भारत में हम एक मोटे बच्चे को ज़्यादातर स्वस्थ, ख़ुश और सुपोषित मानते हैं। अक्सर माता-पिता ज़्यादा लाड़-प्यार में आकर अपने बच्चों को मिठाई और चॉकलेट खिलाते हैं जो कि फ़ैट और शुगर से भरे होते हैं। हालांकि, ज़्यादातर बढ़ती उम्र के साथ बच्चों का बेबी फ़ैट कम होने लगता है, इस दौरान माता-पिता को ध्यान देना चाहिए कि बच्चों में मोटापे जैसी समस्या ना आये।
सभी को मोटे, और तंदरुस्त दिखने वाले बच्चे पसंद होते हैं। Tयह फ़ैट उनकी वृद्धि में मददगार भी होता है। हालांकि, 2 साल की उम्र तक आते आते बच्चों की लंबाई बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे उनका मोटापा कम होने लगता है। लेकिन, अगर इसके बाद भी आपका बच्चा पतला नहीं हो रहा है तो आपको निश्चित ही इसपर ध्यान देना चाहिए।
चबीनेस और पोषण
अगर आप बच्चों के मोटापे से निपटना चाहते हैं तो, एक अभिभावक होने के नाते सबसे पहले आपको अनहेल्दी चबीनेस के बारे में जानना होगा। इसके लिए आप अपने बच्चे को उतना ही खिलाएं जितने की उनकी ज़रूरत है। क्योंकि ज़्यादा खाना भी मोटापे का कारण हो सकता है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि बच्चे को एक संतुलित आहार खिलाएं और उनकी थाली में सभी ज़रूरी पोषक तत्व मौजूद हों। बच्चों को नियमित खेल कूद में भी भाग लेना चाहिए।
मोटापे के अलावा बच्चों में कुपोषण भी एक बहुत बड़ी समस्या है जिसको समझना बहुत ज़रूरी है। इसका ये मतलब ये नहीं है कि आपका बच्चा भूखा है या उसको खाने को कम मिल रहा है, बल्कि इसका ये मतलब है कि जो खाना आप अपने बच्चे को दे रहें हैं उसमें पौष्टिक तत्वों की कमी है। बच्चों में कुपोषण इस बात को दर्शाता है कि बच्चे को सही आहार नहीं मिल रहा है, आप जो भी भोजन उन्हें दे रहे हैं वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जैसे कि सेचुरेटेड फ़ैट, अत्यधिक नमक या चीनी।
अंडर न्यूट्रीशन से जूझ रहे बच्चे अक्सर बहुत ज़्यादा मीठा पीने और जंक फूड खाने लग जाते हैं। जिसके कारण उनमें कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है और वही उनके मोटापे का कारण बनता है।
बच्चों में मोटापा, स्वास्थ्य समस्याएँ, और वज़न
बच्चों में मोटापा आज कल बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। आजकल बच्चे अपने खाली समय में सिर्फ़ टीवी देखने और मोबाइल पर गेम खेलने में बिताते हैं। बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में हो रही कमी उनके खाने की ख़राब आदतों का कारण बन रही है।
ज़ाहिर है कि सभी बच्चे अलग होते हैं, तो उनपर होने वाले मोटापे का असर और उनकी जीवनशैली भी अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, बचपन के मोटापे का असर शारीरिक या मानसिक या दोनों हो सकता है।
- शारीरिक तौर पर
मोटापे के शिकार बच्चों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि वे आलसी हो जाते हैं। ऐसे बच्चे बाहरी खेलों में कम रुचि लेते हैं और एक गतिहीन जीवनशैली की ओर बढ़ने लगते हैं। आगे चलकर यह आदतें उनके लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं जैसे कि डाइबटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी बीमारियाँ, नींद से जुड़ी समस्याएं आदि। यही कारण है कि मोटापे पर जितनी जल्दी ध्यान दिया जाए उतना ही अच्छा होगा। इससे आपके बच्चे की उम्र भी ज़्यादा होगी।
- मानसिक तौर पर
मोटापे से ग्रस्त बच्चों पर इसका मानसिक प्रभाव भी पड़ता है। ऐसे बच्चे तनाव, असफलता या रिजेक्शन को आसानी से झेल नहीं पाते हैं। अगर वे अपने दोस्तों को साथ मेल जोल नहीं रख पाते या फिर उनके वज़न के कारण उनका मज़ाक उड़ाया जाता है तो उसके दिमाग़ पर इसका बहुत गहरा असर पड़ता है। ऐसी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ ही मोटापे के और भी दुष्प्रभाव होते हैं जैसे कि आत्म सम्मान की कमी, अवसाद (डिप्रेशन) यहाँ तक कि आत्महत्या के विचार आदि।
इसलिए, बच्चों को सही और पौष्टिक खाना देने से उनके वज़न को मेंटेन किया जा सकता है जो कि उनको मोटापे जैसी गंभीर समस्या से दूर रख सकता है। उनको ऐसे खेल कूद से जुड़ने के लिए प्रेरित करें जिसमें शारीरिक गतिविधियाँ होती है ताकि वे कैलोरी बर्न कर सकें जैसे कि, फुटबॉल, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, या तैराकी आदि। उनके टिफ़िन में हमेशा पौष्टिक भोजन ही दें ताकि वे जंक फूड से दूर रह सकें। अपनी रसोई में ज़्यादा से ज़्यादा पौष्टिक और प्राकृतिक पदार्थ ही रखें ताकि आप मीठे भोजन और ड्रिंक्स की मात्रा को कम कर सकें। और ख़ुद भी एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। इस प्रकार, आपका बच्चा आपसे सीखेगा और स्वस्थ आदतें अपनाएगा।