आमतौर पर, 1 साल का होने पर बच्चे खुद से खाना शुरु करने लगते हैं। वे खाने की चीज़ों को अपने हाथों से पकड़ने, उनकी छान-बीन करने और उनसे खेलने की कोशिश करते हैं। 2 साल की उम्र तक बच्चे अपने आप अच्छे तरीके से खाना शुरु कर देते हैं। एक माँ के लिए यह बहुत ही राहत की बात होती है, क्योंकि अब उन्हें पहले की तरह बच्चों को खाना खिलाने के लिए बहलाना नहीं पड़ता। हालांकि, खाने का समय बच्चों के लिए बहुत अहम होता है, और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। उनकी मोटर स्किल (जैसे चीज़ो को छूना, सूंघना, पकड़ना आदि) और खाने की चीज़ों को पहचानने की योग्यता इसी दौरान बढ़ती है। उन्हें बढ़ावा देने के लिए कुछ छोटे और अहम कदम उठा कर इसे मज़ेदार बनाया जा सकता है। खासकर बच्चों के लिए कुछ मनोरंजक और रंग-बिरंगे खाने के बर्तनों का इस्तेमाल करके। इससे उनका ध्यान आकर्षित होगा, चम्मच और कटोरी जैसी चीज़ों को खुद से पहचानेंगे और खान-पान की अच्छी आदतें सीखेंगे।

खाने के समय को शानदार बनाने के लिए मज़ेदार बर्तन

यहाँ इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि, छोटे बच्चों के खाने के समय को मज़ेदार बनाने के लिए सही खाने के अलावा कटोरी, प्लेट और दूसरे बर्तन जैसे चम्मच आदि भी सही होने चाहिए। नीचे बच्चों के लिए सही बर्तन चुनने के कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • ऐसे बर्तन खरीदें जिसमें रबड़ ग्रिप वाला हैंडल हो, ताकि बच्चा उसे सही से पकड़ सके।
  • सही आकार का बर्तन खरीदें जिसे बच्चा अपनी छोटी-छोटी उँगलियों से पकड़ सके।
  • बर्तन के लेबल पर चेक करें कि वो किस उम्र के बच्चों के लिए है।
  • छोटे आकार की कटोरी और प्लेट का इस्तेमाल करें जिनमें नीचे सक्शन कप लगे होते हैं, इससे बर्तन टेबल पर लुढकते और फिसलते नहीं हैं।
  • ऐसे बर्तन लें जिस पर मज़ेदार डिज़ाइन जैसे कोई कार्टून कैरेक्टर छपा हो, जिसे देखते ही बच्चे खुश हो जाएं।
  • अलग-अलग खांचों वाली प्लेट सही रहती है, क्योंकि इससे सारी चीज़ें आपस में नहीं मिलती।
  • मेशा बीपीए फ्री प्लास्टिक वाले बर्तन खरीदें, क्योंकि दूसरे प्लास्टिक बच्चों की सेहत के लिए खराब हो सकते हैं। बच्चों के खाने को मज़ेदार बनाने के लिए आजकल बाज़ार में अलग-अलग तरह के रंगों और आकार के बर्तन मिलते हैं। ये बर्तन खाना खिलाने वाले कप से लेकर चम्मच, कांटा, खाँचो वाली प्लेट, स्नैक पॉट आदि कुछ भी हो सकते हैं।

बच्चे को खुद से कोशिश करने दें और मज़ेदार तरीके से अपनी छोटी छोटी उंगलियों से खाने की कोशिश करते समय थोड़ा गंदा भी होने दें।

माहौल से फर्क पड़ता है

बच्चों के लिए सही बर्तन चुनने के बाद, खाने के समय एक अच्छा माहौल बनाना भी बहुत ज़रूरी है। बच्चे को तभी खिलाना चाहिए जब पूरा परिवार एक साथ बैठ कर खा रहा हो जिससे बच्चा भी सेहतमंद चीज़ें खाना सीखे। एक सही और व्यवस्थित तरीके से खाना खाने के बहुत से फ़ायदे हैं जैसे :

  • सोशल इंटरैक्शन (सामाजिक संपर्क बनाना) - माता-पिता और परिवार के सदस्य खाने की मेज पर एक बच्चे के आत्मविश्वास और मूड को बेहतर बना सकते हैं। खाने के समय बच्चे के साथ कुछ आसान शब्दों में बातें करने से आप उसकी समस्याएं समझ पाएंगे और जल्द से जल्द उन्हें सुलझा सकेंगे। खाने का समय आपस मे बात करने और बिना किसी बाधा के अपने बच्चे की बात सुनने के लिए सबसे अच्छा समय होता है।
  • आरामदायक समय - खाने के समय को नियमित करने से बच्चे को सहूलियत होती है और उसकी भूख भी बढ़ती है। सारे परिवार के एक साथ होने से बच्चे बेफिक्र महसूस करते हैं।
  • सीखने और निगरानी रखने का समय - जब सारा परिवार एक साथ खाना खाता है तो इससे बच्चे, खाने की सही मात्रा और खान-पान की अच्छी आदतों के बारे में सीखते हैं। यही समय होता है जब आप खुद पौष्टिक खाना खाकर बच्चे को भी सीखा सकते हैं। याद रखें कि आपको खुद भी बच्चे के सामने ज़्यादा मुश्किल चीज़ें नहीं खानी है, इससे बच्चों के मन मे खाने के बारे में एक नकारात्मक सोच बन सकती है। बढ़ते वज़न की शिकायत करना या हर खाने की चीज़ को कैलोरी में गिनने से खाने के बारे में बच्चों की सोच पर भी असर पड़ता है।

खाने के समय क्या नहीं करना चाहिए?

खाने का समय, खुश और सेहतमंद रहने के लिए होता है और इसे किसी भी तरह का लड़ाई का मैदान नहीं बनाना चाहिए। रिसर्च बताते हैं कि जब बच्चे तनावमुक्त होते हैं तो वे आसानी से अलग-अलग तरह की चीज़ें खा लेते हैं। इसलिए याद रखें कि, अगर बच्चा खाना नहीं खा रहा है तो उस पर चिल्लाएं नहीं। शांत रहें और ठंडे दिमाग से बच्चे को खाना खाने के लिए मनाएं।

इन आसान और ज़रूरी सुझावों को अपनाकर, आप बच्चों को शुरुआत से ही ऐसा मौका दे सकती हैं, जिससे वो बड़े हो कर आत्मविश्वासी और सेहतमंद बन सकें।

निष्कर्ष

खाना खाते समय माता-पिता अपने बच्चों को खान-पान की अच्छी आदतों के बारे में सीखा सकते हैं और उनकी समस्याओं को समझ सकते हैं। सही बर्तनों और एक आरामदायक माहौल से बच्चों को आसानी से खाना खिलाया जा सकता है। वे जल्दी ही अपने आप अच्छी तरह से खाना सीख जायेंगे और जल्दी-जल्दी बढ़ेंगे।