आपके बच्चे के संपूर्ण वृद्धि और विकास के लिए आयरन जैसे पोषक तत्व की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। यह एक ऐसा मिनरल है जो पौधे, जानवर और बाक़ी सभी जीवित प्राणियों में पाया जाता है। आयरन हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बनाता है और इसीलिए आयरन की ज़रूरत बहुत ज़्यादा होती है। हीमोग्लोबिन हमारे खून का वह हिस्सा होता है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के बाक़ी अंगों तक पहुँचाता है। अगर आपके बच्चे की थाली में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ नहीं होंगे तो उसके शरीर में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाएगा और शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं पहुँच पायेगा। इसकी वजह से आपका बच्चा हमेशा थकान महसूस करेगा।
हीमोग्लोबिन बनाने के अलावा आयरन हमारे शरीर का तापमान नियंत्रित करने में भी मदद करता है और साथ ही एकाग्रता बढ़ाता है। अगर आयरन की कमी को पूरा नहीं किया जाए तो एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) की कमी हो जाती है। शरीर में पर्याप्त हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आपके बच्चे को आयरन, फ़ोलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी12 की ज़रूरत होती है। इन ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी से हीमोग्लोबिन की भी मात्रा कम हो जाती है और बच्चों का चेहरा फीका और शरीर कमज़ोर हो जाता है।
आयरन की कमी के लक्षण:
आयरन की कमी से होने वाली बीमारी एनीमिया भारत में बेहद आम समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के तीसरे दौर में आये आंकड़ों की बात करें तो 5 वर्ष से कम उम्र वाले लगभग 70% भारतीय बच्चे एनीमिया ग्रस्त हैं।
इन लक्षणों से आयरन की कमी का पता लगेगा:
- चेहरे पर पीलापन
- थकान
- धीमी गति से वृद्धि और विकास
- भूख कम होना
- असामान्य और तेज़ साँस
- व्यवहारिक बदलाव
- लगातार होने वाले संक्रमण
इन लोगों में आयरन की कमी का ख़तरा ज़्यादा है:
- तय समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे (प्रीमैच्योर बेबी) - जो बच्चे जन्म की तय तारीख़ से 3 हफ़्ते या उससे पहले पैदा होते हैं या जन्म के समय जिनका वज़न बहुत कम होता है।
- 1 साल से कम उम्र में ही गाय या बकरी का दूध पीने वाले बच्चे
- स्तनपान करने वाले वे शिशु जिन्हें 6 महीने की उम्र के बाद आयरन से भरपूर पूरक आहार न मिले
- वे शिशु जो बिना आयरन से फोर्टिफाइड फॉर्मूला दूध पीते हैं
- 1 से 5 वर्ष की आयु वाले वे शिशु जो दिन में 710 मिली. से ज़्यादा गाय, बकरी या सोया का दूध पीते हैं
- जो बच्चे गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं जैसे गंभीर संक्रमण या रिस्ट्रिक्टेड डाइट खाने वाले शिशु (वर्जित आहार)
- 1 से 5 वर्ष की उम्र के बच्चे जिनके आहार में आयरन और लेड ज़्यादा है
आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया को कैसे रोकें?
स्वस्थ, संतुलित और सेहतमंद आहार की मदद से आप आयरन की कमी को पूरा कर सकते हैं। अपने खाने में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जो आयरन के जाने माने स्रोत हैं ताकि आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के ख़तरों को कम किया जा सके।
शरीर में आयरन सोखने के लिए विटामिन सी की भी ज़रूरत होती है तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि आपके आहार में विटामिन सी से भरपूर भोजन या पेय पदार्थ ज़रूर होने चाहिए। विटामिन सी के प्रमुख स्रोत हैं नींबू, संतरा, मीठे नींबू, अंगूर और टमाटर। आप विटामिन सी से भरपूर फलों का जूस भी पी सकते हैं जैसे संतरे का जूस, नींबू पानी आदि। सामान्यतः अगर शिशुओं को नियमित स्तनपान कराया जाए तो उनकी आयरन से जुड़ी हर ज़रूरत पूरी हो सकती है। अगर फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं को आयरन से फोर्टीफाइड फॉर्मूला दूध पिलाया जाए तो उन्हें पर्याप्त आयरन मिल सकता है।
आयरन के शाकाहारी स्रोत:
- हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ जैसे पालक, अमरंथ, मेथी, सहजन का साग, ब्रॉकली, हरी प्याज़, चुकंदर के पत्ते और मूली के पत्ते आदि।
- दाल और फलियां जैसे बीन्स, मटर, राजमा और अंकुरित फलियां
- अनार चिया और कद्दू के बीज ड्राई फ्रूट्स जैसे खुबानी, सूखा आलूबुखारा, खजूर, किशमिश और नट्स ब्राउन राइस (भूरे चावल), गेहूँ, बाजरा और रागी
आयरन के मांसाहारी स्रोत:
- अंडे
- ऑर्गन मीट जैसे लिवर
- बांगड़ा, रवास जैसी मछलियां
- चिकन और टर्की
- लाल मांस जैसे मटन या लैम्ब
अगर हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद आपको लगता है कि आपके बच्चे को आयरन की कमी से एनीमिया हो गया है तो हमारा सुझाव है कि आपको तुरंत अपने पीडियाट्रिशन से बात करनी चाहिए। वे आपके बच्चे के लिए आयरन के सप्लीमेंट दे सकते हैं। अपने डॉक्टर से परामर्श और सुझाव के बग़ैर बच्चे को किसी भी मिनरल या विटामिन का सप्लीमेंट न दें क्योंकि आपका डॉक्टर ही आपको सही सुझाव दे पाएगा।