कई सालों से आलू को मोटापे, दिल की बिमारियों और डायबटीज़/डायबिटीज़ की वजह माना जाता है। इसमें स्टार्च होने की वजह से, आलू को लेकर कई गलतफ़हमियाँ हैं इसलिए अक्सर माता-पिता असमंजस में रहते हैं कि, बच्चे के खाने में आलू होना चाहिए या नहीं। इसलिए, कई भारतीय माता-पिता जानना चाहते हैं कि, “क्या आलू बच्चों के लिए ठीक है?” नीचे आलू के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवाल और उनके सही जवाब दिए गए हैं।
1. आलू में कौन से खास पोषक तत्व होते हैं ?
आलू ज़मीन के नीचे पैदा होने वाला एक कंद है और इसमें स्टार्च के रूप में ज़्यादातर कार्बोहाइड्रेट होता है, और साथ ही इसमें साधारण शुगर जैसे ग्लूकोज़, सुक्रोज़, और फ्रुक्टोज़ भी होते हैं। इसमें थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और फाइबर भी होता है। लेकिन फैट ना के बराबर होता है। दूसरी सब्जियों के मुकाबले आलू में बहुत कम प्रोटीन होता है, पर इसकी गुणवत्ता बहुत ही अच्छी होती है; सोयाबीन से भी अच्छी।
आलू में मिलने वाला फाइबर बहुत ही दिलचस्प होता है। इसमें मिलने वाले फाइबर को रेसिस्टेंट स्टार्च कहते हैं। आँतों में रहने वाले बैक्टीरिया के लिए यह अच्छा होता है जिससे आपका पेट ठीक और सेहतमंद रहता है। उबालकर ठंडे किये हुए आलू में रेसिस्टेंट स्टार्च ज़्यादा होता है। तो अगर आपको रेसिस्टेंट स्टार्च बढ़ाना है तो आलू को उबालकर एक-दो घंटे के लिए ठंडा करें और फिर इनसे आलू चाट बनाएं या सैंडविच में डालकर इन्हें खाएं। याद रखिये, इन्हें फिर से गर्म ना करें।
छिलके के साथ पके हुए आलू विटामिन और मिनरल से भरपूर होते हैं। इसमें खासतौर से पोटैशियम, फोलेट, विटामिन सी और विटामिन बी6 होते हैं। पकने की वजह से विटामिन सी खत्म हो सकता है पर छिलके के साथ इसे पकाने से कम नुकसान होता है। इसमें मिलने वाले कुछ तत्व जैसे पोटैशियम और एंटीऑक्सिडेंट जैसे कैटेचिन और ल्यूटिन, छिलकों में ज़्यादा होते हैं। तो अब आप जब भी आलू पकाएं, तो छिलकों के साथ ही पकाएं।
2. क्या आलू बच्चों के लिए ठीक हैं?
आलू से हमारी सेहत को बहुत फायदे होते हैं। इसमें बहुत सारे मिनरल और पौधों से मिलने वाली बहुत सी गुणकारी चीज़ें होती हैं जैसे : क्लोरोजेनिक एसिड और क्यूकोमाइन्स। इसके साथ ही आलू में काफ़ी पोटैशियम भी होता है जो बहुत ही फायदेमंद होता है। आलू खाने से पेट भरा रहता है और इसे खाने के बाद बच्चों को तृप्ति महसूस होती है और इसलिए कैलोरी भी कम होती है। ये वज़न को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। आलू में प्रोटीनेज़ इन्हीबिटर2 नाम का प्रोटीन होता है जो भूख कम करता है। कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा होने की वजह से आलू, उन बच्चों के लिए अच्छा होता है जो कोई स्पोर्ट्स में भाग लेते हैं। किसी भी प्रतियोगिता के पहले अगर बच्चे को आप आलू का सैंडविच खिलाते हैं तो यह उसे खेलने के लिए ज़रूरी ताकत देगा। इसलिए बच्चे के खाने में आलू शामिल करने से उसका स्वाद और पोषण दोनों बढ़ते हैं।
आलू कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है और साथ ही इसमें दूसरे ज़रूरी विटामिन और मिनरल भी होते हैं जिनके बहुत से फायदे हैं। इससे आपको कितना और कैसा पोषण मिलेगा ये इसे पकाने के तरीके पर निर्भर करता है। आलू से होने वाले नुकसान, इन्हें चिप्स या फ्राइज़ के रूप में तलकर खाने से होते हैं। इसलिए अच्छी सेहत के लिए इन्हें तलकर खाने की बजाए उबालकर या बेक कर के खाएं। आलू चाट, सैंडविच, सब्जी या आलू के पराठे बच्चों को खाने में दिए जा सकते हैं।
3. क्या आलू डायबिटीज़ होने पर भी खाए जा सकते हैं?
आलू कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं और इसीलिए बहुत से लोग यह सोचते हैं कि इनसे खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाएगी। मध्यम आकार के एक सफेद आलू में 150 कैलोरी, 40 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 5 ग्राम प्रोटीन और ना के बराबर फैट होता है। कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीज़ें जैसे आलू, खून में शुगर की मात्रा तभी बढ़ा सकते हैं जब आपके पूरे खाने में फैट पहले से ही ज़्यादा हो। पर अगर आप ज़्यादा फैट नहीं खाते हैं तो आलू खाने से कार्बोहाइड्रेट पचाने की ताकत बढ़ सकती है और इसीलिए इसे खाने से आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
आलू के बारे में एक और गलतफ़हमी यह है कि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (ब्लड शुगर पर कार्बोहाइड्रेट से होने वाले असर को मापने का तरीका) ज़्यादा होता है। यहां इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा बहुत कम होता है कि आलू को अकेले खाया जाए और इसलिए ग्लाइसेमिक इंडेक्स की मात्रा सही नहीं होती और यहीं पर इसकी मात्रा के बारे में सोचना ज़रूरी हो जाता है। आलू को जब अनाज से बनी चीज़ों के साथ खाया जाता है तो ग्लाइसेमिक की मात्रा अपने आप कम हो जाती है। आलू को पकाने का तरीका भी ठीक होना चाहिए। आलू को उबालकर, बेक करके या रोस्ट करके खाना, इन्हें तलकर खाने से ज़्यादा अच्छा होता है। अगर आलू को सेहतमंद तरीके से पकाया जाता है तो ब्लड शुगर पर इसके कम नुकसान होते हैं और यहां तक कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स 25 से 26% तक कम हो जाता है।
4. क्या आलू सेहत के लिए अच्छा होता है?
पके हुए आलू, बहुत से विटामिन और मिनरल, जैसे पोटैशियम और विटामिन सी से भरपूर होते हैं। इनमें पानी भी अच्छी मात्रा में होता है और फैट तो ना के बराबर होता है। अगर इन्हें नियमित रूप से खाया जाए तो आलू से काफ़ी फाइबर भी मिलता है। आलू में मिलने वाले फाइबर जैसे पेक्टिन, सेल्यूलोज़ और हेमिसेल्यूलोज़ घुलने वाले नहीं होते हैं। साथ ही इनमें रेसिस्टेंट स्टार्च होता है जो आँतों में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाने में मदद करता है। इससे पाचन ठीक रहता है। रेसिस्टेंट स्टार्च, खाने के बाद खून में ग्लूकोज़ की मात्रा भी नियंत्रित करता है जिससे डायबिटीज़ को काबू करने में मदद मिलती है।
सोयाबीन और दूसरे फलीदार पौधों के मुकाबले आलू में ज़्यादा प्रोटीन होता है। आलू के छिलके में भरपूर फोलेट होता है और यह विटामिन बी6 से भी भरपूर होते हैं। बैंगनी या लाल छिलके वाले आलू क्लोरोजेनिक एसिड, कैटेचिन, ल्यूटिन और ग्लाइकोकोलॉइड्स जैसे बायो एक्टिव तत्वों, जो एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, से भरपूर होते हैं। इसलिए आलू बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। अगर इन्हें सही तरीके से खाया जाए तो ये सेहत को बहुत फायदा पहुँचाते हैं।
5. आलू चिप्स और फ्रेंच फ्राईज़ को खराब क्यों माना जाता है ?
जैसा कि पहले बताया गया है, दुनियाभर में आलू को मोटापे, दिल की बीमारियों और डायबिटीज़ की वजह माना जाता है। पर इसकी सही वजह इसे खाने के गलत तरीके हैं। दुनियाभर में, आलू को ज़्यादातर चिप्स या फ्राइज़ के रूप में खाया जाता है जिनमें ज़्यादा फैट और दूसरे खराब तत्व होते हैं।
क्योंकि इन्हें बहुत ज़्यादा तापमान पर, तेल में तलकर पकाया जाता है, तो इनमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व जैसे एक्रिलामाइड्स और ग्लाइकोकल्काइड / ग्लाइकोकोलॉइड्स बन जाते हैं जो अच्छे नहीं होते हैं। इसके अलावा चिप्स और फ्राइज़ में ज़्यादा मात्रा में नमक और बनावटी रंग और स्वाद होते हैं जो सेहतमंद नहीं होते खासकर बच्चों के लिए।