आपके बच्चे के आहार में फल शामिल करना कितना ज़रूरी है इसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। वे विटामिन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होते हैं जिससे विभिन्न हृदय रोगों, कैंसर, पाचन की समस्या और सूजन आदि जैसी समस्याओं को दूर करना आसान हो जाता है। ताजे फल से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर सही ढंग से काम करता है। साथ ही आपके बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए ज़रूरी पोषण भी फलों से मिलता है। हालांकि, बच्चों को फल खिलाने से जुड़े कई मिथक हैं उदाहरण के लिए, कुछ माता-पिता मानते हैं कि दिन के कुछ समय पर फल नहीं खाने चाहिए जो सच में भ्रम है।
फल किसी भी समय आपके बच्चे को ऊर्जा, पोषण और संतुष्टि दे सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों को फल खिलाने से आप मीठा खाने की इच्छा को शान्त कर सकते हैं। यहाँ फलों से जुड़े ज़रूरी भ्रम दिए गए हैं, जिन्हें आज ही खारिज करना बहुत ज़रूरी है।
भ्रम 1: अगर आपका बच्चा खाने के साथ फल खा रहा है तो उसे ज़रूरी पोषण नहीं मिलेगा।
तथ्य:
जब बच्चे खाना खाते हैं तो उनके पेट में धीरे धीरे जगह बनती रहती है ताकि आँतों में पोषण घुलने का पर्याप्त समय रह सके। इसके अलावा छोटी आँत लगभग 6 मीटर लंबी होती है तो बच्चे के शरीर में पाचन के साथ साथ पोषण के लिए पर्याप्त जगह होती है। तो अगर आपके बच्चे खाने के साथ फल खाएँ तो इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है।
भ्रम 2: बच्चों को खाली पेट ही फल खिलाना चाहिए वरना अन्य भोजन का पाचन धीमा हो जाता है। और खाना न पचने के कारण पेट में दर्द और अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।
तथ्य: फलों में फाइबर होता है तो वे आंत में खाना पहुँचने की गति को धीमा करते हैं। हालांकि फलों के कारण पाचन गति धीमी नहीं होती है। फलों में मौजूद फ़ाइबर आपके बच्चे के पेट को लंबे समय तक भरा रखेगा और बच्चा फ़ालतू खाना नहीं खायेगा।
भ्रम 3: सोकर उठने के 6 घंटे बाद ही बच्चों को फल खिलाने का सबसे अच्छा समय है। क्योंकि दिन में मेटाबोलिज़्म धीमा हो जाता है और दिन के समय फल खिलाने से गति तेज हो सकती है।
तथ्य: यह भी एक ऐसा ही आम भ्रम है जो ज़्यादातर पेरेंट्स फलों के बारे में मानते हैं। भले ही बच्चे फल खाएँ या न खाएँ आपके बच्चे की पाचन प्रणाली किसी भी समय फल पचाने के लिए सक्षम है। अगर बच्चा ज़रूरत से ज़्यादा कोई भी चीज़ खा लेता है तो उसके शरीर में खून का प्रवाह पाचन प्रणाली की तरफ हो जाता है और पाचन धीमा हो जाता है। इसके अलावा यह सोचना एकदम ग़लत है कि बच्चों की पाचन प्रक्रिया सही करने के लिए दिन में ही फल खिलाना चाहिए।
भ्रम 4:. रात को सोने से पहले बच्चों को फल नहीं देने चाहिए। इससे बच्चों के खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।
तथ्य:जब आपका बच्चा सो रहा होता है तब भी उसके शरीर से हानिकारक कैलोरी ख़त्म होती है। शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए शरीर सेकैलोरी लगातार ख़त्म होती रहती हैं। ऐसा कोई शोध नहीं हुआ जिसमें यह पता चलता हो कि सोने से पहले फल खाने से खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। बल्कि अन्य मीठी चीजों की जगह फल खाने से आपके बच्चे के शरीर में फ़ाइबर बढ़ेगा और वज़न बढ़ने और मोटापे का ख़तरा नहीं होगा।
भ्रम 5: टाइप 1 डायबिटीज़ वाले बच्चों को फल नहीं देने चाहिए।
तथ्य: भले ही फलों में फ्रुक्टोज के रूप में चीनी होती है, लेकिन इनका ग्लाइकेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका मतलब है कि ब्रेड और अन्य रिफाइंड उत्पादों की तरह फलों से खून में शुगर का स्तर बहुत तेज़ी से नहीं बढ़ता है। डायबिटीज़ में ब्लड शुगर, ख़ून में फैट, ब्लड प्रेशर और वज़न की देखरेख करना ज़रूरी है और फल इन सभी में मदद करता है।
भ्रम 6: फलों वाला दही खिलाना बच्चों को फल खिलाने का अच्छा तरीक़ा है।
तथ्य: अक्सर पेरेंट्स फलों से जुड़े इस भ्रम को भी बहुत हद तक सच मानते हैं। बाज़ार में मिलने वाला फलों वाले दही या फ्रूट योगर्ट में शुगर ज़्यादा और फ़ाइबर कम हो सकता है। यह सच है कि दही कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत है, और जब फलों के साथ मिलाया जाता है, तो इसमें फ़ाइबर की मात्रा भी बढ़ जाती है। लेकिन अगर बाजार से ख़रीदा फ्रूट योगर्ट बच्चों को खिलायेंगे तो इससे आपके बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलेंगे। इसके बजाय, आप घर पर सादे दही में ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, केले आदि जैसे ताजे फल डाल सकते हैं और अपने बच्चों को खिला सकते हैं।
भ्रम 7: फलों का जूस बच्चों के लिए एक स्वस्थ विकल्प है।
तथ्य: फलों के जूस की तुलना में साबुत फल हमेशा बेहतर और सेहतमंद विकल्प होते हैं। जूस में आम तौर पर चीनी का स्तर ज़्यादा होता है और फाइबर की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए, बच्चों को साबुत फल खिलाने की कोशिश करें, या अगर आप जूस पिला रहे हैं, तो ध्यान रखें कि इसमें पल्प हो।
फल बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और सेहतमंद आहार में इन्हें शामिल करना बहुत ज़रूरी है। बच्चे किसी भी समय फल खाएँ फलों से उनका स्वास्थ्य पूरी तरह अच्छा रहेगा। हालांकि, अगर आपको लगता है कि किसी फल से आपके बच्चे को एलर्जी हो रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।