अगर आपका बच्चा दूध पीने से मना करता है, तो आप उसकी डाइट में दूध के विकल्प शामिल करने के बारे में ज़रूर सोचेंगे। जो बच्चे दूध पसंद नहीं करते, उनके बारे में कुछ ऐसे विकल्प बताए जा रहे हैं, जिनसे उन्हें दूध से मिलने वाले ज़रूरी पोषक तत्वों में कोई कमी नहीं रहेगी।

दूध के विकल्प पता करने का महत्व

दूध को बहुत सारे पोषक तत्वों का खज़ाना माना जाता है। यह गरीब और अमीर दोनों की पहुँच में होता है और अगर तृप्ति के हिसाब से देखा जाए, तो यह हर बच्चे के विकास में मदद करता है। पर जब ये छोटे बच्चे दिन में दो बार दूध पीने में नखरे दिखाते हैं, हमें अलग तरकीब ढूँढनी पड़ती है। “मुझे दूध नहीं पीना है!” इस चुनौती को मानना भी एक चुनौती से कम नहीं है।

इसलिए, नवजात बच्चों से लेकर पाँच साल के बच्चों के लिए पहला विकल्प बाज़ार में मिलने वाले मिल्क सब्स्टीट्यूट हैं। सोया दूध भारत में दूध के सबसे आम विकल्पों में से एक है। बच्चों को नारियल, बादाम, चावल और बीज का दूध भी पिलाया जाता है क्योंकि उनमें लैक्टोज नहीं होता है। शिशुओं के लिए, इन्फ़ेंट मिल्क फ़ॉर्मूला दूध पिलाने का पहला विकल्प है। आमतौर पर यह सबसे स्वादिष्ट विकल्प है। कुछ मामले सहन करने की क्षमता या कुछ निश्चित चीज़ों पर भी निर्भर करते हैं। उदाहरण के तौर पर बच्चे को दूध पसंद नहीं आता, लेकिन दही, योगर्ट, चीज़, मक्खन, आदि जैसे चीज़ें पसंद आ सकती हैं। हर बच्चे की ज़रूरतों को समझने के लिए किसी अच्छे मेडिकल एक्सपर्ट से उनका एलर्जी और इन्टोलरेंस टेस्ट करवाना चाहिए।

अगर एक बच्चे के आहार में दूध का विकल्प देना है, तो खाने की सभी चीज़ों को सँभाल कर दें। इन पदार्थों और उनकी ज़रूरत को समझने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि उनमें मौजूद पोषक तत्वों के आधार पर उन्हें वर्गीकृत करें, जैसे नीचे किया गया है:

  • कैल्शियम: दूध में मौजूद कैल्शियम के लिए रागी, गहरी हरी सब्ज़ियाँ, कैल्शियम से भरपूर सोया मिल्क और फलों का रस सबसे अच्छे विकल्प हैं। कैल्शियम की ज़रूरतों को पूरा करना आसान नहीं है, इसलिए कैल्शियम के सप्लीमेंट की ज़रूरत है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए आपको एक पोषण आहार विशेषज्ञ (न्यूट्रिशनिस्ट) या बच्चों के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। हम जानते हैं कि हड्डियों और दाँतों का विकास कैल्शियम पर ही निर्भर करता है, इसलिए बच्चे को शुरुआत से ही कैल्शियम से भरपूर आहार देना चाहिए।

  • विटामिन डी: यह भी कैल्शियम की तरह ही ज़रूरी होता है। यह ज़्यादातर सूरज की रोशनी से मिल जाता है, लेकिन बच्चों को ज़्यादा देर तक सूरज की रोशनी में नहीं रखा जाता। जब सूरज की किरणें त्वचा पर पड़ती है तो विटामिन डी एक्टिवेट होता है। इसके स्रोत कैल्शियम के स्रोत जैसे ही होते हैं और इनका भी सप्लीमेंट लेने की पड़ सकती है।

  • प्रोटीन: प्रोटीन इंसान के शरीर में सबसे खास किरदार निभाता है। यह शारीरिक विकास में, टिश्यू बनाने में, एंज़ाइम बनाने में, हॉर्मोन और ऐंटीबॉडी और टिश्यू की मरम्मत में मदद करते हैं। मांसाहारी लोगों को प्रोटीन की ज़रूरतों को पूरा करने में ज़्यादा परेशानी नहीं होती। यह आपको मछली, अंडे और चिकन में बहुत अच्छी मात्रा में मिल जाता है। इन्हें छोटे बच्चों को सूप की तरह भी दे सकते हैं। आप बच्चे की डाइट में अंडे से बनी कई तरह की डिश शामिल कर सकते हैं। हालाँकि, बच्चों को अंडे से कई तरह की एलर्जी भी हो सकती हैं, इसलिए उससे होने वाले लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। इससे ठीक उलट, शाकाहारियों को दालें, बीन्स, टोफ़ू आदि जैसे पौधों से मिलने वाले प्रोटीन को चुनना चाहिए। पर यह ध्यान रखना चाहिए कि पौधों से मिलने वाले प्रोटीन अधूरे प्रोटीन होते हैं। उन सब में कुछ ज़रूरी अमीनो एसिड की कमी होती है, जो प्रोटीन का स्ट्रक्चर पूरा करने के लिए ज़रूरी है। इसीलिए, एक या दो चीज़ों से मिलने वाला प्रोटीन काफी नहीं होता है; तरह तरह की चीज़ों को बारी-बारी से आहार में शामिल करना होगा, जिससे एक चीज़ में मौजूद अमीनो एसिड दूसरे की कमी पूरी कर सके।

  • कार्बोहाइड्रेट: दूध को पसंद न करने का कारण लैक्टोस नाम का कार्बोहाइड्रेट हो सकता है, लेकिन दूसरे तरह के कार्बोहाइड्रेट्स को दूध में मौजूद शक्कर का स्थान लेना होगा क्योंकि कार्बोहाइड्रेट्स एनर्जी का अच्छा स्रोत होते हैं। चावल, आलू, मीठे फल, फ़ाइबर वाली सब्ज़ियाँ और शहद ये सब कार्बोहाइड्रेट्स सेहत के लिए अच्छे होते हैं।

  • फ़ैट: यह एनर्जी का सबसे अच्छा स्रोत है। इसके कई तरह के शारीरिक काम होते हैं, जैसे कि शरीर का एडिपॉस टिश्यू को बनाना, जो शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखता है। तेल, एवोकाडो, सूखे मेवे, ऑइलसीड और डार्क चॉकलेट एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। मांसाहारियों के लिए अंडे का पीला हिस्सा, तली मछली, और मटन उनके शरीर के फ़ैट की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है।

  • मिनरल: दूध में सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस, ज़िक और थोड़ी मात्रा में आयरन भी मौजूद होते हैं। उसके साथ ही दूध में, रेटिनॉल, विटामिन ई, विटामिन बी के कुछ प्रकार (जैसे फ़ोलेट, बायोटिन, पैंटोथेनिक एसिड, आदि), विटामिन सी और विटामिन डी भी होते हैं। ये कई अलग-अलग चीज़ों में पाए जाते हैं, लेकिन फल और सब्ज़ियाँ विटामिन और मिनरल का सबसे अच्छा स्रोत होती हैं। बच्चों को दिन में तीन बार अलग अलग तरह के फल और सब्ज़ियों को सूप, जूस, स्मूथी, और करी के रूप में देना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इनसे आहार में फ़ाइबर की मात्रा भी बढ़ेगी, जो दूध में बिलकुल नहीं होती है!

आहार में अलग-अलग चीज़ों को ज़रूरत के हिसाब से और नियमित रूप से देने के लिए आपको बहुत सारे प्लान बनाने पड़ेंगे और उन पर अमल करना पड़ेगा। इसमें आपको अलग अलग तरकीबों को ढूँढना होगा, जिनसे आपका बच्चा आसानी से इन विकल्पों को अपना ले ।

इसी तरह, किसी भी प्रॉडक्ट को खरीदते वक्त यह ध्यान देना चाहिए कि उनमें दूध या उससे बने प्रॉडक्ट शामिल नहीं होने चाहिए। कृपया इस बात पर ध्यान दें कि “डेरी फ़्री” लिखे हुए लेबल का अर्थ है कि उसमें कोई भी डेरी उत्पाद नहीं है, और “लैक्टोस फ़्री” का अर्थ है कि उसमें लैक्टोस नहीं है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि उसमें डेरी उत्पाद भी नहीं है।

सही डायग्नोसिस, चिकित्सा और पोषण की सलाह, खाद्य पदार्थ के लेबल को ध्यान से पढ़ना, डाइट की योजना बनाते समय पोषक तत्वों के विकल्प को प्राथमिकता पर रखना और पहले से की गई प्लानिंग, दूध को पसंद न करने वाले बच्चों के लिए पोषण संतुलित डाइट को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। जो आज आपको एक चुनौती लगता है, वह कल ज़िंदगी जीने का तरीका बन सकता है।