किशोरावस्था एक ऐसा पड़ाव होता है जिसमें शारीरिक विकास बहुत तेज़ी से होता है और यौन परिपक्वता की भी शुरुआत हो जाती है। लड़कियों में किशोरावस्था में ही पीरियड्स की शुरुआत होती है और इसीलिए किशोरावस्था के दौरान लड़कियों को पहले से ज़्यादा पोषण और पौष्टिक आहार की ज़रूरत होती है ताकि उनका शारीरिक विकास सही ढंग से हो सके और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को रोका जा सके। इस पड़ाव में पौष्टिक आहार और पोषण की कमी के कारण लड़कियों में उचित विकास नहीं होता है और उनकी रीप्रोडक्टिव क्षमताओं का विकास भी सही से नहीं हो पाता है। किशोरावस्था में जिन लड़कियों को सही पोषण नहीं मिलता है, उन्हें भविष्य में गर्भावस्था के दौरान परेशानी हो सकती है और वे कम वज़न वाले शिशु को जन्म देती हैं, और खराब स्वास्थ्य और अपर्याप्त पोषण का यह चक्र जारी रहता है। इसलिए किशोरावस्था के दौरान लड़कियों को पौष्टिक और संतुलित आहार खिलाना बहुत ज़्यादा ज़रूरी होता है।

सही पोषण की ज़रूरत

एक किशोर लड़की की दैनिक पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके आहार में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल और विटामिन होते हैं। शरीर की मांसपेशियों के निर्माण और टिशू की मरम्मत के लिए प्रोटीन की ज़रूरत होती है। फैट और कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं और इससे फैट की मदद से शरीर में फैट में घुलने वाले विटामिनों का स्तर सही रहता है। विटामिन और मिनरल शारीरिक कार्यों के विकास, मरम्मत और देखरेख में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं।

लड़कियों में किशोरावस्था के दौरान आयरन और कैल्शियम की भी पर्याप्त मात्रा में ज़रूरत होती है, क्योंकि इस पड़ाव में तेजी से शारीरिक विकास में विभिन्न बदलाव होते हैं। कैल्शियम सबसे ज़रूरी पोषक तत्वों में से एक है क्योंकि यह हड्डियाँ मजबूत बनाता है।

ज़िंक भी ऐसा ही एक बेहद ज़रूरी पोषक तत्व है जो विकास और यौन परिपक्वता के लिए ज़रूरी है। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों जैसे दाल, चपाती या चावल, हरी सब्जियाँ, मौसमी फल और दूध का सेवन सही मात्रा में करने से किशोरावस्था में संतुलित पोषण दिया जा सकता है।

किशोरों के लिए पोषण संबंधी दिशानिर्देश यह बताते हैं कि लड़कियों को प्रति दिन औसतन 2,200 कैलोरी की ज़रूरत होती है। कुल ऊर्जा का लगभग 25% फैट, और 10% से कम ऊर्जा सेचूरेटेड फैट से आना चाहिए। किशोरों को भी हर दिन लगभग 50 ग्राम प्रोटीन की ज़रूरत होती है।

एनीमिया और अन्य परेशानियाँ

पोषण के बारे में जागरूकता की कमी, पर्याप्त भोजन की कमी, लड़कियों को स्वस्थ भोजन न मिलना, भोजन में जैविक आयरन की कमी, संक्रमण और बीमारियाँ, और खाना पकाने की तकनीक, आदि से किशोर लड़कियों में पर्याप्त पोषण की कमी रहती है। जिन लड़कियों को पर्याप्त पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है, भविष्य में भी उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है। भोजन में आयरन की खराब गुणवत्ता और बार-बार संक्रमण के कारण एनीमिया भी हो सकता है। पोषण की गंभीर कमी और बार बार बीमारियों के कारण किशोरावस्था में लड़कियों का विकास सही गति से नहीं होता है और यह कमी आमतौर पर निम्न सामाजिक आर्थिक वर्गों की लड़कियों में देखा जाता है।

यहां यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि किशोरावस्था के दौरान होने वाली पोषण की कमी से लड़कियों को ज़िंदगी के उन पड़ावों में भी कमजोरी महसूस हो सकती है जहां उन्हें अतिरिक्त पोषण चाहिए होता है जैसे गर्भावस्था, और ऐसे में होने वाले शिशु का वज़न भी कम रहता है। किशोरावस्था के दौरान पोषण की कमी के कारण भविष्य में स्तनपान के दौरान इन महिलाओं को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

पीरियड्स के दौरान ज़रूरी पोषण

किशोरावस्था के दौरान मासिक धर्म की शुरुआत होती है और ऐसे में लड़कियों के आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करना बहुत ज़रूरी होता है। इसलिए, उन्हें संतरे, नींबू और आंवला जैसे विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थों के साथ-साथ हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़ और मांस जैसे आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ खिलाने चाहिए। पीरियड्स के दौरान शरीर से आयरन का नुकसान होता है इसकी भरपाई के लिए लड़कियों को अतिरिक्त आयरन की ज़रूरत होती है। किशोरावस्था में एनीमिया, कार्य क्षमता को कम कर सकता है और इम्यूनिटी से जुड़े कार्यों को भी प्रभावित कर सकता है। एनीमिया के कारण लड़कियों में कोग्निटिव विकास नहीं होगा, स्कूल में खराब प्रदर्शन होगा, याद्दाश्त कमजोर होगी, वृद्धि एवं विकास में रुकावट होगी, और भविष्य में गर्भावस्था के दौरान भी कमजोरी और अन्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज

किशोरावस्था के दौरान जिन खाद्य पदार्थों को सीमित किया जाना चाहिए, वे ट्रांस फैट और सेचूरेटेड फैट वाले होते हैं, जो हृदय रोगों का कारण बन सकते हैं। अनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर ऑयल एक बेहतर विकल्प है। बहुत ज़्यादा सोडियम खाने से हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है। और एडेड शुगर वाले खाद्य पदार्थ खाने से केवल कैलोरी मिलती है और इसमें पोषण की मात्रा नहीं होती है। तो, किशोरावस्था में अपनी बेटी को बहुत सारे सोडा, कुकीज़, कैंडी, और शक्कर वाले अनाज देने से बचें। प्रोसेस्ड अनाज के बजाय साबुत अनाज चुनें। आखिरकार अपनी किशोरी बेटी की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए, उसके आहार में वे पोषक तत्व ज़रूर शामिल करें जिसकी उसे ज़रूरत है। फैट, एडेड शुगर या अतिरिक्त नमक वाले खाद्य पदार्थों से बचने के लिए खाद्य उत्पादों पर पोषण लेबल को सही से पढ़ना ज़रूर याद रखें। इसके अलावा, लड़कियों को संतुलित और पौष्टिक आहार खिलाएँ जिसमें सभी प्रमुख खाद्य समूहों से आइटम शामिल हैं। साथ ही लड़कियों को ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिलाएँ ताकि पोषक तत्व सही ढंग से अपना काम कर सकें।