉस डालें। इसको दूसरी रोटी से ढक दें। इसको दबाकर सुनहरा भूरा और कुरकुरा होने तक पकाएँ। इसको 4 टुकड़ों में काटें और गरमा गरम परोसें. इस रेसिपी में रेसिस्टेंट स्टार्च की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है।

रेसिस्टेंट स्टार्च एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है जो छोटी आंत में नहीं पचता है बल्कि बड़ी आंत में फर्मेंट होता है और पेट में अच्छे बैक्टीरिया पैदा करता है। चूंकि यह छोटी आंत में नहीं जाता है तो ग्लूकोज का स्तर भी नहीं बढ़ता है। रसिस्टेंट स्टार्च से ग्लूकोज का स्तर सही रहता है, पाचन सही रहता है, भूख जल्दी मिटती है, कब्ज़ का खतरा कम होता है, कोलेस्ट्रॉल कम होता है और कोलन कैंसर का खतरा भी कम  होता है। उदाहरण के लिए, पके और ठंडे चावल में गरम चावल से ज़्यादा रसिस्टेंट स्टार्च होता है।

चपाती लड्डू

यह महाराष्ट्र का मीठा व्यंजन है जो बहुत आसानी से और बहुत जल्दी बन जाता है। बची हुई रोटियों को तोड़ लें और ब्लेंडर में डालें। अब इसमें गुड़ डालकर दरदरा पीस लें। अब इसमें घी, कटे बादाम, और इलायची पाउडर डालकर दुबारा ब्लेन्ड करें। पिसे मिश्रण को तेज़ से दबाते हुए गोल लड्डू बनाएँ और इसे साफ़ एयर टाइट डब्बे में रखें।

दही चावल

बचे चावल को गरम करें और ठंडा करें ताकि रसिस्टेंट स्टार्च की मात्रा बढ़ सके। चावल को हल्का मसल लें। अगर ताज़ा दही है तो आप दही मिला सकते हैं या इसमें दूध भी डाल सकते हैं। इसे पूरी तरह ठंडा करें। दही में नमक मिलाकर चावल में डालें। इसमें किसा गाजर और खीरा भी डालें। आप इसमें जीरा, सरसों, लाल मिर्च, चना दाल, उरद दाल, काजू, हरी मिर्च, अदरक, और करी पत्ते से तड़का लगाएँ। आप इसमें अनार दाना डालकर इसका स्वाद और बढ़ा सकते हैं।

फ्राइड राइस या भुने चावल:

जैसे आपने दही चावल के लिए किया वैसे ही बचे हुए चावलों को गरम करें और ठंडा करें ताकि रसिस्टेंट स्टार्च की मात्रा बढ़ सके। एक पैन में तेल गरम करें। इसमें कटे लहसुन और अदरक डालें। इसमें शिमला मिर्च, गाजर, मशरूम, प्याज़, टमाटर आदि सब्जियाँ डालें। इस मिश्रण को तेज़ आंच पर थोड़ी देर के लिए चलाएं। इसमें स्वादानुसार सोया सॉस, नमक, और काली मिर्च डालें। इसमें चावल डालकर तेज़ आंच पर पकाएँ और इसमें थोड़ा सा सिरका डालकर मिलाएँ। बारीक कटी हरी प्याज़ से गार्निश करें और गरमा-गरम परोसें।

ऊपर बताए गए सुझावों और रेसिपी से आप बच्चों के लिए बचे हुए खाने का बेहतरीन लंच और डिनर बना सकते हैं। इससे आपका समय भी बचेगा और ऊर्जा भी और बच्चों को संपूर्ण पोषण मिलेगा।