एक माँ होने के नाते हम हमेशा अपने बच्चों के स्वास्थ्य और खाने की ही चिंता करते हैं- और हमारे मन में हमेशा यही सवाल आते हैं क्या मेरा बच्चा सही खाना खा रहा है, क्या मैं उसे सही पोषण दे रही हूँ, क्या यह खाना उनके लिए सही है... आखिरी सवाल एक ऐसा सवाल है जिसके बारे में विस्तार से बात करना बहुत ज़रूरी है। क्या यह खाना मेरे बच्चे से लिए अच्छा नहीं है? इस सवाल के कई सारे मतलब हो सकते हैं- उन्हें उस खाने से गंभीर एलर्जी भी हो सकती है, यह खाना अन्य खाने की तुलना में पचाने में मुश्किल हो सकता है, या फिर हो सकता है कि बच्चों को उसका स्वाद ही पसंद न हो! आपको इन तीनों स्थितियों के बीच अंतर समझना चाहिए और उनके हिसाब से ही इसका उपाय करना चाहिए ताकि आप बच्चों की ज़रूरतों को सही ढंग से समझ सकें।

इन अंतरों को सही ढंग से समझने के लिए दूध एक बेहतरीन उदाहरण है - दूध से होने वाली एलर्जी दूध के प्रोटीन इन्टॉलरेंस और लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस से बहुत अलग है। दूध एलर्जी के विपरीत, इन्टॉलरेंस की स्थिति में इम्युनिटी की कोई प्रतिक्रया नहीं होती है। बच्चे के बड़े होने पर लैक्टोज इन्टॉलरेंस ज़्यादा बढ़ जाती है, लेकिन दूध से एलर्जी बच्चे की ज़िंदगी के पहले साल में ही विकसित हो जाती है।

हालांकि इनके लक्षणों में कुछ समानताएं हैं, लेकिन फ़ूड एलर्जी (खाद्य एलर्जी) फ़ूड इन्टॉलरेंस (खाद्य असहिष्णुत) से बहुत अलग है। फ़ूड इन्टॉलरेंस वाले बच्चे लैक्टोज़ जैसे कुछ खाद्य पदार्थों को पचा नहीं पाते हैं, जिसके कारण उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी ओर, फ़ूड एलर्जी किसी भी एलर्जी पैदा करने वाले तत्व के प्रति शरीर की इम्युनिटी की प्रतिक्रिया होती है।

लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस के सामान्य लक्षणों में पेट से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं जैसे दूध या दूध से बने उत्पाद खाने के बाद पेट फूलना, गैस या दस्त होना। वहीं, दूसरी तरफ, दूध से इन्टॉलरेंस होने पर इससे भी गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं। इस स्थिति में, दूध या दूध से बने उत्पाद खाने के बाद लक्षण तुरंत या एक घंटे के भीतर दिख सकते हैं और ये लक्षण हैं: एक्ज़िमा, खाँसी, गले मे ख़राश, उल्टी, दस्त, तेज़ दर्द, सूजन, आंखों में खुजली,पानी या सूजन की समस्या, गले में ऐंठन, सांस लेने में तकलीफ़ आदि। गाय के दूध में मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं जिनसे एलर्जी हो सकती है: केसीन जो दूध के ठोस रूप (दही) में होता है और व्हे प्रोटीन जो दूध के तरल पदार्थ में होता है। बच्चों को केवल एक प्रोटीन से भी एलर्जी हो सकती है और दोनों से भी।

अंत में, आपको यह समझना होगा कि बहुत सारे बच्चों को दूध का स्वाद पसंद नहीं होता है और जब उन्हें ज़बरदस्ती दूध पिलाया जाता है तो वे शारीरिक प्रतिक्रिया के बजाय भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देते हैं। अगर आपको यह जानना है कि आपके बच्चे को दूध से इन्टॉलरेंस है या उसको दूध का स्वाद ही नहीं पसंद है तो इसका आसान सा तरीक़ा है कि आप यह देखें कि आपका बच्चा दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर, दही, चीज़ आदि खाने पर कैसी प्रतिक्रिया देता है। अगर उन्हें दूध से इन्टॉलरेंस है तो वे केवल दूध ही नहीं बल्कि दूध से बना कोई भी उत्पाद नहीं पचा पाएंगे।

अब जब आपको इन तीनों के बीच अंतर समझ आ गया है तो यहां कुछ ऐसे तरीक़े दिए गए हैं जिनकी मदद से आप ये पता कर सकते हैं कि आपके बच्चे को दूध से एलर्जी है, इन्टॉलरेंस है या फिर उसे दूध का स्वाद ही नहीं पसंद है:

  • असली फ़ूड एलर्जी में, आपको हमेशा जागरूक रहना होगा और कोशिश करनी होगी कि आपका बच्चा कभी भी अनजाने में भी दूध या उससे बने उत्पाद न खाये। बाहरी खाने और पैकेट बंद चीजों पर भी आपको पूरा ध्यान देना होगा कि उसमें एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ तो नहीं हैं। आपको इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि बच्चे के आस-पास रहने वाले लोगों को भी उसकी एलर्जी का पता रहे ताकि वे सतर्क रह सकें।
  • इन्टॉलरेंस के लिए, आपको अपने बच्चे के आहार में थोड़े बदलाव करने होंगे और एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों को बच्चे के आहार से हटाना होगा। पोषण के लिए आप विकल्प के तौर पर अन्य खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • अगर आपके बच्चे को दूध का स्वाद सख़्त नापसंद है तो खाने में नखरे करने वाले बच्चों के लिए बेहतरीन उपाय भी हैं। आप यहां हमारे अन्य आर्टिकल्स पढ़ सकते हैं ताकि आपको खाने में नखरे करने वाले बच्चों के लिए सही जानकारी मिल सके। https://www.asknestle.in/expert-advice/24-fantastic-ways-deal-fussy-eaters