क्या आप इस बात से परेशान हैं कि आपको अपने बच्चे को ग्रोइंग-अप-दूध और दूध से बनी पीने वाली चीज़ें देनी चाहिए या नहीं? कुछ भी तय करने से पहले, यह समझना ज़रूरी है कि इन चीज़ों में होता क्या है। यह जानने के लिए आगे पढ़ें कि क्या बच्चे के खाने में इन चीज़ों को शामिल करना चाहिए।
ग्रोइंग-अप-दूध क्या है?
ग्रोइंग-अप-दूध या जीयूएम ऐसी चीज़ें हैं, जो खासतौर पर 1 से 3 साल के बीच की उम्र वाले बच्चों के लिए बनाई गई हैं। इन्हें कभी-कभी 'टॉडलर्स मिल्क' या "मिल्क फ़ॉर किड्स" या "फ़ॉलो अप या फ़ॉलो ऑन मिल्क" भी कहा जाता है। बच्चे के दो साल का हो जाने के बाद जब वह दूध के अलावा दूसरी चीज़ों को भी खाने लगता है, तब जीयूएम देने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर जीयूएम के अलग-अलग किस्मों की एक श्रेणी मौजूद है।
इसकी हर किस्म को, बच्चे की उम्र के हिसाब से बनाया जाता है। आमतौर पर ऐसा कोई प्रॉडक्ट नहीं है, जो दो साल से ऊपर की उम्र के सभी बच्चों की ज़रूरत के मुताबिक बनाया गया हो, इसलिए जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, आपको अगली जीयूएम श्रेणी का इस्तेमाल करना होता है।
ये पाउडर के रूप में मिलते हैं, जिन्हें बच्चे को दिए जाने से ठीक पहले पानी में मिलाकर बनाना होता है।
जीयूएम में क्या होता है?
फ़िलहाल ऐसी कोई विश्वव्यापी (ग्लोबल) मान्यता प्राप्त सर्वसम्मति या सलाह नहीं है कि जीयूएम में किस तरह का फ़ॉर्मूला या पोषण संबंधी तत्व होने चाहिए। इसलिए, यदि आप पैकेट के लेबल को ध्यान से पढ़ते हैं, तो आप पाएँगे कि अलग-अलग कंपनियों के जीयूएम में अलग-अलग चीज़ें और सामग्री मौजूद होगी।
तो, इसमें आम तौर पर क्या पाया जाता है?
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जीयूएम में खासतौर से गाय के दूध से मिलने वाला व्हे प्रोटीन या कैसिइन होता है जो उस चीज़ को प्रोटीन देता है।
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कुछ जीयूएम ऐसे भी होते हैं, जो पौधों से मिलने वाले प्रोटीन से बनते हैं और इनमें जानवरों के दूध का प्रोटीन नहीं होता ।
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जीयूएम में दूध और / या वनस्पति वसा का मिश्रण होता है, जो वसा की मात्रा को पूरा करता है।
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कई तरह की शुगर और लैक्टोज़, जीयूएम के कार्बोहाइड्रेट सामग्री में मौजूद होते हैं।
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जीयूएम में मौजूद पोषण तत्व हर निर्माता कंपनी के लिए अलग है और ऐसी कोई खास चीज़ नहीं है, जिसका इस्तेमाल सभी करते हों।
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इसके अलावा, सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन ए, सी, डी, बी 1, बी 12, फ़ोलेट, कैल्शियम, आयोडीन, आयरन, ज़िंक, डोकोसाहेकोएनिक एसिड (डीएचए) को भी जीयूएम में मिलाया जाता है। इन पोषक तत्वों को खासतौर से इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि अक्सर बच्चों के खाने में इनकी कमी देखी गई है। प्रॉडक्ट में जो भी मात्राएँ मिलाई जाती हैं, वे आम तौर पर एक खास उम्र के वर्ग के आधार पर अनुशंसित आहार भत्ते (आरडीए) के हिसाब से होती हैं, लेकिन फ़िर भी यह हर निर्माता कंपनी के लिए अलग हो सकते हैं।
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जीयूएम को दूध की जगह पर पीने के लिए बनाया गया है, इसलिए जीयूएम के एक ग्लास में कैलोरी, प्रोटीन और वसा की काफ़ी मात्रा होगी।
दूध से बनी पीने वाली चीज़ें (मिल्क फ़ूड ड्रिंक्स) क्या हैं?
मिल्क फ़ूड ड्रिंक्स (MFD) या दूध से बनी पीने वाली चीज़ें, माल्टेड और अनमाल्टेड फ़ूड ड्रिंक पाउडर हैं, जिन्हें दूध या पानी के साथ मिला कर पिलाया जाता है। भारतीय बाज़ार में कई तरह के एमएफ़डी मिलते हैं, जिनमें से कुछ सिर्फ़ बच्चों के लिए ही होते हैं। आमतौर पर एमएफ़डी 3 साल से ऊपर के बच्चों के लिए होते हैं और इन्हें फ़ूड सप्लीमेंट माना जाता है। एमएफ़डी को जीयूएम के साथ नहीं मिलाना चाहिए।
एमएफ़डी में क्या होता है?
जीएमयू की तरह इसमें भी हर निर्माता का अपना कम्पोज़िशन या फ़ॉर्मूला होता है जिसका वे पालन करते हैं।
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भारत में बच्चों के लिए मिलने वाले एमएफ़डी में गेहूँ का आटा, माल्टेड जौ, सोया और प्रोटीन आइसोलेट्स, कॉर्न स्टार्च, दूध से मिलने वाला प्रोटीन, स्किम्ड मिल्क पाउडर और वनस्पति वसा पाए जाते हैं।
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इनमें सुक्रोज और माल्टोडेक्सट्रिन के रूप में शुगर भी पाई जाती है और इसमें कुछ मात्रा में प्रोबायोटिक फ़ाइबर भी पाया जाता है।
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ये चॉकलेट, वेनिला, स्ट्रॉबेरी जैसे अलग-अलग स्वादों में भी आते हैं, इसलिए इसमें कोको, प्राकृतिक और नकली स्वाद मौजूद होंगे।
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इनके अलावा, एमएफ़डी में विटामिन डी, ए, बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, ज़िंक, सेलेनियम कॉपर, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस, डीएचए जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं। एमएफ़डी में मौजूद इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा हर ब्रांड में अलग होती है और ये रोज़ाना की ज़रूरत के हिसाब से 25% से 100% तक के बीच में या आरडीए के हिसाब से हो सकती है।
क्या जीयूएम और एमएफ़डी मेरे बच्चे के लिए अच्छा हैं?
यह पोषण विशेषज्ञों द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है कि बच्चों को मैक्रो और माइक्रो दोनों तरह के पोषक तत्वों की काफ़ी ज़्यादा ज़रूरत होती है। यह साबित किया गया है कि अगर बच्चे के विकास के इस नाजुक समय में उनमें पोषण संबंधी कमी होती है, तो वह विकास और वृद्धि के लिए अपनी आनुवंशिक क्षमता हासिल नहीं कर पाएगा । समय से पहले जन्म, गलत खाने की आदत, गलत समय पर कॉम्प्लिमेंटरी फ़ूड देना शुरू करना (बहुत जल्दी या बहुत देर से), खाने में नखरे करने और बार-बार बीमार पड़ने की वजह से बच्चों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। जीयूएम और एमएफ़डी को बच्चों में होने वाली पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए बनाया गया है।
तो क्या बच्चे को जीयूएम या एमएफ़डी देना चाहिए?
जवाब है; ये निर्भर करता है।
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अगर बच्चा बीमार है और संतुलित खाने से अपने पोषक तत्वों को हासिल नहीं कर पा रहा है या अपनी उम्र के हिसाब से बढ़ नहीं रहा है, तो आपको बच्चों के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, वही बच्चे की ज़रूरत को समझ कर पता लगा सकते हैं कि बच्चे को इसकी ज़रूरत है या नहीं। यह याद रखना बहुत ज़रूरी है कि पौष्टिक तत्वों से भरपूर खाना ही बच्चे को सही और संतुलित मात्रा में पोषण देने में मदद कर सकता है।
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यह ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि दूध बच्चे के रोज़ाना के खाने का एक हिस्सा है और सिर्फ़ दूध को ही उसका खाना न बना कर उसे दूसरी चीज़ें भी देनी चाहिए। अगर आप सिर्फ़ दूध ही देते हैं तो बच्चे को दूसरी चीज़ों से मिलने वाले पोषक तत्व नहीं मिल पाएँगे। भारतीय आहार संबंधी दिशानिर्देश यह सलाह देते हैं कि 1 वर्ष से ऊपर के बच्चे को हर दिन लगभग 500 मिलीलीटर दूध पीना चाहिए।
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जीयूएम और एमएफ़डी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो बच्चों को पोषण देते हैं, हालाँकि, याद रखें कि इनमें एडिटिव्स और फ्लेवरिंग भी शामिल हैं। इन प्केरोडक्ट्स में ज़्यादा मात्रा में सुक्रोज और कॉर्न सिरप शुगर के रूप में मौजूद होते हैं, जिससे बच्चों में क्षय और बचपन के मोटापे का खतरा बढ़ सकता है।
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बहुत बार, रात में बच्चों को बोतल से दूध पिलाया जाता है। अगर इस समय जीयूएम खिलाया जाता है, तो इसमें मौजूद शर्करा की वजह से रात मे बच्चे के दाँत खराब होने का खतरा ज़्यादा हो जाता है।
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जिन बच्चों को इस तरह की मीठी पीने वाली चीज़ें दी जाती हैं, वे बड़े होकर मीठी चीज़ों को ज़्यादा पसंद करते हैं। फ्लेवर्ड दूध बच्चे के जीभ के स्वाद को कमज़ोर कर देता है, जिसकी वजह से उसे फलों और सब्जियों में मौजूद प्राकृतिक स्वाद की पहचान करने में मुश्किल आती है।
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कुछ जीयूएम और एमएफ़डी में भी काफ़ी मात्रा में वसा होती है, जिसकी बच्चों में ज़रूरत नहीं होती और इनकी वजह से उनमें जल्द परिपक्वता और मोटापे की समस्या देखने को मिलती है। आप अपने बच्चे के पतले होने की समस्या से परेशान होकर इन चीज़ों को इस्तेमाल करने की सोच सकते हैं। लेकिन 10 साल की उम्र तक के बच्चे को एक दिन में केवल 25-30 ग्राम वसा की ज़रूरत होती है। अगर आपका बच्चा सामान्य रूप से खाता है, बीमार नहीं पड़ता है और खुशी से खेलता-कूदता है, तो बस उसके प्राकृतिक रूप से बढ़ने का इंतज़ार करें।
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एमएफ़डी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा ज़्यादा हो सकती है और इस वजह से ये नुकसानदायक हो सकते हैं। यदि आपको अपने बच्चे को एमएफ़डी देने की ज़रूरत है, तो आदर्श रूप से ऐसे प्रॉडक्ट की तलाश करें, जो रोज़ की ज़रूरत का हिस्सा हो न कि 100% पोषक तत्वों का। जिन भी पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है, उन्हें सिर्फ़ प्राकृतिक स्रोतों से पूरा किया जाना चाहिए।
इसलिए सारांश में, यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा ठीक तरह से बढ़ नहीं रहा है और आप अपने बच्चे के विकास के लिए जीयूएम या एमएफ़डी को उसके खाने में शामिल करना चाहते हैं तो हमेशा इन्हें खरीदने से पहले इनके लेबल को पढ़ें, इनमें मिली चीज़ों और फ़ॉर्मूले को समझें और सवाल करें। अब तक कई अलग-अलग ब्रांड हैं, जो अलग-अलग पोषक तत्व प्रदान करते हैं, ध्यान से देखें कि आपके बच्चे के लिए उनमें से सही प्रॉडक्ट कौन सा है।