बच्चे बड़े होकर सेहतमंद और ख़ुशनुमा बनें इसके लिए ज़रूरी है कि उनकी हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत हों। और इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें रोज़ कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा मिले। कैल्शियम न सिर्फ मजबूत हड्डियों और जोड़ों के विकास में मदद करता है बल्कि ये मांसपेशियों की गतिविधियों पर भी असर डालता है और अच्छी सेहत बनाने में मदद करता है। छोटे और बड़े बच्चों के लिए कैल्शियम से भरपूर चीज़ें उन्हें रिकेट्स नाम की बीमारी के खतरे से बचाती हैं। इस बीमारी में पैर का आकार धनुष जैसा हो जाता है, मांसपेशियाँ और हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं। इसलिए, रेकमेंडेड डाइटरी अलाउंस के हिसाब से छोटे बच्चों को प्रति दिन 600 मिलीग्राम कैल्शियम मिलना चाहिए, जो लगभग ढाई गिलास दूध के बराबर है।
दूध के साथ, यहाँ पर कुछ ऐसी खाने की चीज़ों के नाम दिए गए हैं जो कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं:
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दूध और दूध से बनी चीज़ें
बच्चे को दूध और उससे बनी चीज़ें खिलाने के लिए आप उसे सादा या चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी फ्लेवर वाला दूध या ताज़ा फलों का मिल्कशेक दे सकती हैं। फ्लेवर वाला दही या दही के ऊपर फल, सब्जी या शहद डाल कर भी बच्चों को दिया जा सकता है। चीज़ और पनीर सैंडविच में भी भरपूर कैल्शियम होता है।
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हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक, चौलाई, सरसों का साग (राई), चुकंदर का साग, भिंडी और फली बहुत ज़्यादा कैल्शियम वाली सब्जियां होती हैं। इन सब्जियों में आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी और फोलेट भी होता है। इनमें भरपूर फाइबर भी होता है। और तो और, हरी सब्जियां सेहत के लिए हर तरह से अच्छी होती हैं। बच्चों को हर दिन कम से कम ¾ कप सब्जियां खानी चाहिए।
हरी सब्जियों का सूप बनाया जा सकता है या फिर सैंडविच, रोल, ऑमलेट, थेपला, भरवां पराठा, इडली, दाल/सब्जी की तरकारी या खिचड़ी में मिला कर बच्चों को दिया जा सकता है। इन्हें स्मूदी में भी मिलाया जा सकता है!
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रागी
सभी अनाजों में से रागी में कैल्शियम की मात्रा सबसे ज़्यादा होती है। कैल्शियम के अलावा रागी आयरन और अमीनो एसिड का भी एक अच्छा स्रोत है। रागी में ग्लूटेन बिल्कुल भी नहीं होता और इसमें वसा भी कम होता है, इससे कोई एलर्जी नहीं होती, और ये आसानी से पच जाता है।
आप बच्चे को रागी का दलिया दे सकते हैं या केक, पैनकेक या डोसे में मैदे की जगह रागी का इस्तेमाल कर सकते हैं। रागी का इस्तेमाल इडली और रोल बनाने के लिए भी किया जा सकता है। आप रागी से पिज़्ज़ा बेस बनाना भी सीख सकते हैं।
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सोयाबीन
सोयाबीन से बनी चीज़ें जैसे सोया मिल्क, टोफू और सोया चंक्स में भी कैल्शियम होता है। इनमें प्रोटीन भी काफ़ी मात्रा में होता है। सोया मिल्क में उतना ही कैल्शियम होता है जितना कि गाय के दूध में होता है। इसलिए ये लैक्टोज़ इन्टॉलरेंट वाले लोगों के लिए सही रहता है, अगर उन्हें सोया से एलर्जी नहीं है तो।
सोया मिल्क, सोया दही, या चावल में सोया डाल कर आप बच्चों को दे सकते हैं। हल्के तले हुए सोया चंक्स या टोफ़ू, टोफ़ू रोल या सोयाबीन की करी के रूप में बच्चों को सोया खिलाया जा सकता है।
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मछली
रावस, रोहू, हिल्सा और अही जैसी मछलियां कैल्शियम की अच्छी स्रोत होती हैं। प्रोटीन और ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होने के अलावा इन मछलियों की हड्डियों में बहुत ज़्यादा कैल्शियम होता है, जो कि आसानी से पचाया जा सकता है। कभी कभी इनकी हड्डियों का इस्तेमाल कैल्शियम सप्लिमेंट बनाने में भी किया जाता है।
मछली की हड्डी का सूप, तली हुई मछली, स्टीम्ड मछली या मछली का सैंडविच बच्चों को दिया जा सकता है।
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काबुली चना
चने कैल्शियम का स्रोत होते हैं। इनमें विटामिन सी, ए, ई, डाइटरी फाइबर, पाॅलीअनसैच्यूरेटेड फैटी एसिड, मैग्नीशियम, आयरन और फोलेट भी होता है। चने बहुत पौष्टिक होते हैं और इन्हें स्नैक के तौर पर खाया जा सकता है।
चने से बनने वाले हमस डिप जो अरेबिक खाने में काफ़ी लोकप्रिय हैं, का सैंडविच बनाने में मक्खन की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे गाजर या खीरे के साथ खाया जा सकता है। चने की करी भी काफ़ी स्वादिष्ट होती है और यह आपके बच्चे को ज़रूर पसंद आयेगी।
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नट्स
नट्स जैसे कि बादाम, मूँगफली, अखरोट आदि में भरपूर कैल्शियम होता है। आईएफसीटी (IFCT), 2017 के अनुसार, बादाम में प्रति 100 ग्राम 228 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। नट्स में सेहतमंद वसा, विटामिन ई, और डाइटरी फाइबर भी होते हैं। इन्हें थोड़ा थोड़ा कर के स्नैक के रूप में भी खाया जा सकता है।
नट्स को ऐसे ही खाया जा सकता है या खाने के ऊपर डाल कर भी खाया जा सकता है। इन्हें बेक की हुई चीज़ों, सलाद या मिल्कशेक में भी डाला जा सकता है। बच्चों को बादाम का दूध और बादाम का मक्खन भी दिया जा सकता है।
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बीज
कुछ बीज कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन के बहुत अच्छे स्रोत होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी हैं। तिल के बीज, गार्डन क्रेस सीड्स (हलीम) और तुलसी के बीज (सब्ज़ा) कैल्शियम के अच्छे स्रोत होते हैं।
तिल के बीज आप चपाती/पराठे/थेपले के आटे में डाल सकते हैं या सूप के ऊपर डाल सकते हैं। सब्ज़ा और गार्डन क्रेस सीड्स को दूध, मिल्कशेक या शरबत में मिला कर पिया जा सकता है।
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फलियां और दालें
राजमा, मूँग और काली फली में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल के साथ साथ कैल्शियम भी होता है।
इन्हें अलग अलग तरीके से खाया जा सकता है, रोस्ट कर के, अंकुरित कर के या स्टीम कर के। इन्हें सूप में भी डाल सकते हैं। भारत में इन्हें दाल या करी के रूप में खाया जाता है। आप फली का साल्सा बना कर इसे रागी/मक्के के चिप्स के साथ परोस सकते हैं।
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फल
पपीता और अंजीर जैसे फलों में बहुत कैल्शियम होता है। कैल्शियम के लिए फाॅर्टिफाइड संतरा रस भी अच्छा माना जाता है।
अंजीर को अकेले ऐसे भी खा सकते हैं या दूध या दही में मिलाकर खा सकते हैं। पपीता को कस्टर्ड और पुड्डिंग जैसी मीठी चीज़ों में डाल कर खाया जा सकता है।
तो देखा ना आपने, आपके पास कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध ही नहीं और भी बहुत से स्रोत हैं। तो चलिए अपनी कला दिखाइये और ऊपर दी गयी सभी चीज़ों को अपने बच्चों के खाने में शामिल कर के उन्हें स्वादिष्ट और सेहतमंद चीज़ें खिलाइये।